Mafia’s Bride | Episode 1

Share

Episode 1

अनजान जगह.!,

वो बस एक जगह बर्फ़ की तरह जमा हुआ खड़ा बस एकटक अपनी आंखों में आंसु की जगह आग लिए, सामने सुन्य में देखे जा रहा था. |

उसकी उन बड़ी-बड़ी गहरी पीली आंखो में इस वक्त, किसी के लिए हद से ज्यादा नफ़रत और सब कुछ तबाह कर देना वाला जुनून साफ-साफ नज़र आ रहा था. |

उसके आंखों के सामने जैसे-जैसे एक चीता चल रही थी, वैसे-वैसे उस दस साल के लड़के.! की आंखों में जल रही नफ़रत और बदले की लपटे भी साफ दिखाई दे रही थी. |

उसकी लाल हो चुकी वो गहरी पीली और भूरी रंग की आंखे.! ये बयां कर रही थी की शायद अब तक उसके उन आंखो से आंसु की एक बूंद तक नहीं निकली है |

उसके आंखो में छाई वो गहरी लाली, इस बात का सबूत थी की उसके आंसू भी अब तक सुख चुके है.! वो बस वही अपने पेंट की जेब में हाथ डाले एकदम स्थिर खड़ा था. |

उसे देख यही लग रहा था जैसे उसे इस दुनियां में मौजूद किसी भी चीज, जीव, या जंतु से कोई मतलब ना हों, वो इस अंधेरी दुनिया में बिल्कुल अकेला हो., |

उसका कोई अपना ही ना हो.! सामने जलती हुई उस चिता से उठ रही, हवा में लहराती हुई लपटे उसके अंदर पल रहे बेहिसाब नफ़रत और बदले के भावना पर |

जैसे और नमक छिड़क रही थी. । अचानक से उस नदी के किनारे स्थित शमशान घाट पर लगातार दो गाड़ियां आ कर रुकी.! |

जिन में से सबसे पहले कुछ हट्टे-कट्टे बॉडीगार्ड्स काले कपड़े पहने बाहर आए । उसके बाद दूसरी काले रंग की चमचमाती गाड़ी का दरवाजा खुला., |

और उस में से एक 35 साल का आदमी अपने कोट के बटन को बंद करते हुए बाहर निकला. । जिसकी पर्सनेलिटी देख कर ही ऐसा लग रहा था की,

वो कोई नॉर्मल इंसान तो नही था. । उनकी आंखो पर नज़र का चश्मा लगा हुआ था। गोरा रंग और हल्की-हल्की दाढ़ी भी थी उनके चेहरे पर., |

लेकिन उन के चेहरे पर इस समय कोई भाव नहीं था । वो अपने साथ आए लोगो को वही रुकने का इशारा करता है! और फिर उस लड़के की तरफ अपने कदम आगे बढ़ा देता है।

शायद उस लड़के को उस आदमी के आने का एहसास पहले से ही हो गया था. । लेकिन फिर भी उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई., वो बस वही अपनी जगह पर खड़ा., |

सामने जलती हुई आग की लपटों को अपनी ख़ामोश आंखो से देख रहा था- “तो आ ही गए आप बाबा.? लेकिन यहां आए ही क्यों.?” |

उस लड़के ने अपने शांत आवाज़ में पीछे खड़े उस इंसान से कहा । हालांकि उसकी वो गहरी पीले रंग की लाल हो चुकी आंखे अभी भी बस सामने बिना किसी भाव के उस चीता को राख होती हुई देखे जा रही थी. |

लेकिन उसके कहने पर भी उस आदमी के चेहरे पर कोई भाव नहीं आया और वो तब भी चुप रहा. । वो भी वैसे ही अपनी जगह खड़ा रहता है. |

उसका वो गोरा मासूम सा दिखने वाला चेहरा सख़्त और लाल पड़ गया था, उसकी बड़ी-बड़ी आंखे इस वक्त ऐसी लग रही थी! जैसे उनमें से अभी खून निकल ने वाला हो शायद वो किसी के प्रति बेहद नफरत और गुस्से के कारण था.? |

उसके लंबे काले कंधे के ऊपर तक आते बाल हवा में लहरा रहे थे. । उसके एक हाथ की मुट्ठी कस कर भिंची हुई थी जबकि दूसरा हाथ उसके पेंट के पॉकेट में कैद था. |

क्या कोई कहता एक बारह साल का बच्चा कभी इस तरह अपनी मासूमियत से भरी उम्र में इतना सख़्त और नफ़रत के भाव को समझ भी सकता था.? |

जबकि यहां तो वो दस साल का लड़का नफ़रत और बदले की आग में तप रहा था। कुछ पल बाद वो आदमी यानी जिसे उस लड़ने ने बाबा! कह के पुकारा था. |

वो उस लड़के के पास जाकर उस के सिर पर अपना हाथ फेरते हुए उससे अपने शांत मगर गंभीर और भारी आवाज में बोले –

“आप अभी तक घर क्यों नही गए.? आपको पता है ना आप कौन है.? आप का ऐसे अब अकेले रहना ठीक नहीं है و आपके जान को खतरा है उन लोगों से, वो बस एक ताक में बैठे है की कब वो आपको मौत की नींद सुला दे.” |

“हुम्ह! ये कभी नहीं हो सकता तब तक तो बिल्कुल भी नहीं जब तक अब मैं उन के कातिलों को भरी बाज़ार में, चौराहे पर खड़ा कर, पूरी दुनिया के सामने तड़पा तड़पा करअपने इन हाथों से नही मारता ! उनके जिस्म से खून की एक एक बूंद जब तक निकाल नही लेता तब तक तो हरगिज़ नहीं.!” उसकी उम्र भले ही कम हो! पर इस वक्त उसकी उन दहकती लाल आंखों में., |

साफ-साफ झलक रहा नफ़रत और सब कुछ बर्बाद कर ने का जूनून किसी लौ की तरह भभकता हुआ दिखाई दे रहा था.,! |

जिसे उसके बगल मे खड़े उस के बाबा! ने जब देखा. । तो अब तक उनके भावहीन और कठोर चेहरे पर गर्व भरी मुस्कान उभर आई.! |

आखिर था तो वो शिवराज सिंह राठौड़ का ही बेटा! जिसका एक नाम ही काफी था चारों तरफ अपना राज स्थापित करने के लिए. |

जिसने मरते हुए भी अपने गुरूर को, अपने उसूल को, और अपने व्यक्तित्व को खुद से आज़ाद नही होने दिया – “हम्म! ठीक है लेकिन अब घर चलिए आप, रात बहुत हो चुकी है! वहां भी कोई आपका अपना है.” |

उन्होंने वापस से उसके सर को सहलाते हुए कहा तो अचानक उस लड़के के चेहरे पर दर्द और व्यंग भरी मुस्कान उभर आई – “घर.? वो भी हमारा.? कोन सा घर.?” |

“वो घर जहां वो औरत! इस ताक में बैठी है की, कब वो मौका मिलते ही अपने ही सके बेटे को अपने सामने देखे और उसका गला अपने ही हाथों से दबा |

उसे हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दे., वो घर जहां उन के कातिलों का बसेरा है ह्हह ! ये हम से नहीं होगा बिलकुल भी नहीं. आप से किस ने कहा की आप उस नर्क में जाने वाले है.?” |

उस लड़के की बात पर उसके बाबा! ने बड़ी ही रौब से सामने देखते हुए कहा. । जिसे सुन उस लड़के की वो लाल रंग से सनी आंखे तुरंत उनकी तरफ हो गई |

जैसे वो ये पूछना चाहती हो की आप कहना क्या चाहते है.? – “आप हमारे साथ चलेंगे अपने घर, अपने रियासत में, जहां आपके दादा साहेब रहते है.! ये हमारा नही बल्कि उनका ही हुक्म है.! और आज आप नकार नही सकते है.” |

“आइए हमे यहां से जल्द से जल्द निकलना होगा! क्योंकि उनके महल पहुंचने से पहले हमे उनके सामने हाज़िर होना ही होगा! अब हम और वो हम दोनो ही आपकी कोई और बात हरगिज़ नहीं सुनेंगे.” |

उन्होंने उस लड़के को लगभग अपना फरमान सुनाते हुए बोले. । जिसे सुन उस छोटे से दस साल के लड़के ने अपनी जलती हुई लाल निगाहों से उनकी तरफ घूर कर देखा. |

और फिर सामने जल कर राख हो चुकी उस चिता के करीब जा.! उसकी अभी भी कायम तपन को बर्दास्त करते हुए. । वो नीचे घुटनों के बल बैठा और फिर अपने एक हाथ |

को पीछे कर पास पड़े हुए एक छोटे से घड़े हो उठा । अपने नन्हे नन्हे हाथों की कसी हुई मुट्ठी को बेहद मुस्किल से खोल, सामने फैली हुई राख को अपनी उन्ही नन्हे हाथों की मुट्ठी में भर, अपना सर हल्का सा टेढ़ा करते हुए. |

अपने नफ़रत और बदले के जुनून से भरी लाल आंखो के ठीक सामने करते हुए जुनून और बेहद ठंठे लहजे में दूर सामने चारो तरफ फैली उस घनी अंधेरी रात की हुकूमत को देख बोला –

“जैसे आज ये अंधेरी रात मेरे और आपके बीच आई है.! वैसे ही सालों बाद एक-एक दिन ऐसी ही अंधेरी राते उनके जिंदगी में भी आएंगी! जिन जिन लोगों में आपको मुझ से आज दूर किया है. |

“उन उन लोगों को उनकी जिंदगी से मैं दूर कर दूंगा.! जैसे जैसे आज आपके शरीर से खून की बूंदे एक एक कर के मेरे आंखो के सामने रिसतीठीक वैसे वैसे ही मैं अपने इन्ही हाथों से उनके जिस्म से खून का एक एक कतरा निकाल फैंकुंगा जैसे आज ये अंधेरी और काली रात मेरे ऊपर हस रही है ठीक वैसे ही एक दिन इन अंधेरों और काली रातों को मैं अपना गुलाम बना लूंगा. |

“आज और इसी वक्त से मेरा आप से वादा है । इन अंधेरों की तरह मैं इतना काला और बेरहम बनूंगा की पूरी दुनिया तो क्या मौत भी मुझ से ख़फ़ा खायेंगी.! आज मैं यानी की रूद्रज शिवराज राणावत ! आपसे वादा करता है, |

एक दिन ये पूरी दुनिया मेरी मुठ्ठी में होगी और आपके कातिलों का सर मेरे कदमों में.! उस औरत को मैं इस हद तक बर्बाद कर दूंगा की उसका वो हस्र देख. |

“फिर कभी ये औरतें किसी को धोखा देने का अपने सपने में भी नही सोच सकती.! ब्लडी बीच आ रहा हूं में तुम सब की जिंदगी में ऐसा तूफान बन कर, |

की तुम्हारी रूह वापस से इस दुनिया में मरने के बाद भी आने के नाम से ही कांप जाएगी । बस कुछ वक्त और उसके बाद ये सारी दुनिया मेरे कदमों में होगी और ये मेरा आप से वचन है.” |

उस दस साल के बच्चे में इस वक्त हद से भी ज्यादा जुनून और तबाही नजर आ रही थी. |ठीक उसके नाम की तरह ही. अभेंद्र राणावत ! । वो उठा और फिर अपने हाथ में पकड़े उस छोटे से घड़े को लिए हुए वो एक नज़र सामने फैली राख और फिर |

चारो तरफ अपना वर्चस्व स्थापित किए हुए घने और खौफ जदा घने अंधेरे को घूर कर देख । वो पिछले पलटा और फिर अपने बाबा! के साथ वापस गाड़ियों की तरफ बढ़ गया. |

रीडर्स.!

आज का पार्ट कैसा लगा आप सब को.? कमेंट में बताना ना भूले साथ ही प्लीज रिव्यू जरूर से दे ताकि आगे चल कर ये कहानी साइन हो जाए । प्लीज.

To Be Continued 💖✨…!!

Leave a Comment

error: Content is protected !!