L&T के चेयरमैन का विवादास्पद बयान: “आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक देख सकते हैं?” – कर्मचारियों से रविवार को भी काम की अपील, उभरी प्रतिक्रियाओं की लहर

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लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एस.एन. सुब्रहमण्यम (SN Subrahmanyan) का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने कर्मचारियों से 90 घंटे का काम करने की बात कही है, जिसमें रविवार को भी काम करना शामिल है। इस वीडियो में, सुब्रहमण्यम कर्मचारियों से मजाक करते हुए कहते हैं, “घर पर बैठकर क्या करते हो? अपनी पत्नी को कितनी देर तक देख सकते हो?”

यह टिप्पणी तब आई है जब उन्होंने कर्मचारियों से सात दिन काम करने के बारे में अपनी निराशा व्यक्त की। उनके इस बयान ने भारत के निजी क्षेत्र में वर्क-लाइफ बैलेंस (work-life balance) पर एक बड़ा विवाद उत्पन्न कर दिया है।

L&T के चेयरमैन की टिप्पणी पर गुस्सा

इस वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। एक यूज़र ने लिखा, “कर्मचारी स्क्रीन पर कितना समय बिता सकते हैं और मोटे मैनेजर्स को कितनी देर तक देख सकते हैं?” एक अन्य यूज़र ने सुब्रहमण्यम पर द्विविधा (hypocrisy) का आरोप लगाते हुए कहा, “यह वही व्यक्ति है जो अपने काम का बोझ जूनियर पर डालकर घर जा कर अपनी पत्नी को देखता है।”

वर्क-लाइफ बैलेंस पर बहस

सुब्रहमण्यम के इस बयान ने नारायण मूर्ति के 70 घंटे के काम सप्ताह के बयान की याद दिलाई, जिससे पहले ही कॉर्पोरेट कल्चर पर आलोचना हो चुकी है। मूर्ति ने पिछले कुछ महीनों में भारत के आर्थिक विकास के लिए कर्मचारियों के अधिक मेहनत करने की बात की थी और यह भी कहा था कि वर्क-लाइफ बैलेंस का कोई मतलब नहीं है।

इस विषय पर एक और टिप्पणी में कहा गया, “यह एक और CEO है जो बेहिचक गुलामी (slavery) को बढ़ावा दे रहा है।” इस पर बहस ने न केवल L&T के कामकाजी माहौल को बल्कि भारत के निजी क्षेत्र के समग्र माहौल को भी छेड़ा है।

आर्थिक विकास और कड़ी मेहनत की आवश्यकता

नारायण मूर्ति के वर्क-लाइफ बैलेंस पर की गई टिप्पणियां भी चर्चा में रही हैं। उन्होंने भारत के विकास को उसकी मेहनत और बलिदान के साथ जोड़ते हुए कहा था, “भारत को तरक्की करने के लिए अपने नागरिकों की अधिक मेहनत और त्याग की आवश्यकता है।” उनका मानना था कि भारत को पीएम मोदी के 100 घंटे के काम के सप्ताह को अनुकरण करना चाहिए।

स्विगी के CEO का दूसरा दृष्टिकोण

जहां एक ओर सुब्रहमण्यम और मूर्ति जैसे लोग हसल कल्चर (hustle culture) को बढ़ावा दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर स्विगी के CEO रोहित कपूर ने इस कल्चर के खिलाफ अपनी राय रखी। उन्होंने एक इंस्टाग्राम वीडियो में देर रात काम करने को गलत बताया और कर्मचारियों को स्वास्थ्य, परिवार और रिश्तों को प्राथमिकता देने की सलाह दी, जिससे उनके इस व्यावहारिक दृष्टिकोण की सराहना की गई।

समग्र दृष्टिकोण

सुब्रहमण्यम और मूर्ति के बयानों से यह स्पष्ट हो गया है कि भारतीय निजी क्षेत्र में काम करने की संस्कृति पर मतभेद हैं। जबकि कुछ प्रमुख अधिकारी मानते हैं कि अधिक काम करने से देश का आर्थिक विकास होगा, वहीं अन्य यह मानते हैं कि कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की भी अहमियत होनी चाहिए।

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