Billionaire’s sweet bride | Episode 3

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Episode 3- Mahi in danger

 उस लड़की ने रोते हुए अपना चेहरा ऊपर किया और शांतनु की तरफ देखा। शांतनु उसकी तरफ देखकर बड़बड़ाया,”माहिका?” वो लड़की उठकर खड़ी हो गई। उसकी आँखों में आँसू थे। शांतनु उसका चेहरा देखते हुए उसे पहचानने की कोशिश कर रहा था। उस लड़की ने हाथ जोड़ते हुए कहा,”सर! वो लोग मेरे पीछे पड़े हुए हैं।”

 शांतनु उठकर खड़ा हुआ और बोला,”तुम हो कौन?”

 “म– मैं माही आहूजा।” उस लड़की ने जवाब दिया। 

 शांतनु धीरे से,”माही? माहिका क्यूँ नहीं?”

 माही आहूजा जो दिखने में काफी ज्यादा खूबसूरत थी। झील सी आँखें, लंबा कद,लहराते हुए बाल और इस टाइम उसने सिम्पल सा सूट पहना  हुआ था। 

 शांतनु मन में सोचने लगा,”ये तो काफी उसी लड़की से मिलती है। लेकिन ये वो नहीं है। अगर वो होती तो मुझे ज़रूर पहचान गई होती क्यूंकी उसने तो मेरी जान बचाई थी।” ये सोचकर शांतनु ने कहा,”तुम मेरे कैबिन में बिना पर्मिशन के कैसे आई?”

 माही उसके सामने गिड़गिड़ाते हुए बोली,”प्लीज़ सर! म–मुझे बचा लीजिए।”

और तभी शांतनु के कैबिन का दरवाजा एक बार फिर से खुला। उसके सामने दो  गुंडे खड़े थे। शांतनु और माही  ने उनकी तरफ देखा। 

अभी कुछ देर पहले

माही कुछ देर पहले अपने हाथ में एक फाइल लिए जेसिस क्लब में दाखिल हुई। उसके दाखिल होते ही लोग उसकी तरफ देखने लगे। चारों तरफ शराब की स्मेल फैली हुई थी। माही ने मानो अपनी सांस रोक ली और अपनी नज़रें झुकाए आगे बढ़ गई। माही को ऐसे क्लब्स में जाने का कोई शौक नहीं था। इसलिए उसे यहाँ बहुत अन्कम्फ्टबल महसूस हो रहा था। 

 वो बड़बड़ाई,”मुझे फिलहाल अपने काम पर ध्यान देना चाहिए।”

 कुछ ही देर में वो एक प्राइवेट चैम्बर में दाखिल हो गई। सामने से उसे हवा में उड़ता हुआ सिगरेट का धुआँ दिखाई दिया और कुछ हंसने की आवाज़ें आईं। 

 माही अपना गला साफ करते हुए बोली,”स– सर, गुड ईव्निंग।”

 एक आदमी ने पीछे घूमकर देखा। 

 माही ने अपनी बात दोहराते हुए कहा,”मिस्टर अग्निहोत्री! मैं वो फाइल ले आई हूँ जो आपने मुझसे लाने के लिए कहा था।”

मिस्टर अग्निहोत्री ने माही की तरफ डेविल निगाहों से देखा। वो लोग सामने लगे सोफ़े पर बैठे हुए थे। मिस्टर रमेश अग्निहोत्री, दिखने में हैन्सम था और उसके ऑफिस का मैनेजर। उसने माही को स्माइल देते हुए कहा,”वेलकम माही। आओ न तुम भी हमें जॉइन करो। ये हैं मिस्टर मनीष  सहाय– Aradhya international से। इन्हें खुशी होगी अगर तुम भी हमारे साथ आओ।”

माही ने  मनीष की तरफ देखा और हल्के से सिर हिलाकर हैलो कहा। मनीष  भी दिखने में काफी गुड लूकिंग था। उन लोगों के सामने शराब पड़ी हुई थी। ये देखकर माही के माथे पर पसीना आ गया। 

उसने कहा,”सॉरी सर! मैं तो बस फाइल देने आई हूँ। मुझे वापिस जाना है। ऑफिस में कुछ काम है। वैसे ही सात बज चुके है।”

मनीष  बीच में बोल पड़ा,”माही जी! काम तो बाद में भी हो सकते हैं। कभी-कभी इन्जॉय भी कर लेना चाहिए। आइए।”

लेकिन माही वहाँ से निकल जाना चाहती थी। रमेश ने पास की सीट पर हाथ मारा और उसे बैठने का इशारा किया। और इसे ऑर्डर समझिए।” माही को वहाँ कुछ भी ठीक नहीं लग रहा था। सब कुछ अजीब था। खासकर मनीष और रमेश की निगाहें जो उसे अंदर तक भेद रही थीं। 

रमेश ने कहा,”माही! मिस्टर मनीष को ड्रिंक सर्व कर दो, प्लीज़।”

माही ने हल्के से अपना मुंह बनाया और आगे बढ़कर व्हिस्की की बॉटल अपने हाथ में ले ली। ग्लास में व्हिस्की डालते हुए उसके हाथ कांपने लगे। वो मनीष की नज़रें खुद पर बहुत अच्छे से महसूस कर पा रही थी। वो उसे बहुत अच्छे से चेक आउट कर रहा था। मनीष ने अचानक माही की कलाई पकड़कर उसे अपने पास खींचा। 

“आप भी हमारे साथ ड्रिंक कीजिए, माही।”

माही ने अपना हाथ छुड़वाने की कोशिश करते हुए कहा,”सर! मैं ड्रिंक नहीं करती। प्लीज़ मेरा हाथ छोड़िए।”

मनीष ने मैनेजर रमेश की तरफ देखते हुए कहा,”रमेश जी! मैंने यहाँ आकर अपना टाइम खराब कर दिया। ये सब क्या है?”

“एक मिनट, मैं इससे बात करता हूँ।”

रमेश खड़ा हुआ और माही के करीब जाकर उसके हाथ पर अपना हाथ कसते हुए कहा,”तुम्हारा दिमाग तो ठीक है, माही? कम से कम एक ड्रिंक से तुम्हारा कुछ नहीं घिस जाएगा। वो हमारी कंपनी के इम्पॉर्टन्ट क्लाइंट हैं और उन्हें खुश करना हमारा फ़र्ज़ है। अगर वो दो पल तुम्हारे साथ स्पेन्ड करना चाहते हैं, तो इसमें प्रॉबलम क्या है? और मैं अच्छे से जानता हूँ कि तुम्हें अपनी मम्मी के हार्ट के इलाज के लिए रुपए चाहिए और मैं इस डील को साइन करना चाहता हूँ। तो तुम मेरी हेल्प करो और मैं तुम्हारी। समझी?”

माही मन में सोचने लगी,”अगर कुछ ड्रिंक्स में मेरी मम्मी का ट्रीट्मन्ट होता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है।”

वो हिचकते हुए पास की सीट पर बैठी और उसने एक पेग पी लिया। मनीष के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने कहा,”एक पेग और। मेरी खातिर,प्लीज़।”

माही को वो कड़वा ड्रिंक बहुत बुरा लग रहा था। उसने शायद ही लाइफ में कभी ड्रिंक की थी। दूसरे ही पेग में उसकी आँखें भारी होने लग गईं। इतने में मैनेजर, रमेश का फोन रिंग होने लगा। वो इक्स्क्यूज़ मी बोलकर चैम्बर से बाहर निकल गया। अब माही मनीष के साथ अकेली थी। अब माही को वहाँ अकेले डर लगने लगा क्यूंकी मनीष की आँखें उसके ऊपर रुक चुकी थीं। 

मनीष ने अपना हाथ अचानक माही के हाथ पर रखा और वो उसे गलत तरीके से छूते हुए बोला,”माही! तुम बहुत ज्यादा खूबसूरत हो।”

माही ने मनीष को पीछे किया और बोली,”सर! अगर आप अपनी हदों में रहें तो अच्छा होगा। मैं यहाँ रमेश सर की वजह से रुकी हूँ। वरना..”

मनीष ने अपने दांत पीसे और उसके हाथ पर अपना हाथ कसते हुए बोला,”ज्यादा भोली बनने का नाटक मत करो। इतनी शरीफ अगर होती तो नाइट क्लब में नहीं आती। मैं तुम जैसी औरतों को बहुत अच्छे से जानता हूँ। अब ये बताओ कि तुम्हारी एक रात की कीमत क्या है? तुम जितनी कहो उतनी कीमत दूंगा।”

माही को मनीष की इस बात पर इतना गुस्सा आया कि उसने मनीष के मुंह पर थप्पड़ मार दिया। 

“मुझसे इस तरह से बात करने की आपकी हिम्मत कैसे हुई,मिस्टर मनीष? आपने मुझे समझ क्या रखा है?”

मनीष ने माही को सोफ़े पर पीछे धकेला और उस पर अपनी पकड़ कस दी। 

“छोड़ो मुझे।” माही चिल्लाई। मनीष उस पर झुककर जबरदस्ती करने की कोशिश करने लगा। उसने माही का दुपट्टा उतारकर नीचे फेंक दिया। माही ने लेकिन हार नहीं मानी। उसने मनीष को ज़ोर से लात मारी। मनीष दर्द में कराह गया। ये देखते ही माही अपना दुपट्टा और पर्स उठाकर दरवाजे की तरफ भागी। 

“You bitch. पकड़ो उसे।”मनीष चिल्लाया। 

जैसे ही माही बाहर पहुंची, मैनेज रमेश ने उसका रास्ता रोकते हुए पूछा,”तुम कहाँ भाग रही हो? क्या हुआ?” रमेश ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे दीवार से लगाते हुए बोला,”तुम्हारे लिए यही अच्छा है कि तुम खुद को हमारे हवाले कर दो।”

वो और मनीष दोनों माही के साथ बतमीज़ी करने लग गए। 

लेकिन माही ने ज़ोर लगाकर उन दोनों को  धक्का दिया और बिना पीछे देखे भागने लगी और शांतनु के प्राइवेट चैम्बर में घुस गई। 

अभी का टाइम 

माही की आँखें आंसुओं से भरी हुई थी। 

“ये लोग मुझे अपने बॉस के हवाले कर देंगे। मुझे बचाईए। मैं आपके लिए कुछ भी करूंगी।”

ये सुनकर शांतनु ने अपनी भौहें उठाईं और माही की ओर देखा। 

क्या शांतनु माही को उन गुंडों से बचाएगा?

To be continued ..

 

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