You are my रॉकस्टार

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You are my रॉकस्टार 

Cheptar no.- 2

अब आगे।। 

सुबह के आठ बजे ट्रेन मुंबई के स्टेशन पर पर रुकती हैं। चाहत कसमसाते हुए अपनी आंखे खोलती हैं और बोली, ” पापा हम कहा है।।

अरविंद जी मुस्कुराते हुए बोले, ” हम मुंबई आ गए है। चलो हमे नीचे उतना है। इतना सुनते हु चाहत उठ कर बैठ जाति है और बोली, ” क्या हम पहुंच गए। 

इतना बोल खिड़की के बाहर देखती है। लोगो की भीड़ थी । चाहत लोगों को देखती हैं और फिर मुंह बनाते हुए बोली, ” पापा आपने मुझे पहले क्यू नहीं उठाया। 

अरविंद जी चाहत के मुंह को देखते हैं और बोले, ” बच्चा इसमें नाराज होने की क्या जरूरत है । तुम बहुत गहरी नीद में थी। इस लिए तुम्हे परेशान नहीं किया चलो चलते हैं। 

आंटी का कॉल आया था उन्होंने हमारे लिए ड्राइवर भेज दिया। चाहत हा में सर हिलाती है। और खड़ी हो कर खुद को ठीक करती हैं। 

अरविंद जी और चाहत ट्रेन से उतरते हैं और रेलवे के बाहर आते है। तभी उनके मोबाइल पर अननोन नम्बर से कॉल आता है जिसे अरविंद जी उठते हैं। 

तभी उनके सामने एक चालीस साल का आदमी खडा होता है और बोला, ” हैलो सर मुझे मैम ने भेजा है आपको लेने के लिए। 

अरविंद जी एक नजर अपने मोबाइल को देखते हैं और सामने खडे इंसान को देखते हुए बोले, ” आप कौन…! मै रोनित मैम का ड्राइवर…!! आपको लेने आया हु। 

अरविंद जी उन्हें देख मुस्कुराते हुए बोले, ” हैलो मेरा नाम…!! इतना बोले ही थे तभी रोनित ने कहा, ” अरविंद जी…!! 

अपना नाम सुनते ही अरविंद जी हा में सर हिला देते हैं। ड्राइवर मुस्कुराते हुए बोला, ” मैम ने मुझे आपका फोटो दिया था। और नाम भी बताया था। इसलिए मै आपको देखते ही पहचान गया। 

अरविंद जी मुस्कुराते हुए चाहत को देखते हैं और बोले, ” चलो बेटा चलते है। चाहत हा में सर हिला देती हैं। ड्राइवर बैग को गाड़ी में रखता है। अरविंद जी और चाहत पैसेंजर सीट में बैठ जाते हैं। 

ड्राइवर कार स्टार्ट कर वहा से निकल जाते हैं। चाहत खिड़की से बाहर मुंबई को देखती है और मुस्कुराते हुए बोली, ” आखिर कार मै यहां आ ही गई।।

इतना बोलते हुए अरविंद जी को देखती है और बोली, ” पापा हम कहा जा रहे है। अरविंद जी चाहत को देखते हैं और बोले, ” बेटा तुम्हारी मां और आंटी बहुत अच्छी दोस्त थी। 

दोनो बचपन से ही एक दूसरे की बेस्ट फ्रैंड थी। कॉलेज में मेरी मुलाकात तुम्हारी मां और आंटी से हू थी। और धीरे धीरे हम अच्छे दोस्त बन गए। 

तुम्हारी मां और मै एक दूसरे से प्यार करने लगे थे पर हमारी फैमली हमारी शादी के खिलाफ थी । तब आंटी सबके खिलाफ का कर हमारी मदद की। और हम दोनो को शादी कराई। 

उसके बाद हम सब कुछ छोड़ सबसे दूर चले गए। कई सालो बाद उससे मिल रहा हूं । पता नहीं अब कैसी होगी वो….!! इतना बोल मुस्कुरा देते हैं। 

और चाहत को देखते हुए बोले, ” वो बिल्कुल तुम्हारी तरह थी जो करना है तो बस करना है। अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर वो मुमकिन कोशिश करती थी। 

तुम्हे पता कॉलेज में उससे सब बहुत डरते थे। कोई उससे पंगा नहीं लेता था। और हमेशा तुम्हारी मां को वो सबसे बचाती थी। 

उनके बारे में सुन चाहत मुस्कुराते हुए बोली, ” तब तो मेरी और उनकी बहुत जमाने वाली है। अरविंद जी मुस्कुराते हुए बोले, ” हा क्यों नहीं। 

दोनो बाते कर रहे और तभी कार एक सफेद विला के अंदर आ कर रुकती है। चाहत एक नजर उस विला को देखती है और बोली, ” कितना सुंदर घर है। 

इतना बोल कार से उतरती हैं तभी अपने सामने एक लेडी को देख खेती है जिसकी उम्र चालीस साल के करीब थी उन्होंने कॉटन की सिम्पल सी सड़ी पहने हुई थी। 

दिखने वो बहुत प्यारी लग रही थी। चाहत उन्हें देख रही थी। तभी वो लेडी चाहत की तरफ बढ़ती है और मुस्कुराते हुए बोली, ” हमारे घर में तुम्हारा स्वागत है।।

चाहत कुछ भी नहीं बोलती है और अपने पीछे देखते है हुए धीरे से बोली, ” पापा।।।। अरविंद जी चाहत के पास आते है बोले, ” बेटा इनसे मिलो ये नंदिता सिंह राठौड़…! तुम्हारी अंटी जिनके बारे में हम बात कर रहे थे। 

इतना सुनते ही चाहत अपने हाथो को जोड़ लेती हैं। और मीठी सी आवाज में बोली, ” नमस्ते…! नंदिता जी चाहत को देख मुस्कुराते हुए बोली, ” तुम तो बहुत प्यारी हो। बिल्कुल अपनी मां की तरह….!!

चाहत मुस्कुरा देती हैं और बोली, ” थैंक्यू….!! अरविंद जी नंदिता जी को देखते हुए बोले, ” बच्चे कहा है। 

नंदिता जी बोली, ” अन्दर है चलो चलते है। अरविंद जी हा में सर हिला देते हैं। तीनों अंदर जाने लगते है तभी चाहत अरविंद जी का हाथ पकड़ लेती हैं। 

अरविंद जी उसके हाथ को पकड़ते हुए बोले, ” क्या हुआ। चाहत ना में सर हिला देती है। और अंदर आती हैं। एक नजर पूरे घर को देखती है और बोली, ” आपका घर बहुत सुंदर है। 

नंदिता जी मुस्कुराते हुए बोली,  ” थैंक्यू…!! आओ मेरे पास…! इतना बोल चाहत का हाथ पकड़ उसे अपने पास करती है। 

चाहत अरविंद जी को देखती हैं। वो आंखे से जाने का इशारा करते हैं। चाहत नंदिता जी के साथ आगे जाती हैं। नंदिता जी उसे सोफे में बैठती है। और उसके पास बैठते हुए बोली, ” बेटा तुम्हारा नाम क्या हैं। 

चाहत मुस्कुराते हुए बोली, ” चाहत नाम है मेरा।। चाहत सुनते ही नंदिता जी अरविंद जी को देखती हैं। अरविंद जी मुस्कुराते हुए बोले, ” तुमने ही तो कहा था अगर हमारी बेटी हुई तो तुम उसका नाम चाहत रखोगी। 

तो हमने वही किया। नंदिता जी मुस्कुराते हुए चाहत के माथे को चूम लेती है। उनकी आंखों में आंसू थे। तभी सीढियों से उतरते हुए राही आती है। 

और नंदिता जी को देखते हुए बोली,  ” मॉम मुझे भुख लगी है। इतना बोली ही थी सामने चाहत और अरविंद जी को देख चुप हो जाती हैं। 

और अरविंद जी को देख अपने हाथ को जोड़ लेती हैं। अरविंद जी राही को देखते हैं और जैसे कुछ बोलते नंदिता जी बोली, ” ये मेरी बेटी राही है।  अरविंद जी उठ कर राही के पास जाते है बोले, ” तुम तो बहुत प्यारी हो अपनी मां की तरह…!!

इतना सुन राही बोली, ” थैंक्यू अंकल मै मै मॉम की तरह नहीं डैड की तरह हु। मेरे डैड बहुत हैंडसम थे। और मै उन पर गई हूं।।

राही की बातों को सुन अरविंद उसे देखते हैं और मुस्कुराते हुए बोली, ” सूरत भले डैड पर गई है पर सीरत तो बिल्कुल मां की तरह ही है। 

राही अब कुछ भी नहीं बोलती है नंदिता जी बोली, ” मै ऐसी नहीं थी। अरविंद जी उनकी तरफ देखते हुए बोले, ” सही कहा तुम और भी ज्यादा शैतान थी। 

अरविंद जी बातो को सुन राही बोली, ” क्या मॉम शैतान थी पर उन्हें देख लगता नहीं है। मुझे तो लगता है मॉम अपनी स्कूल और कॉलेज की सबसे आज्ञाकारी स्टूडेंड थी । 

अरविंद जी बोले, ” ये और किसी की आज्ञा सुने हो ही नहीं सकता तुम्हे पता है तुम्हारी मां सबसे ज्यादा कॉलेज में बांक मारती थी। और जब टीचर उसे डांटे तो उलटा उन्हीं को सुनने लगती थी। 

जिसकी वजह से कितनी बार क्लास निकला भी गया था। ये सब सुन राही नंदिता जी को देखती है और बोली, ” मॉम आप ऐसी थी।।

नंदिता जी बोली,  ” बिल्कुल नहीं वो कॉलेज के दिन थे पर ऐसी नहीं थी मै बहुत डिसिपेंल में रहती थी। अरविंद जी बोले, ” नंदिता झूठ क्यों बोल रही हो बच्चों से…!!

अरविंद तुम फिर शुरू जो गए अगर सुहानी होती तो कान जरूर खींचती मुझे परेशान करने के लिए। सुहानी का नाम सुन अरविंद जी उदास हो जाते हैं और बोले, ” काश वो होती।। 

चाहत उठ कर अरविंद जी के पास आती और उनके गले लागते हुए बोली, ” पापा…! ये सब देख नंदिता जी समझ गई उन्होंने गलत बोल दिया इसलिए बात को बदलते हुए बोली, ” राही इसे मिलो ये है चाहत।

अब से ये यही हमारे साथ रहेगी। और तुम्हे पता इसने तुम्हारी कॉलेज ही एडमिशन लिया है। B.sc कंप्यूटर साइंस में….!!

राही चाहत को देखती है और अपने हाथ को आगे करते हुए बोली, ” हैलो…!  चाहत राही को देखती हैं और उससे हाथ मिलते हुए बोली, ” हैलो….!

नंदिता जी बोली, ” राही चाहत तुम्हारे साथ तुम्हारे कमरे में रहेगी। इसलिए तुम उसे अपना कमर दिखा दो। राही मुस्कुराते हुए बोली, ” ओके मॉम…! इतना बोल चाहत को देखते हुए बोली, ” आओ मेरे साथ…!

चाहत अरविंद जी को देखती हैं वो उसे ऊपर जाने का इशारा करते हैं चाहत हा में सर हिला देती हैं। और राही के साथ ऊपर चली जाति है। 

नंदिता जी अरविंद जी को देखते हुए बोली, ” सॉरी अरविंद मुझे सुहानी का नाम नहीं लेना चाहिए था। अरविंद जी हल्का सा मुस्कुरा देते हैं और बोले,  ” नहीं नहीं तुम सॉरी मत बोलो इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है 

सुहानी मेरा कोई बुरा सपना नहीं है वो मेरी बेटी की मां और मेरी बीवी है । उसके जाने के बाद मैने उसका जिक्र इस लिए करना बंद कर दिया ताकि चाहत को उसकी मां की कमी ना खले।।। 

नंदिता जी बोली, ” अचानक सुहानी को हुआ क्या था। अरविंद जी बोले, ” कैंसर ब्लड कैंसर जब हमे पता चला लास्ट स्टेज थी। और वक्त हाथ से निकल चुका था। 

इतना बोल उनकी आंखों में आंसू आ जाते है। नंदिता जी उनके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली, ” मुझे माफ करना तुम्हारे बुरे वक्त में मै तुम्हारे पास नहीं थी। 

अरविंद जी बोले तुम्हारी गलती इन सब में नहीं है मैने सुना था उसी वक्त तुम्हारे हसबैंड की कार एक्सीडेंट में जान चली गई थी। 

और मै भी चाहत में इतना बीजी हो गया तुम्हारे पास नहीं आ पाया मै तुम्हे माफी मांगना चाहता हूं तुम्हारे सबसे बुरे समय मै तुम्हारे साथ नहीं था।। 

नंदिता जी बोली, ” कोई बात इसमें ना तुम्हारी गलती थी और ना मेरी हमारी किस्मत जो लिखा था वही हुआ। पर अब सब कुछ ठीक हो चुका इसलिए ये सब भूल जाओ। और आज की बात करते हैं। अरविंद जी हा में सर हिला देते हैं।।।

दोनो आगे की बाते करने लगते है। वही दूसरी तरफ राही चाहत को अपने कमरे में ले जाती हैं। और बोली, ” आज से ये कमरा तुम्हारा भी हुआ। हम दोनो साथ में बहुत इंजॉय करेंगे। 

चाहत मुस्कुराते हुए हा में सर हिला देती हैं। और एक नजर पूरे कमरे को देखती हैं। तभी उसकी नजर सामने की दीवार में जाती हैं। जहां कई फोटो लगी थी। जिसमें राही के अलावा नंदिता और बाकी सब भी थे। 

चाहत दीवार पर लगी फोटो को देखते हुए बोली, ” ये…!! इतना बोली ही थी तभी राही ने कहा , ” ये मेरी छोटी सी फैमली है। मै मॉम डैड और मेरे बड़े भइया…!!

चाहत फोटो को देखते हुए बोली, ” ये मास्क वाले कौन है। इतना सुन राही मुस्कुराती है और बोली, ” ये मेरे बड़े भइया हैं। इन्हें फोटो खींचना पसंद नहीं है ना। 

इसलिए ये हमेशा मास्क लगा लेते हैं। और इसलिए इनकी फोटो ऐसी है। राही की बातों को सुन चाहत बोली,  ” बहुत ही अजीब है तुम्हारे भइया इतना बोल कृषगं कि आंखों में देखती है। 

फोटो में उसकी काली गहरी आंखे बहुत अट्रैक्टिव लग रही थीं। चाहत उन आंखो को देख उसमें खो सी जाती हैं। 

राही चाहत को बुलाते हुए बोली,  ” चाहत क्या हुआ।। राही की आवाज सुन चाहत होश में आती और अपनी नजरे नीचे करते हुए बोली,  ” कुछ भी नहीं इतना बोल अपनी नजरे नीचे कर लेती हैं। 

राही चाहत को देखते हुए बोली , ” कृषगं नाम सुनते ही चाहत राही को देखती हैं। राही मुस्कुराते हुए बोली, ” मेरे भाई का नाम कृषगं सिंह राठौड़….!! 

चाहत कुछ भी नहीं बोलती हैं और जा कर खिड़की के सामने खड़ी हो जाती है। और अपनी आंखे बंद करते हुए धीरे से बोली, ” कृषगं….!!

अपना नाम सुनते ही कृषगं अपनी आंखे खोल उठ कर बैठ जाता हैं और इधर उधर देखते हुए बोला, ” कौन है।।।

Nest episode me।।।

कैसी होगी कृषगं और चाहत की पहली मुलाकात जानने के लिए पढ़ते रहिए।। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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