Dulhan sode ki

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This is my new novel if you like the story then give your love and support 

 

देहरादून 

देहरादून के एक घर मे बहुत ही उधल पुथल मची हुई थी, एक 45 साल की औरत चिल्ला के बोल रही थी ” तुम्हे स्कूल नहीं जाना क्या?  कब तक़ सोती रहोगी “?

 तभी एक 20 साल का लड़का अपने हाथो मे दूध और ब्रेड का पैकेट ला के किचेन मे रखते हुए कहता है ” माँ मुझे आज नयी shirt चाहिए कल मेरे दोस्त की पार्टी है मैं क्या वह पुराने कपडे पहनुंगा। “

 बेटा ओज, मै उसे उठा तो रही हूँ लेकिन वह उठे तब ना,मै तो कब से उठा रही हूँ, तभी दो लड़कियां आती है उनकी उम्र करीब 19 और 16 साल हो गी उसमे से एक ने अपनी माँ पार्वती को एक लिस्ट देते हुए कहती है ” माँ ये लिस्ट दी को दे देना और बोलना की मुझे ये चीजें आज ही चाहिए। “

और माँ ये मेरी किताबों की लिस्ट है जो मुझे चाहिए क्लास शुरू हो गए लेकिन मेरे पास कोर्स की किताबें ही नहीं,पार्वती दोनों की लिस्ट अपने सामान के लिस्ट के साथ रखते हुए फिर से चिल्ला के कहती है ” वेदांशी आज कसम खा लिया है क्या की हमें परेशान कर के मानोगी उठती हो की मै आउ।”

 वही एक मीठी सी आवाज आती है ” आती हूँ माँ। “

 वह आवाज वेदांशी की है, वेदांशी एक 23 साल की सावाले रंग की लड़की है, लेकिन उसके नैन नख्स बहुत ही खूबसूरत, काली आँखे, लम्बे बाल जिनकी लटे उसके छोटे और मासूम से चेहरे पर आते है, पतला शरीर वह बिस्तर से जैसे उठ के नीचे पैर रखने को हुई की उसने अपने पैर बिस्तर पर दुबारा रखते हुए बोला ” sorry धरती माँ मै भूल गयी ।'”

 वेदांशी झुक के धरती माँ को अपने हाथो से छुती है और हाथ जोड़ के कहती है ” आज का दिन अच्छा हो बस।”

 वह अपने बालो का जुड़ा बनाते हुए अपने कमरे से बाहर जाती ही है की पार्वती उसके ऊपर चिल्लाते हुए कहती है   ” आज ही तुम्हे लेट उठना था पता है ना आज सेलरी का दिन है, ये तुम्हारा नाश्ता रखा है खा लेना और ये पकड़ो लिस्ट इनमे से सारे सामान ले लेना समझी।”

 वेदांशी हाँ मे सर हिला के उस लिस्ट को पढ़ती है, वह जैसे जैसे चीजों को. पढ़ती जाती है उसके चेहरे पर परेशानी आती जाती है,तभी वेदांशी की दोनों बहने रक्षा और तृषा उसके पास आते हुए कहती है ” दीदी ये सब ले आना भूलना नही। “

लेकिन रक्षा ये सारे मेकअप के सामान की. क्या जरूरत है और ये तो बहुत महगे हो गे क्या तुम इस मंथ ” उसका इतना बोला था की उसके गालों पर ज़ोर का थप्पड़ पड़ता है ।

 तुमसे कितनी बार बोला है की मेरे बच्चों को किसी चीज के लिए मना मत किया करो लेकिन तुम अपनी हरकतो से बाज़ नहीं आती।” पार्वती जी वेदांसी जी को घूरते हुए कहती है।

 ”माँ ” वेदांशी रूहासे गले से कहती है। 

 जितनी चीजे लिखी है ले आना और हाँ एक एक पैसे का हिसाब चाहिए मुझे ” पार्वती जी वेदांशी से कह के किचेन मे चली जाती है। “वेदांशी चुपचाप अपने कमरे मे चली जाती है और फ्रेश हो कर तैयार हो जाती है, वह अपने बैग को जैसे लेती है उसके बैग उसके हाथो से छूट के नीचे गिर जाता है, वह उसे देख के कहती है ” बस इस महीने साथ दे दो अगले महीने पक्का से बदल लुंगी। “

 उसके बाग़ के हैंडल टूट गए थे जिसे उसने सेफ्टीपिन से टिका के रखा था। वह बाहर जाती है और अपने नास्ते को देखती है जिसमे दो ब्रेड रखे हुए थे, वह उन्हें अपने टिफिन मे रखती है और घर से निकल जाती है।

 वह घर से जैसे निकलती है उसके सामने एक scooty आ के रूकती है , वेदांशी डर से कहती है ” तुम मुझे मार डालोगी क्या श्रेया “?

अरे मेरी जान मै तुम्हे कैसे मार सकती हूँ, श्रेया ने बोला और स्कूटी से उतर के उसके गले लगते हुए कहती है, ” हैप्पी बर्थडे मेरी जान। “

 इतना बोल उसके गालों को पकड़ के चुम लेती है, तभी वेदांशी की अह्ह्ह्ह निकल जाती है।

 श्रेया अपने हाथ को हटा के वेदांशी को ऊपर से नीचे तक़ देखते हुए कहती है ” क्या हुआ तुम्हे “?

 ”कुछ नहीं ” वेदांशी ने बोला।  लेकिन श्रेया की नज़र वेदांशी के चेहरे पर जाती है तो वह देखती है की वेदांशी के होठो के कोने पर थोड़ा सा कट का निशान है और उसके गाल सुजे हुए थे।”

 श्रेया ने गुस्से से बोला ” आंटी ने फिर तुझे मारा “?

 वेदांशी सर नीचे करते हुए कहती है   ” स्कूल चले लेट हो जायेगा “?

 श्रेया गुस्से से कहती है ‘” होता है तो हो जाये लेकिन मुझे समझ नहीं आता वो तेरी सगी माँ है फिर तेरे साथ वह क्यों ऐसा करती है और किसी ने तुझे बर्थडे विश भी नहीं किया होगा। “

 वेदांशी मुस्करा देती है, उसकी मुस्कान श्रेया को गुस्सा दिलाने लगती है, वह अपने हाथ मे पकडे एक गिफ्ट को उसे देते हुए कहती है ” वेदु तू दुनिया के सामने झांसी की रानी हो जाती है फिर उनके सामने क्यों नहीं खड़ी होती तू 17 साल की उम्र से उन सब के लिए काम किये जा रही है और वो तीनो तो तेरे अपने भी नहीं है सोतेले भाई बहन है। “

 छोड़ ना ये सब बातें इसमें क्या है बोल ” वेदांशी की आँखो मे चमक आ जाती है उस पैकेट को देख के क्युकी एक श्रेया ही थी जिसे उसका बर्थडे याद होता था और वह उसके लिए गिफ्ट लाती थी।

 श्रेया उस पैकेट को उसके हाथ मे देते हुए कहती है ” लो “

 और उसे scooty पर बैठने को बोलती है क्युकी उन्हें स्कूल मे जाने के लिए लेट हो रहा था,वेदांशी की माँ ने दूसरी शादी की थी जिनसे उन्हें ओज, रक्षा और तृषा हुए, ज़ब वेदांशी 17 साल की हुई तो उसके सोतेले पिता की डेथ हो गयी, उस समय वह स्कूल मे थी, और बहुत bright student होने की वजह से वह बच्चों को tuition देने लगी उसके बाद उसी स्कूल मे वह जॉब करने लगी और अपनी आगे की पढ़ाई वह private की, स्कूल उसकी दोस्त श्रेया के पापा का था तो उन्होंने वेदांशी की बहुत मदद की।

 कैसा लगा वेदांशी से मिल के, क्या कभी उसकी ज़िन्दगी बदले गी? जानने के लिए हमारे साथ बने रहे……..

 

 Story kaisi lagi please comment me Jarur batana aap log…

 Milte Hain next chapter mein 

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देहरादून 

देहरादून के एक घर मे बहुत ही उधल पुथल मची हुई थी, एक 45 साल की औरत चिल्ला के बोल रही थी ” तुम्हे स्कूल नहीं जाना क्या?  कब तक़ सोती रहोगी “?

 तभी एक 20 साल का लड़का अपने हाथो मे दूध और ब्रेड का पैकेट ला के किचेन मे रखते हुए कहता है ” माँ मुझे आज नयी shirt चाहिए कल मेरे दोस्त की पार्टी है मैं क्या वह पुराने कपडे पहनुंगा। “

 बेटा ओज, मै उसे उठा तो रही हूँ लेकिन वह उठे तब ना,मै तो कब से उठा रही हूँ, तभी दो लड़कियां आती है उनकी उम्र करीब 19 और 16 साल हो गी उसमे से एक ने अपनी माँ पार्वती को एक लिस्ट देते हुए कहती है ” माँ ये लिस्ट दी को दे देना और बोलना की मुझे ये चीजें आज ही चाहिए। “

और माँ ये मेरी किताबों की लिस्ट है जो मुझे चाहिए क्लास शुरू हो गए लेकिन मेरे पास कोर्स की किताबें ही नहीं,पार्वती दोनों की लिस्ट अपने सामान के लिस्ट के साथ रखते हुए फिर से चिल्ला के कहती है ” वेदांशी आज कसम खा लिया है क्या की हमें परेशान कर के मानोगी उठती हो की मै आउ।”

 वही एक मीठी सी आवाज आती है ” आती हूँ माँ। “

 वह आवाज वेदांशी की है, वेदांशी एक 23 साल की सावाले रंग की लड़की है, लेकिन उसके नैन नख्स बहुत ही खूबसूरत, काली आँखे, लम्बे बाल जिनकी लटे उसके छोटे और मासूम से चेहरे पर आते है, पतला शरीर वह बिस्तर से जैसे उठ के नीचे पैर रखने को हुई की उसने अपने पैर बिस्तर पर दुबारा रखते हुए बोला ” sorry धरती माँ मै भूल गयी ।'”

 वेदांशी झुक के धरती माँ को अपने हाथो से छुती है और हाथ जोड़ के कहती है ” आज का दिन अच्छा हो बस।”

 वह अपने बालो का जुड़ा बनाते हुए अपने कमरे से बाहर जाती ही है की पार्वती उसके ऊपर चिल्लाते हुए कहती है   ” आज ही तुम्हे लेट उठना था पता है ना आज सेलरी का दिन है, ये तुम्हारा नाश्ता रखा है खा लेना और ये पकड़ो लिस्ट इनमे से सारे सामान ले लेना समझी।”

 वेदांशी हाँ मे सर हिला के उस लिस्ट को पढ़ती है, वह जैसे जैसे चीजों को. पढ़ती जाती है उसके चेहरे पर परेशानी आती जाती है,तभी वेदांशी की दोनों बहने रक्षा और तृषा उसके पास आते हुए कहती है ” दीदी ये सब ले आना भूलना नही। “

लेकिन रक्षा ये सारे मेकअप के सामान की. क्या जरूरत है और ये तो बहुत महगे हो गे क्या तुम इस मंथ ” उसका इतना बोला था की उसके गालों पर ज़ोर का थप्पड़ पड़ता है ।

 तुमसे कितनी बार बोला है की मेरे बच्चों को किसी चीज के लिए मना मत किया करो लेकिन तुम अपनी हरकतो से बाज़ नहीं आती।” पार्वती जी वेदांसी जी को घूरते हुए कहती है।

 ”माँ ” वेदांशी रूहासे गले से कहती है। 

 जितनी चीजे लिखी है ले आना और हाँ एक एक पैसे का हिसाब चाहिए मुझे ” पार्वती जी वेदांशी से कह के किचेन मे चली जाती है। “वेदांशी चुपचाप अपने कमरे मे चली जाती है और फ्रेश हो कर तैयार हो जाती है, वह अपने बैग को जैसे लेती है उसके बैग उसके हाथो से छूट के नीचे गिर जाता है, वह उसे देख के कहती है ” बस इस महीने साथ दे दो अगले महीने पक्का से बदल लुंगी। “

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 वह घर से जैसे निकलती है उसके सामने एक scooty आ के रूकती है , वेदांशी डर से कहती है ” तुम मुझे मार डालोगी क्या श्रेया “?

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 श्रेया अपने हाथ को हटा के वेदांशी को ऊपर से नीचे तक़ देखते हुए कहती है ” क्या हुआ तुम्हे “?

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 श्रेया ने गुस्से से बोला ” आंटी ने फिर तुझे मारा “?

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 वेदांशी मुस्करा देती है, उसकी मुस्कान श्रेया को गुस्सा दिलाने लगती है, वह अपने हाथ मे पकडे एक गिफ्ट को उसे देते हुए कहती है ” वेदु तू दुनिया के सामने झांसी की रानी हो जाती है फिर उनके सामने क्यों नहीं खड़ी होती तू 17 साल की उम्र से उन सब के लिए काम किये जा रही है और वो तीनो तो तेरे अपने भी नहीं है सोतेले भाई बहन है। “

 छोड़ ना ये सब बातें इसमें क्या है बोल ” वेदांशी की आँखो मे चमक आ जाती है उस पैकेट को देख के क्युकी एक श्रेया ही थी जिसे उसका बर्थडे याद होता था और वह उसके लिए गिफ्ट लाती थी।

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 और उसे scooty पर बैठने को बोलती है क्युकी उन्हें स्कूल मे जाने के लिए लेट हो रहा था,वेदांशी की माँ ने दूसरी शादी की थी जिनसे उन्हें ओज, रक्षा और तृषा हुए, ज़ब वेदांशी 17 साल की हुई तो उसके सोतेले पिता की डेथ हो गयी, उस समय वह स्कूल मे थी, और बहुत bright student होने की वजह से वह बच्चों को tuition देने लगी उसके बाद उसी स्कूल मे वह जॉब करने लगी और अपनी आगे की पढ़ाई वह private की, स्कूल उसकी दोस्त श्रेया के पापा का था तो उन्होंने वेदांशी की बहुत मदद की।

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