शिव को ज़रा सा भी गम नही था अपना कितना बडा नुकसान किया हैं उसने बस तसल्ली इस बात की थी की वो हारा नही और अगर हार मिली भी तो उसने बाजी ही जड़ से खत्म कर दी । इंसान की सोच ही उसे औरों से अलग करती हैं और साथ ही उसका व्यक्तित्व भी बताती हैं । शिव की कठोरता ने दर्शा दिया ये कोई पहुंची हुई हंसती हैं या कहे विध्वंसक का रूप है ।
तेवर तो हम वक्त आने पर दिखाएंगे
पूरा शहर तुम खरीद लो उस पर हुकूमत हम चलाएंगे..!
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सुबह का वक्त, नैनीताल
बडे से हॉल में एक मीटिंग चल रही थी । अंदर बैठे मेम्बर्स के चेहरों पर शिकन थी । सामने चल रही स्क्रीन पर कुछ तस्वीरें दिखाई जा रही थी । बाहर खडे गार्ड्स हाथो में हथियार लिए चौकन्ना थे । सिविलियन ड्रेस देखकर ही पता चल रहा था किसी प्रशासन अधिकारी का विला हैं । एक आदमी अपने बगल में फाइल दबाए आंखों का चश्मा ठीक करते हुए रूम के बाहर आकर रूका । ” मुझे होम मिनिस्टर साहब से मिलना है । ”
” सॉरी आप अंदर नही जा सकते होम मिनिस्टर साहब मीटिंग में बिजी हैं । आपको इंतजार करना पड़ेगा । ” गार्ड ने जवाब दिया ।
इंतजार करने के अलावा उस आदमी के पास और कोई रास्ता नही था । वो वही साइड में रखे बैच पर जाकर बैठ गया । विला के दूसरे हिस्से में घर अंदरूनी खूबसूरती देखने लायक थी । उत्तराखंड के होम मिनिस्टर का घर था । तारीफ किसकी जाए और किसकी नही इस पर एक लंबी बहस की जा सकती हैं । पहले चलते हैं किचन में जहां से एक प्यारी सी आवाज कानों में घुल रही हैं ।
” सीता क्या हैं ये सब…? ओरेंज जूस अब तक तैयार नही किया । टाइम पर इस घर में नाश्ता होता हैं और आज तुम लोग लेट हो ।… कविता ये सब्जियां क्यों बिखेरकर रखी हैं? तुम्हें पता हैं न मुझे गंदगी बिल्कुल नही पसंद जल्दी साफ़ करो इसे । ” सिर्फ आवाज में ही जादू नही था । जरा चेहरे की खूबसूरती भी जान लीजिए । रंग गोरा और काली आंखें हांलाकी बडी बडी पलकों का पेहरा था उनपर , छोटी सी नाक और अधरों कि कहना ही क्या ? जब मुस्कुराहट तैरती थी तो मानों घाटी में फिर बर्फ गिरी हो । ”
“सिद्धी दीदी सब हो जाएगा । आप चिंता मत कीजिए । ”
” चिन्ता कैसे न करू कविता । चीजें टाइम पर नही होगी तो … सिद्धी में कहते कहते रूक गयी । बाहर से आरती और घंटियों की आवाद सुनाई दे रही थी । ” आरती शुरू हो गयी । अरे जल्दी से इसे खोलो । ” सिद्धी ने कहा तो कविता उसके पास चली आई और एप्रेन खोलने में उसकी मदद की । सिद्धी ने एप्रेन खोलकर उसके हाथ में दिया और भागती हुई किचन से बाहर चली गई । उसकी जल्दबाजी देख कविता और सीता दोनों एक साथ हंस पडी ।
जब तक सिद्धी वहां पहुंची आरती लगभग खत्म होने को आ गयी थी । सिद्धी ने गले से दुपट्टे खींचा और उसका एक सिरा अपने सिर पर रख लिया और हाथ जोड़कर खडी हो गयी । आरती खत्म होते ही एक महिला पीछे मुडी हरे रंग की साडी में वो बेहद खूबसूरत लग रही थी । उम्र यही कोई पचपन के आस पास होगी । ये है होम मिनिस्टर साहब की पत्नी नर्मदा राव । सिद्धी को देख वो महिला मुस्कुरा दी । ” आज देर नही कर दी तुमने आने में । ”
” सॉरी आंटी वो किचन में देर हो गयी वो क्या हैं न की … इससे आगे सिद्धी कुछ कहती पीछे से किसी ने कहा ” सुबह होती नही इसके बहाने शुरू हो जाते हैं । ” ये कहते हुए दूसरी महिला आगे बढी और उन्होंने आरती ली । दिखने में साधारण नही थी ये । इनके पहनावे से ही इनका क्लास का पता लगाया जा सकता था । ये महिला नर्मदा जी की देवरानी हैं लावण्या राव ।
नर्मदा जी सिद्धी के पास चली आई । उन्होंने आरती की थाल आगे बढाई तो सिद्धी ने आरती ली । ” कृतिका उठी या नही । ”
” आपको तो मालूम ही हैं सूरज देवता को अपना समय परिवर्तन करना होगा । हमारी कृतिका अपने वक्त की पाबंद हैं । बस उसे ही देखने जा रही हू । ” सिद्धी मुस्कुराती हुई वहां से चली गयी । नर्मदा भी उसकी बातों पर मुस्कुरा दी ।
सिद्धी भागती हुई सीढ़ियां चढ ऊपर चली आई । जैसे ही कमरे में पहुंची देखा सारे पर्दे लगे हुए थे । सिद्धी अपना सिर पकड़कर बोली ” सारी दुनिया सुधर जाएगी बस एक तुम मत सुधरना । ” सिद्धी ने जाकर म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया । फिर एक एक कर कमरें के पर्दे को ऊपर उठाने लगी । ……
दर्द ऐसा के हँसी आती है.… साँसों में फँसी जाती है… जिसमें कांटे बिछे हो मंजिल तक,…
जिसमें कांटे बिछे हो मंजिल तक…ऐसे रास्ते पर कौन चलता है .…हाए पानी में हाए पानी में कौन जलता है…
चौधवी शब को कहाँ चाँद कोई ढलता है चौधवी शब को कहां चांद कोई ढलता है…
नींद में खलल पड चुकी थी । ” सिद्धी तुम नही सुधरोगी न । क्यों हर बार मेरी नींद की दुश्मन बन जाती हो । ” ये कहते हुए कृतिका उठ बैठी । सिद्धी ने अपने दोनों हाथ कमर पर रखा और पीछे पलटते हुए बोली ” सुधरने की जरूरत मुझे नही तुम्हें हैं । वक्त देख रही हो । आठ बजने को आ गये और तुम अभी तक बिस्तर पर पडी हो । ”
कृतिका म्यूजिक सिस्टम बंद करते हुए बोली ” अब तुम चालू हो गयी हो तो इसकी क्या जरूरत ? कभी कभार सुबह रोमांटिक सोंग लगा दिया करो ये सेड सोंग सुनकर न पूरी बॉडी वाइब्रेंट होने लगती हैं । ”
” इसलिए तो सेड सोंग लगाती हू ताकी बॉडी वाइब्रेंट करे और तुम जल्दी उठो । काॅलेज नही जाना क्या जाओ जाकर जल्दी तैयार हो जाओ । ”
कृतिका उठते हुए बोली ” जो हुकुम मेरे आंका । तुम तो स्वीट बन नही सकती मेरा बेड लक । दोस्त ऐसी मिली है जो हिटलर की तरह सिर पर सवार रहती हैं और लड़के पापा के डर से पास नही आते । होम मिनिस्टर की बेटी से कौन इश्क फरमाए । ” कृतिका अपनी करूण व्यथा खुद को सुनाते हुए वाशरूम में चली गयी । सिद्धी को इन सबकी आदत थी । उसने कबर्ड से कृतिका की ड्रेस निकाली । वो बेड पर रखते हुए बोली ” कृतिका मैंने तुम्हारी ड्रेस निकाल दी हैं रेडी हो जाना मैं घर जा रही हु । ” सिद्धी की बात पूरी भी नही हुई थी तभी वाशरूम का दरवाजा खुला । कृतिका मूंह से ब्रश निकालते हुए बोली ” घर किसलिए… साथ निकलेंगे कॉलेज के लिए । बस एक घंटा रेडी हो जाऊंगी । ”
” तुम इतमिनान से रेडी हो जाओ मुझे पिक करने घर आ जाना । तुम्हें तो पता हैं न पापा मेरे बिना नाश्ता नही करते । ” सिद्धी का जवाब सुन कृतिका ने वापस दरवाजा बंद कर दिया । सिद्धी जाने के लिए मुडी तो कमरे दो सर्वेंट आई । सिद्धी ने उन्हें समझाते हुए कहा ” बेडशीट ध्यान से बदल देना और कबर्ड में कपडे भी बिगडे हुए हैं उसे ठीक कर देना । ” सिद्धी उन दोनों को काम समझाकर वहां से चली गयी । नीचे आई तो नर्मदा जी से मुलाकात हो गयी । ” वो शैतान जगी या नही । ”
” जाग गयी आंटी और शैतान मत कहिए अगर सुन लिया न उसने तो पूरा राव विला सिर पर उठा लेगी । ” नर्मदा और सिद्धी एकसाथ हंस पडे । ” अच्छा आंटी मैं अब चलती हु । “
” कहूंगी तब भी तुम नाश्ते के लिए नही रूकोगी । ” नर्मदा ने कहा तो सिद्धी मुस्कुराती हुई आगे बढ गयी । लावण्या नर्मदा जी की ओर बढ़ते हुए बोली ” दीदी आपकी यही आदत सबसे खराब हैं । नौकरों को सिर पर चढ़ाकर रखती हैं । यही हाल रहा तो औकाद से बाहर निकल जाएंगे । ”
” लावण्या बस करो । तुम किसे नौकर कह रही हों ? हजार बार कह चुकी हू तुमसे सिद्धी नौकर नही हैं । मेरे लिये कृतिका और सिद्धी में कोई फर्क नही । ” नर्मदा अपनी बात पूरी कर वहां से चली गयी । ये सब सुनकर सिद्धी दरवाज़े पर ही रूक गयी । चेहरे से मालूम पड रहा था इन शब्दों ने उसके दिल को आहत किया है लेकिन जब इंसान को इन तानों कि आदत हो जाए तो फर्क नही पडता । वो खुद को संभालती हुई मेनडोर से बाहर निकल गयी । लावण्या मन ही मन खुद से बोली ” नौकर न कहु तो और क्या कहू ? बेटी बेटी कहकर आप लोगों ने सिर पर चढा रखा हैं । जब तक हद में रहेगी तब तक ठीक हैं वरना इस घर से बाहर करने में मैं फिर किसी की नही सुनूंगी । ”
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सुबह का वक्त, मल्होत्रा विला ( अहमदाबाद )
पूजा समाप्त हुई तो अम्बे मां का नाम जोरों शोरों से लिया गया । पंडित जी ने शंखनाद किया । उनके ठीक दायी तरफ एक वृद्ध महिला खडी थी । उम्र यही कोई सतर साल के आस पास थी । वही दूसरी महिला भागती हुई सीढ़ियां उतर रही थी । उसने फौरन सिर पर आंचल रखा और पूजा में शामिल हो गयी ।
” पंडित जी आज की पूजा में आप विलंब से आए हैं । ”
” क्या बताऊं माताजी रास्ते में काली बिल्ली रास्ता काट गयी थी इसलिए इंतजार करता रहा । कब कोई आकर उस सीमा रेखा को पार करे और मैंने आगे बढ सकू । इसी कारण वश विलंब हो गया । ” पंडित जी ने अपनी सफाई पेश की तो उस महिला ने कहां ” मंदाकिनी देवी समय की कद्र करती हैं । अकारण ही कोई समय की बर्बादी करे ये मुझे कतयी मंजूर नही । ”
” समझ गया माताजी आगे से आपको कोई शिकायत नही मिलेगी । अच्छा तो अब मुझे आज्ञा दीजिए । ” पंडित जी अपनी पूजा की सामाग्री और पुस्तक पुस्तिका उठाकर चलते बने । मंदाकिनी जी पीछे पलटी । सामने खडी औरत हाथ जोड आंखें बंद किये खडी थी । मंदाकिनी जी बोली ” ज्योती यहां किसे धोखा देने की कोशिश कर रही हो ? ” ( ज्योती मल्होत्रा इस घर की सबसे छोटी बहु । )
ज्योती ने अपनी आंखें खोली और हिचकिचाते हुए बोली ” मां कल रात आकाश देर से आए थे । मैं भी इंतजार में देर रात तक जगी रही । सुबह देर से नींद खुली वक्त का पता ही नही चला । ”
मंदाकिनी जी ज्योती की ओर बढते हुए बोली ” बडी बहु से तो मुझे कोई उम्मीद ही नही है । एक तुम हो जो इस परिवार के मान सम्मान को संभालना जानती हो । तुम भी इसी तरह मुझे निराश करोगी तो मेरी चिंताएं बढ़ेगी । ”
” सॉरी मां आगे से ख्याल रखूंगी । ” ज्योती ने देरी न करते हुए उनसे माफ़ी मांग ली । मंदाकिनी जी ने ज्योती की ओर आरती का थाल बढाया तो उसने आगे बढ़कर आरती ली ।
शिव अपने टी-शर्ट की बांह चढाता हुआ सीढ़ियों से नीछे उतर रहा था । चेहरे से ही पता चल रहा था वो सोकर अभी अभी उठा हैं । शिव ने सीधे आकर मंदाकिनी जी को पीछे से हग कर लिया । ” गुड मार्निंग दादी । … शिव ने ज्योति की ओर देखकर कहा” गुड मार्निंग चाची । ”
ज्योती मुस्कुरा दी । उसने मंदाकिनी जी के हाथ से आरती की थाल ली और उसे रखने अंदर चली गयी । मंदाकिनी जी शिव के हाथ पर मारते हुए बोली ” दूर हटो मुझसे अभी तक नही नहाए न । ” शिव उनके गालों पर किस करके बोला ” I’m always fresh. You know how charming and good looking I am. ” शिव के मूंह से अपने लिये तारीफ सुन मंदाकिनी जी बोलीं ” बिल्कुल शर्म नही हैं इस लडके को । न खाने पीने का होश रहता हैं और न ही किसी और काम का ? बस दादी के साथ मसखरी करनी हैं । बेटे तो बिगड़े हुए थे और पोते उनसे भी चार कदम आगे निकले । ”
” शिव…शिव … कोई शिव को पुकारता हुआ अंदर चला आ रहा था ।
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न तो शिव का परिचय पूरा हुआ हैं और न ही कहानी के बाकी करेक्टर्स का । समय और शब्द दोनों का अभाव है । बहुत जल्द उन सभी को जान जाएगी । फिलहाल कहनी शुरूआती अवस्था में है । मुलाकात होगी अगले भाग में
Ishqiya Raah E Junoon
( Anjali jha )
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