भारत के शेयर बाजारों में 2024 में कई उतार-चढ़ाव आए, जिसमें कई घटनाओं ने खासकर वर्ष के दूसरे भाग में उच्च स्तर की वोलाटिलिटी (volatility) पैदा की। 2024 के लोकसभा चुनावों से लेकर डोनाल्ड ट्रम्प की US में जीत, ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव, और विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयरों की भारी बिकवाली तक, भारतीय शेयर बाजार ने यह सब देखा।
आगे बढ़ते हुए, विश्लेषकों का मानना है कि 2025 के पहले हाफ में घरेलू शेयर बाजारों में कंसॉलिडेशन (consolidation) देखने को मिल सकता है, जो घरेलू और वैश्विक आर्थिक घटनाओं पर निर्भर करेगा।
विक्रम कासत, PL Capital-प्रभुदास लिलाधेर के हेड ऑफ एडवाइजरी के अनुसार, “हमारा अनुमान है कि 2025 में शेयर बाजार धीरे-धीरे बढ़ेंगे, जो कॉर्पोरेट कमाई के अनुरूप होगा। यह कोई धमाकेदार रैली नहीं होगी, लेकिन वर्ष के लिए सकारात्मक रहने के लिए पर्याप्त सकारात्मक संकेत हैं।”
2025 में भारतीय शेयर बाजारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक:
- डोनाल्ड ट्रम्प का शपथ ग्रहण और नीतियां: जनवरी 2025 में, डोनाल्ड ट्रम्प का शपथ ग्रहण एक महत्वपूर्ण वैश्विक घटना होगी जो बाजार की मूड (mood) को प्रभावित करेगी। ट्रम्प प्रशासन की नीतियों पर बाजार की नजरें होंगी, जैसे व्यापार, आव्रजन, पर्यावरण संरक्षण और कूटनीति पर बदलाव। इसके संभावित प्रभाव भारतीय शेयर बाजारों पर भी पड़ सकते हैं, क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के आपसी संबंध हैं।
- 2025 का केंद्रीय बजट और सरकार की कैपेक्स योजना: फरवरी में भारतीय सरकार 2025-26 के लिए बजट पेश करेगी, जिसमें कैपेक्स (capital expenditure) पर जोर दिया जा सकता है। विशेषकर इंफ्रास्ट्रक्चर, डिफेंस और रेलवे जैसे क्षेत्रों में सुधार और विकास को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे इन क्षेत्रों के लिए सकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है।
- महंगाई और RBI की ब्याज दर कटौती: भारतीय रिजर्व बैंक की ब्याज दरों में कटौती (rate cut) के फैसले 2025 में भारतीय शेयर बाजारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। महंगे खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी और बेहतर कृषि उत्पादन के बाद, RBI फरवरी तक ब्याज दरों में कटौती की संभावना को देख सकता है, जिससे आवास, उपभोक्ता, और NBFCs जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा मिल सकता है।
- कॉर्पोरेट कमाई: 2024 में कमजोर कॉर्पोरेट कमाई के कारण भारतीय शेयरों में गिरावट आई। हालांकि, 2025 में एकल अंकों में कमाई वृद्धि (single-digit earnings growth) देखने को मिल सकती है, लेकिन FY25-27E में 16 प्रतिशत CAGR (compound annual growth rate) का अनुमान है, जो निवेशकों का विश्वास बढ़ा सकता है।
- विदेशी निवेशक प्रवाह: पिछले कुछ महीनों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों की भारी बिकवाली की है। 2024 में, एफआईआई (FII) ने 2.91 लाख करोड़ रुपये मूल्य के भारतीय शेयर बेचे। 2025 में एफआईआई/FPI प्रवाह में सुधार होने की संभावना है, जिससे बाजार की दिशा तय हो सकती है।
- भूराजनीतिक स्थिरता और तेल की कीमतें: वैश्विक भूराजनीतिक संघर्षों, जैसे यूक्रेन-रूस और ईरान-इज़राइल का समाधान ऊर्जा कीमतों को स्थिर कर सकता है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को आसान बना सकता है। ट्रम्प के लौटने से तेल की कीमतें $70–$75 प्रति बैरल के बीच स्थिर हो सकती हैं।
- मूल्यांकन: मिड- और स्मॉल-कैप (mid and small-cap) शेयरों में मूल्यांकन उच्च स्तर पर है, जो कॉर्पोरेट कमाई और आर्थिक वृद्धि के संबंध में अनिश्चितताओं को दर्शाता है। सकारात्मक परिणाम मिलने पर यह निवेशकों का आत्मविश्वास बढ़ा सकता है।
- चाइना+1 रणनीति: डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों से चाइना+1 रणनीति को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे भारत में निर्माण (manufacturing) को बढ़ावा मिलेगा और यह चीन के स्थान पर एक प्रमुख निर्माण केंद्र बन सकता है।