Episode 1
लॉन में एक प्रकार से गहरी शांती छाई हुई थी तभी कमरें का दरवाजा खुला और भागती हुई लडकी बाहर निकली । चार कदम भी नही लिये थे उसने और फिसलकर फर्श पर गिरी मानों किसी ने धक्का दिया हो । पूरा चेहरा बालों से ढका हुआ था । उसकी गहरी सांसों की आवाजें उस शांत से वातावरण में शोर उत्पन्न कर रही थी । आहिस्ता आहिस्ता उसने अपना चेहरा उठाया । आंखों में डर इस कदर समाया था मानों होश ओ हवास में न हो । उसने चेहरा घुमाकर कमरे की तरफ देखा जिसका दरवाजा अभी भी खुला हुआ था । वो लडकी रो पडी लेकिन जल्द ही उसने मूंह पर हाथ रख लिया । इस डर से कही कोई उसकी आवाज सुन न ले । चेहरे की रंगत गायब थी । आंसुओं में आंखें पूरी तरह भीग चुकी थी । कपड़े भी अस्त-व्यस्त थे । खुद को संभालते हुए वो उठ खडी हुई । ताज्जुब की बात ये थी चलने में कठिनाई हो रही थी उसे फिर भी दर्द की एक आह मूंह से नहीं निकाल पा रही थी ।
खुद को संभालने के लिए उसने दीवार का सहारा लिया । जाने कैसे हाथों से लगकर वाश नीचे गिर गया जो की पानी से भरा हुआ था । शीशा टूटकर चकनाचूर हो गया । अनायास ही उस लडकी के कदम उस कांच के टुकड़े पर पडा और दर्द की वजह से उसने होंठों अन्दर ही अन्दर भींच लिया । पानी से भरे वॉश में एक मछली थी जो जमीन पर जलविहीन होने के कारण तडप रही थी । उस मछली और उस लडकी में इस वक्त कोई फर्क नही था । मानों दोनों की ही तडप एक सी हो । खुद की सांसों को बचाने की तडप । उस लडकी ने खींचकर कांच को झटके से निकाला ताकी दर्द सिर्फ एक बार हैं । किश्तों में मिला दर्द और भी ज्यादा तकलीफ़ पहुंचाता हैं । वो बिना चोट की परवाह किये आगे बढती चली गयी ।………
दर्द कसक कौन महसूस कर पाता है … इक ज़ख़्म ज़रूरी है जिस्म ओ रूह की टीस के लिए।
जुदाई में नहीं मरते किसी के ये सच है …’ हिज़्र ए नश्तर ज़रूरी है हरपल जीते जी मरने के लिए।
इंतज़ार की तड़प कौन समझता है … इक बेचैनी ज़रूरी है हर लम्हा दहलीज़ पे इक दस्तक सुनने के लिए।
सिर्फ़ बातों से कौन सीख पाया है … इक हादसा सबको ज़रूरी है कुछ सीखनें के लिए।
नही थमती दासतां, जिस्म-औ-रूह ज़ार करने की, और बाकी है क्या, दरिंदगी की हद पार करने को…!
आग फिर उठी हैं, अंगारे दहके हैं आज, चारों तरफ काट दो उंगलियाँ, जो उठे इज्ज़त तार करने को,…!
जहां जहां से उसके पैरो के निशा गुजरे लाल रंग की सियाही जमीं को रंगती चली गयी । जाहिर था उसके आंसुओं से फिर आज चार दीवारी के पीछे कोई हजार मौत मरी होगी । आज फिर किसी के दामन को तार तार किया होगा । शरीर का पता नही लेकिन आत्मा वो जरूर छल्ली हुई होगी ।
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स्टार्ज़ क्लब, अहमदाबाद
डिम लाइट और तेज म्यूजिक के शोर के बीच किसी की उंगलियां टेबल पर जोहर बिखेर रही थीं । ड्रिंक का वेट करते हुए लडके ने कहा ” और कितना वक्त लगेगा थोडा जल्दी नही कर सकते । “
” बस हो गया सर , आपकी वाली स्पेशल ढूंढने में टाइम लग गया । ” ये कहते हुए बार अटेंडर ने विहिस्की की बोटल उसके सामने खोली । ” रोयल 1920 सौ साल से भी ज्यादा पुरानी हैं सर । “
” सस्ती चीजें वैसे भी इवांश को पसंद नही आती । तुम नये हो क्या ? “
” जी सर आज ड्यूटी पर मेरा पहला दिन है । ये लीजिए आपका ड्रिंक । ” ये कहते हुए बार अटैडर ने ड्रिंक आगे बढाया । इवांश को बस कुछ सेकेंड लगे उसे गले से नीचे उतारने में । ” Ones More ” इतना कहकर इवांश ने सामने देखा । दीवार से टिककर एक लड़की खडी थी जो काफी देर से उसे नोटिस कर रही थी । इवांश की आंखें छोटी हो गयी । लड़के ने जैसे ही दूसरा ड्रिंक बनाकर उसके आगे खिसकाया इवांश ने पूछा ” वो जो सामने लडकी हैं मुझे ही देख रही हैं न । “
” सर वो तो काफी देर से आपको नोटिस कर रही हैं । ” इवांश ये सुनकर मुस्कुरा दिया । उसने ड्रिंक खत्म की और गले में बंधी टाई की नॉट ढीली करते हुए उस लडकी की तरफ बढ गया । उसे अपनी तरफ आता देख वो लडकी वहां से जाने लगी ।
” हेल्लो … एक्सक्यूज मी … मैं तुमसे कह रहा हु । ” इंवाश ने उसे आवाज लगाई लेकिन इस शोर के बाच किसे ये आवाज़ सुनाई देती । एक सच ये भी था वो उसे नज़र अंदाज़ कर रही थी । फाइनली इवांश उसके करीब पहुंचा । जैसे ही कुछ कहने लगा उस लडकी ने उसे जेंस वाशरूम में धकेल दिया । हालाकी इवांश गिरते गिरते बचा । उस लडकी ने दरवाजा अंदर से लॉक किया और उससे टिककर खडी हो गयी । इवांश संभलते हुए बोला ” मुझे तुम्हारी नियत कुछ ठीक नही लग रही । “
” नियत तो तुम्हारी भी ठीक नही हैं क्योंकि अगर होती तो मेरे पीछे पीछे यहां तक नही आते । “
” ओह… तो नियत हम दोनों की बिगड़ी हुई हैं । फोर योर काइंड इन्फोर्मेशन ये जेंस वाशरूम हैं । हंगामा हो जाएगा । “
” सो व्हाट … हो जाने दो । आई एम रेडी येट । ” ये बोल वो लडकी इवांश के पास चली गयी । उसने अपना एक हाथ इवांश के सीने पर रखा और दूसरा हाथ उसकी गर्दन पर । देखते ही देखते उसने इवांश के होंठों को छू लिया ।
इवांश उससे दूर होते हुए बोला ” यू वाइल्ड कैट पहले डील कर लो । बाद में मुझे नखरे नही चाहिए । पैसे की डिमांड हैं अभी बता दो । गर्लफ्रेंड या बीवी मैं बनाऊंगा नही । काम के बाद हम आपके हैं कौन …? नाओ …अब क्या फैसला हैं । ” उस लडकी ने घूरकर इवांश को देखा । उसने इवांश का कॉलर पकडा और एक बार फिर उसे नजदीक ले आई । ” तुम्हें पती या बायफ्रेंड बनाने का मेरा कोई इरादा नही हैं । इट्स देट क्लियर । ” अपनी बात खत्म कर वो वापस उसे किस करने लगी तभी इवांश की पॉकेट में रखा फ़ोन बजने लगा । इवांश ने कॉल रिसीव करने की कोशिश की तो उस लडकी ने उसे रोक दिया । फोन बजकर कट चुका था लेकिन एक बार फिर फोन कॉल ने उन्हें डिस्टर्ब किया । इवांश इस बार टाल नही पाया । वो लडकी गुस्से से बोली ” Are you kidding with me? “
” Sorry sweetheart but my call is more important than pleasure.” ये कहते हुए इवांश ने कॉल रिसीव किया । ” हां रिजवान कहो फोन क्यों किया इस वक्त ? “
फोन के दूसरी तरफ से आई खबर ने इवांश को शॉक्ड कर दिया था । वही उसके साथ मौजूद लडकी कभी उसकी कमर को टच करती तो कभी उसके बालों को सहलाती । इवांश गहरी सांस भरकर बोला ” जहां हो वही रूको अभी आ रहा हु । ” इवांश ने जैसे ही फोन काटा वो लडकी उसके सामने चली आई । “
” What the fuck is going on here. अभी तो कुछ शुरू भी नही हुआ और तुम बीच में छोड़कर जा रहे हो । “
” सॉरी स्वीटहार्ट बहुत जरूरी काम हैं । वैसे भी स्टार्टर तो खाया न मेरे साथ । मैन कोर्स के लिए किसी और को ढूंढ लो । ” अपनी बात खत्म कर इवांश वहां से निकल गया । उस लडकी ने गुस्से से अपनी सैंडल उतारकर उसके पीछे वार किया लेकिन इवांश बच गया । ” Don’t let me see you bastardy again. ” ये कहते हुए वो लडकी जोर से चिल्लाई ।
इवांश भागता हुआ बार से बाहर निकला । जल्दी से पार्किंग में लगी गाडी को बाहर निकला । ” इन्हें कोई नही समझा सकता । अब पता नही कौन सा नया तमाशा खडा कर दिया होगा । ” इवांश ने फुल स्पीड में गाडी सडक पर दौरा दी ।
इधर सडक के बीचों बीच चार गाड़ियों का काफिला रूका हुआ था । किसी के चीखने की आवाजे आ रही थी मानों उसे पीटा जा रहा हों । आस पास खडे हट्टे कट्टे बाॅडीगर्डस मूक दर्शक बने हुए थे । इवांश ने जैसे ही सामने गाड़ियों को खडे देखा उसने साइड में गाडी रोकी और भागता हुआ बाहर निकला । सामने एक लडका किसी दूसरे लडके को बुरी तरह पीट रहा था । कभी घूसों से तो कभी लात से ।
इवांश ने वहां खडे बॉडिगार्ड से पूछा ” ये क्या नया लफडा हैं रिजवान ? नया बकरा कहां फंस गया ? “
” इस लडके ने अपनी मौत को खुद दावत दी हैं । चीफ की गॉडी को ओवरटेक किया और नशे में अंग्रेजी गालियां भी दी । साथ में लड़कियां थी शायद इसी वजह से हीरोपंती दिखा रहा था । ” रिजवान ने अपनी बात खत्म की तो इवांश ने सिर पर हाथ रख लिया । ” ओह गॉड बैठे बिठाए इस लडके ने मुसीबत मोल ले ली । … तुम लोग खडे क्यों हो जाओ रोको चीफ को । नही तो कल टीवी पर उस लडके की लाश आएगी । “
” अगर चीफ को रोकना इतना आसान होता तो आपको नही बुलाते । ” रिजवान ने ये कहकर अपना पल्ला झाड लिया । इवांश ने गुस्से से अपने हाथों की मुट्ठियां कस ली । इस वक्त किसपर अपना ग़ुस्सा उतारता । फाइनली अपने चीफ को रोकने के लिए वो मैदान में कूद पर । ” चीफ … चीफ़ बात सुनिए मेरी । मर जाएगा लो लडका छोडिए उसे । “
” नही छोड़ूंगा …इसने मुझे गाली दी । जानता भी हैं कौन हू मैं । “
” छोड़िए न चीफ नही जानता होगा आपके बारे में । “
” नही जानता तो जान ले । शिव मल्होत्रा नाम हैं मेरा । पल भर में तुझे ऐसे गायब कर सकता है जैसे तेरा कोई वजूद ही न हो । तूने मुझे गाली दी । छोड़ूंगा नही तुझे मैं । ” शिव वापस से उसकी ओर बढने लगा तो इवांश ने उसे कसकर पकड लिया । ” वो आदमी और मार खाने की हालत में नही हैं चीफ । आपके एक घूंसे से नर्क के द्वार खुल जाएगे । शांत हो जाइए । ” शिव इंवाश से खुद को छुडाते हुए बोला ” बहुत देखे हैं इन जैसे । शिव से टकराने का अंजाम नही मालूम इन्हें । अंजाम मैं इन्हें दिखाऊंगा । … रिजवान लाइटर … शिव के ये कहते ही रिजवान भागता हुआ चला आया और उसकी हथेली पर लाइटर रखकर दूर हट गया । इवांश तो अभी भी यही सोच रहा था शिव इस लाइटर का क्या करने वाला हैं ? शिव ने एक हाथ से अपने चेहरे पर आए बालों को पीछे किया और लाटर जलाकर बडे ही रहस्यमयी ढंग से मुस्कुराने लगा । उसने गाडी की पिछली सीट से शराब की बोतल उठाई और सारी शराब गाडी की बोनट पर उडेल दी । देखते ही देखते उसपर आग लगा दी । इवांश ने फिर अपना सिर पकड लिया । ” भैंस और गाय दोनों गयी पानी में । “
ताज्जुब की बात तो थी ही । सब हैरानी से शिव को देख रहे थे और शिव के होंठों पर रहस्यमयी मुस्कान थी । इवांश ने कहा ” सर आग ही लगानी थी तो उसकी गाडी में लगाते न । अपना क्यों नुकसान किया । वो भी ब्रेंड न्यू कार ? “
” इवांश जो चीजे मुक़ाबले के लायक न रहे उसके होने से कोई फर्क नहीं पडता । इसने मेरी गाडी को ओवरटेक किया और हार शिव मल्होत्रा कभी बर्दाश्त नही करता । उसकी चीजों को कोई हाथ लगाना तो दूर की बात गलत नीयत से भी देख ले तो वो उस चीज को मिटा देता हैं । देटस सिंपल …
शिव को ज़रा सा भी गम नही था अपना कितना बडा नुकसान किया हैं उसने बस तसल्ली इस बात की थी की वो हारा नही और अगर हार मिली भी तो उसने बाजी ही जड़ से खत्म कर दी । इंसान की सोच ही उसे औरों से अलग करती हैं और साथ ही उसका व्यक्तित्व भी बताती हैं । शिव की कठोरता ने दर्शा दिया ये कोई पहुंची हुई हंसती हैं या कहे विध्वंसक का रूप है ।
तेवर तो हम वक्त आने पर दिखाएंगे
पूरा शहर तुम खरीद लो उस पर हुकूमत हम चलाएंगे..!
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अभी तो बस शुरूआत हैं । विध्वंस से आगाज हुआ हैं । परिणाम और भी गहरा होगा । शुरूआती लाइने मैंने गुमराह करने के लिए नही लिखी बल्की एक दर्द सामने रखा हैं जो इस कहानी के मूल में छिपा हैं । कहानी की कड़ियां जैसे ही जुड़ेंगी आप कहानी के हर पहलू को समझने लगेंगे ।
Ishqiya Raah E Junoon
( Anjali jha)
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