कोविड-19 महामारी ने न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डाला, बल्कि बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को भी प्रभावित किया। महामारी के बाद बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज़ (T1D) के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है, जो स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और शोधकर्ताओं के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। इसके पीछे कई संभावित कारण और सिद्धांत हैं, जिनकी जांच की जा रही है।
कोविड-19 का इम्यून सिस्टम पर असर
कोविड-19 मुख्य रूप से श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है, लेकिन इसके शरीर पर व्यापक प्रभाव भी होते हैं। अब तक के अध्ययन यह संकेत देते हैं कि वायरस कुछ व्यक्तियों में ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकता है। कोविड-19 के कारण इम्यून सिस्टम सक्रिय हो सकता है, जिससे ऑटोइम्यून बीमारियों का विकास हो सकता है। गंभीर कोविड-19 संक्रमण इम्यून सिस्टम के कार्य में तेजी ला सकता है, जिससे डायबिटीज़ जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
महामारी के कारण देरी से निदान
महामारी के दौरान, वैश्विक स्तर पर चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हुईं और कई नियमित चिकित्सा यात्राएं स्थगित या रद्द कर दी गईं। इसके कारण बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज़ का निदान देरी से हुआ, क्योंकि इसके लक्षणों की पहचान पहले की तरह जल्दी नहीं हो पाई। अत्यधिक प्यास, वजन में कमी, और थकान जैसे लक्षणों को अन्य बीमारियों के लक्षण समझा जा सकता था या लॉकडाउन के दौरान चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण इन्हें नजरअंदाज किया गया।
आहार और शारीरिक गतिविधियों में परिवर्तन
महामारी ने बच्चों के जीवनशैली में महत्वपूर्ण बदलाव किए, जैसे आहार में बदलाव, शारीरिक गतिविधि में कमी और मानसिक स्वास्थ्य पर असर। बच्चों ने अधिक समय indoors बिताया, जिससे शारीरिक गतिविधि कम हो गई। खराब आहार, बढ़ा हुआ तनाव और व्यायाम की कमी से ऑटोइम्यून बीमारियों के खतरे में वृद्धि हो सकती है। हालांकि, टाइप 1 डायबिटीज़ के साथ इसका संबंध अभी भी अध्ययन के विषय में है।
जैविक और पर्यावरणीय कारकों का प्रभाव
जैविक प्रवृत्ति (जीन) का टाइप 1 डायबिटीज़ के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन पर्यावरणीय कारक भी उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं। कोविड-19 महामारी एक अद्वितीय पर्यावरणीय कारक साबित हो सकता है, जो बच्चों में जीन की संवेदनशीलता के साथ मिलकर डायबिटीज़ का कारण बन सकता है। कोविड-19 के अलावा अन्य वायरल संक्रमणों (जैसे एंटरवायरस) को भी टाइप 1 डायबिटीज़ से जोड़ा गया है। यह संभावना जताई जा रही है कि कोविड-19 एक नया पर्यावरणीय ट्रिगर बन सकता है, खासकर उन बच्चों में जिनमें पहले से ही जीन संवेदनशीलता हो।
स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच और निगरानी में बदलाव
महामारी के दौरान, स्वास्थ्य सेवा प्रणालियाँ कोविड-19 संकट से जूझ रही थीं, जिससे नियमित टीकाकरण, बाल चिकित्सा देखभाल और पुरानी बीमारियों की निगरानी प्रभावित हुई। इसने कुछ बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज़ के निदान और देखभाल में देरी की, जिससे उनके लक्षण बिगड़ गए। जो बच्चे लॉकडाउन के दौरान डॉक्टर के पास नहीं जा सके, उनका डायबिटीज़ तब तक नहीं पहचाना गया जब तक उनकी स्थिति गंभीर नहीं हो गई, जिससे बीमारी को प्रारंभ में नियंत्रित करना मुश्किल हो गया।