Meri Saanso Ko Teri Zarurat Hai – Episode 2

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जहाँ ज़ारा बेफिक्र होकर होटल के अंदर जा रही थी, वही उसी होटल के एक फ्लोर पर मौजूद बड़े से ऑफिस केबिन में एक नन्ही सी प्यारी बच्ची, जिसे उसके पापा ने अपनी गोद में उठाया हुआ था, वो बड़े ध्यान से सीसी टीवी कैमरे के जरिये टीवी स्क्रीन पर दिख रही ज़ारा को होटल के अंदर आते हुए देख रही थी। जैसे ही उस बच्ची ने स्क्रीन पर ज़ारा को देखा, वो एक्साइटमेंट में अपनी छोटी-छोटी बाहें आगे बढ़ाने लगी। उसके मासूम चेहरे पर एक ऐसा एक्सप्रेशन था, जैसे उसने किसी अपने को पहचान लिया हो। वह बार-बार अपनी तोतली आवाज़ में कह रही थी, “मम्मा, मम्मा।”

मायरा,” तनिष्क ने उस बच्ची को हल्के से पुकारा और उसे और स्ट्रोंगली अपनी गोद में थाम लिया। उसकी पकड़ में एक अपनापन और डर दोनों ही झलक रहे थे, जैसे उसे डर हो कि उसकी बच्ची कहीं अपनी मासूम मस्ती में उसकी गोद से नीचे ना गिर जाए।

वही तनिष्क के पास लेकिन उससे कुछ दूरी में खड़ी सरिता आंटी, जो मायरा की नैनी थीं, उन्होंने धीरे से तनिष्क से कहा, “साहब, अगर आप कहें तो मैं मायरा बेबी को संभाल लूं।”

तनिष्क ने बिना अपनी नज़र मायरा से हटाए अपनी गहरी आवाज़ में उन्हें जवाब दिया, ” नहीं रहने दीजिये, मैं संभाल लूँगा मायरा को | क्यूकी अभी  मेरी बच्ची को अपनी ‘मां’ को देखना है, इसलिए उसे अभी अपनी माँ को देखने दीजिये | “

तनिष्क की बात सुनकर सरिता आंटी कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोलतीं, लेकिन फिर वो रुक गईं। वो जानती थीं कि ज़ारा, मायरा की असली मां नहीं थी। मायरा की मां, तनिष्क की पत्नी सारा थी, जिसकी एक साल पहले एक एक्सीडेंट में डेथ हो गयी थी। लेकिन तनिष्क आज भी अपनी पत्नी को खोने के उस सदमे से उबर नहीं पाया था। उसकी आंखों में अब भी उस दर्द की परछाई दिखती थी।

सरिता आंटी ने मन ही मन सोचा, “साहब कितने मजबूत दिखने की कोशिश करते हैं, लेकिन ये छोटी सी बच्ची हर बार उनके इमोशंस को दुनिया के सामने ला देती है।”

“मम्मा, मम्मा!”

इधर छोटी सी मायरा बार-बार ज़ारा को एल.  ली. डी स्क्रीन पर देखके चीखे जा रही थी। उसकी नन्ही बाहें स्क्रीन की तरफ बढ़ रही थीं, जैसे बस किसी तरह वो स्क्रीन के अंदर जाकर ज़ारा के पास पहुँच जाए। उसकी मासूम आंखों में ऐसी बेचैनी थी, जिसे देखकर किसी का भी दिल पिघल जाए।

तनिष्क को मायरा को संभालने के लिए काफी जोर लगाना पड़ा। उसने अपनी बच्ची को अपनी गोद में और मजबूती से पकड़ लिया, ताकि वह गिर न जाए। लेकिन मायरा की ज़िद और छटपटाहट देखकर उसके माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिख रही थीं।

पास खड़ी सरिता आंटी, जो मायरा का पूरा ध्यान रखती थीं, उन्होंने ये सब देखा तो उनका भी दिल भारी हो गया। मायरा की इस बेचैनी और ज़िद ने उन्हें अंदर तक परेशान कर दिया।

असल में, मायरा ने ज़ारा को “मम्मा” क्यों कहा, इसके पीछे एक छोटी लेकिन इंटरेस्टिंग सी स्टोरी थी | 

कुछ दिन पहले:

तनिष्क, जो अपने बिज़नेस की वजह से अक्सर बिजी रहता था, उस दिन कुछ समय के लिए अपने साथ मायरा को लिए अपनी कार से शहर के भीड़-भाड़ एरिया से होकर कही जा रहा था। वो जयपुर के सबसे फेमस बापू बाज़ार में पहुंचा था। उसकी कार धीरे-धीरे उस भीड़ भाड़ से भरे उस बाज़ार में आगे बढ़ ही रही थी, कि तभी अचानक एक ठेले के पास पहुंचते ही ड्राइवर ने झटके से कार को ब्रेक लगाया।

ठेला एकदम कार के सामने आ गया था। उस ठेले पर पकौड़ी और चाट जैसी चीजें बिक रही थीं। ठेले की मालिक कोई और नहीं, बल्कि ज़ारा थी।

गाड़ी ठेले से टकराई नहीं, लेकिन ज़ारा ने घबरा कर पलटकर कार की तरफ देखा। वही अचानक हुई इस हरकत पर तनिष्क भी खिड़की से बाहर झांकने लगा । और उसी वक्त कार की बैक सीट पर बैठी मायरा की नज़रो ने भी  ज़ारा को देखा।

बस, वहीं से इस स्टोरी की शुरुआत हुई।

मायरा, जो अब तक चुपचाप कार में बैठी थी, अचानक जोर-जोर से चिल्लाने लगी—”मम्मा! मम्मा!”
उसकी आवाज़ में न सिर्फ ख़ुशी थी, बल्कि एक अलग तरह की ज़िद भी थी । वो कार से बाहर उतरकर, ज़ारा के पास जाना चाहती थी | लेकिन कार के डोर लॉक होने की वजह से वो कार से बाहर नहीं जा सकी और रोने लगी | फिर वो अपने बगल में बैठे अपने पापा तनिष्क की ओर मुड़कर उसे देखते हुए उससे कहने लगी, “पापा, मम्मा को बुलाओ ना !”

वही कार के बाहर ध्यान दे रहे तनिष्क ने जब अपनी बच्ची की रोने की आवाज के साथ उसकी फरमाइश सुनी तो उसे कुछ समझ नहीं आया कि उसकी बेटी, जो सिर्फ दो साल की थी और उसने आज तक किसी अजनबी को देखकर ऐसा रिएक्शन कभी नहीं दिया था, वो अचानक आज क्यों एक ठेले पर खड़ी लड़की को “मम्मा” कह रही है।

वो अंदर से थोड़ा घबरा गया था अपनी बच्ची को इस तरह से रियेक्ट करते देख | इसलिए उसने उसी वक्त ड्राइवर को कार आगे बढ़ाने के लिए कहा, ताकि उसकी बच्ची पहले की तरह नार्मल हो जाए। लेकिन तनिष्क ने जैसा सोचा था वो तो बिलकुल नहीं हुआ | मायरा ने उस पूरी रात उस घटना के बाद रो-रोकर सबको परेशान कर दिया था। वही बहुत मुश्किल से तनिष्क ने मायरा को संभाला था | 

वही तनिष्क और सरिता आंटी को ये समझ नहीं आ रहा था कि मायरा ज़ारा के लिए इतना लगाव क्यों महसूस कर रही है। लेकिन तनिष्क के मन में कहीं न कहीं इस इंसिडेंट ने एक हलचल जरूर पैदा कर दी थी।

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