यह लड़की झूठ बोल रही है दादाजी मैं भला ऐसा क्यों करूंगा यह मेरे छोटे भाई की पत्नी है और मेरा भाई अगर यहां नहीं है तो यह लड़की मेरी भी जिम्मेदारी है
और आगे की लाइन देवेश अपने चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान लिए कहता है
मैं तो बस अपनी जिम्मेदारी पूरी करने गया था..
और इतना बोलकर देवेश प्रतिमा के करीब आने लगता है और प्रतिमा पीछे जाने लगती है पीछे जाते हुए प्रतिमा दीवार से टकरा जाती है और अब पीछे जाने का कोई रास्ता नहीं होता
देवेश प्रतिमा के करीब आकर प्रतिमा का हाथ पकड़ लेता है और दूसरा हाथ प्रतिमा की कमर में डालकर जबरदस्ती प्रतिमा के होठों को छूने की कोशिश करने लगता है..
अब आगे…
दिवेश प्रतिमा के होठों को छूने की कोशिश कर रहा था लेकिन प्रतिमा बार-बार अपना चेहरा कभी लिफ्ट कभी राइट में करते हुए खुद को बचाने की कोशिश कर रही थी प्रतिमा दोनों हाथों को दिवेश के सीने पर रखकर अपनी पूरी ताकत से देवेश को खुद से दूर करने के लिए धक्का दे देती है दिवेश थोड़ा सा दूर होता है तो प्रतिमा गुस्से में दिवेश को एक जोरदार थप्पड़ मार देती है
दिवेश अपने गाल पर हाथ रखकर एक साइड में झुक गया था प्रतिमा के इस तरह थप्पड़ मारने से दिवेश को भी बहुत गुस्सा आता है और दिवेश एकदम से
सीधा खड़ा होकर प्रतिमा को भी एक जोरदार थप्पड़ मार देता है थप्पड़ की जोर से था की प्रतिमा सीधा जमीन पर गिर जाती है और प्रतिमा के हाथ के किनारे से खून निकल आता है दिवेश गुस्से में प्रतिमा में कहता है
“तेरी इतनी हिम्मत तूने मुझ पर हाथ उठाया दिवेश रघुवंशी पर..
प्रतिमा अपनी गुस्से से भारी लाल आंखों से दिवेश की तरफ देखती है और फिर खड़ी हो जाती है प्रतिमा के चेहरे पर दिवेश के थप्पड़ मारने का निशान बन गया था प्रतिमा के चेहरे पर पांच उंगलियां छुपी हुई थी और होंठ के किनारे से हल्का खून भी आ गया था लेकिन प्रतिमा की आंखों में आग जल रही थी
दिवेश प्रतिमा की आंखों में ऐसा गुस्सा ऐसा जुनून देखकर अपनी हार महसूस करता है और दिवेश फिर से प्रतिमा के करीब आने की कोशिश करता है
तो प्रतिमा एकदम से खड़ी हो जाती है और अपने बेड के करीब अपने कदम बढ़ा देती है लेकिन उससे पहले ही दिवेश प्रतिमा का हाथ पकड़ कर प्रतिमा को अपनी तरफ खींच लेता है
दिवेश के दोनों हाथ प्रतिमा के पेट पर बंधे हुए थे जिससे दिवेश ने प्रतिमा को अपनी बाहों में जाकड लिया था प्रतिमा गुस्से से खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी
दिवेश सरगोशी से प्रतिमा के कान में कहता है
क्यों इतनी मेहनत कर रही हो प्यार से मान जाओगी तो बहुत ही प्यार से ही करूंगा अगर मुझे गुस्सा दिलाओ की तो दर्द तुम्हें ही होगा..
दिवेश की बातों से प्रतिमा को गुस्सा आता है और प्रतिमा अपना सर जोर से पीछे की तरफ हिट करती है तो दिवेश की नाक पर लगता है और दिवेश प्रतिमा को छोड़कर अपनी नाक को पकड़ लेता है दिवेश की नाक से खून निकल आया था
दिवेश फिर से गुस्से में प्रतिमा को देखता है और इस बार प्रतिमा का हाथ पकड़ कर प्रतिमा के बालों को अपनी मुट्ठी में जाकड लेता है और प्रतिमा का सर दीवार में पटक देता है जिससे प्रतिमा के सर पर चोट आती है और प्रतिमा के सर से खून निकलने लगता है
सर पर चोट लगने से प्रतिमा का कर घूम जाता है और प्रतिमान जमीन पर गिर पड़ती है
प्रतिमा अपना सर पकड़ लेती है कि तभी दिवेश प्रतिमा के पैरों को पड़कर प्रतिमा को अपनी तरफ खींचता है और प्रतिमा के ऊपर आने वाला ही होता है कि तभी प्रतिमा एक जोरदार लात उसके पेट पर मार देती है और एकदम से खड़ी होकर अपने बेड के किनारे पर रखी एक दराज को खोलती है और उसमें से अपनी गन निकाल कर दिवेश की तरफ पॉइंट कर देती है
प्रतिमा के हाथों में बंदूक देखकर दिवेश की आंखें भी हैरानी से बड़ी हो जाती है और दिवेश अपने दोनों हाथों को हवा में उठाते हुए प्रतिमा से कुछ बोलते ही वाला होता है लेकिन उससे पहले ही प्रतिमा गुस्से से भड़कते हुए कहती है
चुप… एकदम चुप, अगर एक और अल्फ़ाज़ अपने इस गंदे गटर जैसे मुंह से निकला ना तो इस बंदूक की सारी गोलियां तेरे सीने में उतार दूंगी..
चल निकल, निकल यहां से.
अगर दोबारा मुझे हाथ लगाने की कोशिश करी तो गन चलाने से पहले सोचूंगी नहीं…
प्रतिमा की आंखों में इस वक्त गुस्से की ज्वालामुखी दहक रही थी जिसे दिवेश भी अंदर तक कांप गया था
इसीलिए देवेश चुपचाप दबे पांव प्रतिमा के कमरे से निकल जाता है प्रतिमा जल्दी से आगे बढ़कर कमरे का लॉक लगा देती है और दरवाजे के सहारे टिक्कर खड़ी हो जाती है प्रतिमा आंखें बंद करके खड़ी थी और गहरी गहरी सांस ले रही थी और फिर प्रतिमा धीरे-धीरे जमीन पर बैठ जाती है प्रतिमा की आंखों में लगी आग जैसे कहीं गायब ही हो गई थी और अब प्रतिमा की आंखों में बेबसी के आंसू आ गए थे
कुछ देर पहले प्रतिमा ने अपने अंदर की सारी हिम्मत को जूता कर दिवेश का सामना किया था लेकिन अब प्रतिमा बहुत ही ज्यादा टूट गई थी जिस हाथ से प्रतिमा ने बंदूक पकड़ रखी थी वो हाथ अब कांपने लगा था…
प्रतिमा ने बंदूक जरूर खरीदी थी लेकिन आज तक उसे कभी चलाया नहीं था प्रतिमा को तो बंदूक चलाना भी नहीं आता थी लेकिन प्रतिमा इतना जरूर जानती थी कि अगर इस घर में रहना है तो उसे कभी ना कभी इस बंदूक की जरूरत पड़ सकती है और आज शायद वही वक्त था..
प्रतिमा बंदूक को अपने हाथों से नीचे जमीन पर गिरा देती है और अपने कांपते हाथों से अपने घुटनों को अपने सीने पर बांध लेती है और अपने घुटने पर सर रखकर रोने लगती है..
प्रतिमा काफी देर तक ऐसे ही बैठे हुए रोती रहती है जब उसे थोड़ी शांति मिलती है तो प्रतिमा अपनी जगह से खड़ी होकर अपने बिस्तर के करीब आकर खड़ी हो जाती है और तकिये के नीचे रखी एक फोटो फ्रेम को निकाल कर उस पर बहुत ही प्यार से हाथ फेरने लगती है यह तस्वीर मानव की थी
प्रतिमा मानव की तस्वीर को देखकर इमोशनल हो जाती है और प्रतिमा की आंखों से आंसू निकल कर उसके गालों पर आ जाते हैं प्रतिमा मानव की तस्वीर को अपने सीने से लगा लेती है
दूसरी तरफ अमेरिका में
अमेरिका में इस वक्त दोपहर का समय था और अभिनव इस वक्त अपने आलीशान केबिन में बैठा हुआ लैपटॉप पर काम कर रहा था लेकिन आज उसे बहुत ही ज्यादा बेचैन हो रही थी कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था लेकिन अब अभिनव का दिल बहुत ही जोरों से धड़क रहा था उसकी दिल की धड़कनें जरूरत से ज्यादा फास्ट चल रही थी और अब अभिनव को अपने दिल में दर्द महसूस होने लगता है
अभिनव अपने दिल पर हाथ रख लेता है और दर्द से अपनी आंखें बंद कर लेता है…
दूसरी तरफ इंडिया में
प्रतिमा मानव की तस्वीर को अपने सीने से अलग करके उसे बहुत ही प्यार से देखने लगती है..
ओ सनम… ओ सनम… कश होता अगर….
तुम निभा जाते जिंदगी का सफर…
ओ सनम ओ सनम कश होता अगर….
तुम निभा जाते ये जिंदगी का सफर….
हम भी तन्हा ना रहते यूं ही उमर भर….
तुम साथ हो अगर….
तुम साथ हो अगर….
ओ सनम ओ सनम कश होता अगर….
तुम निभा जाते ये जिंदगी का सफर…
हम भी तन्हा ना रहते यूं ही उमर भर…
तुम साथ हो अगर….
तुम साथ हो अगर….
अमेरिका में….
🇺🇲🇺🇲🇺🇲 अमेरिका में…
अपने दिल को थामे हुए बैठा हुआ था कि तभी आदित्य अभिनव के केबिन में आता है जैसे ही आदित्य की नजर अभिनव पर जाती है तो आदित्य की आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है और आदित्य फिक्र करते हुए जल्दी से अभिनव के पास आता है और अभिनव को संभालते हुए कहता है
क्या हुआ तुझे, तू ठीक तो है ना, रुक मैं अभी डॉक्टर को कॉल करता हूं..
और इतना बोल कर आदित्य है परेशान होता हुआ अपना फोन निकलता है लेकिन उससे पहले ही अभिनव आदित्य के फोन को छीनते हुए कहता है
डॉक्टर को कॉल करने की जरूरत नहीं है मैं ठीक हूं और यें दर्द भी कुछ देर में चला जाएगा…
अभिनव की बात सुन कर आदित्य हैरानी और सवालिया भाव लिए अभिनव को देखने लगता है और थोड़ी देर में आदित्य का दर्द भी नॉर्मल हो जाता है अभिनव नॉर्मल होकर गहरी सांस लेते हुए अपनी कुर्सी पर क्लीन होकर बैठ जाता है आदित्य अभिनव के टेबल के सामने रखी कुर्सी पर बैठते हुए परेशानी से कहता है
तुझे डॉक्टर को दिखाना चाहिए इस तरह अचानक तेरे दिल में दर्द होना ठीक नहीं है मैंने बहुत बार देखा है तुझे ऐसे ही अचानक दिल में दर्द उठाता है और तू डॉक्टर को बिल्कुल नहीं बुलाता तुझे चेकअप कराना चाहिए तेरा इतना बड़ा हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ है..
तुझे अपने दिल से जुड़ी किसी की तकलीफ को लाइटली नहीं लेना चाहिए यह बहुत सीरियस हो सकता है…
आदित्य की बात पर अभिनव हंसी उड़ाने वाले अंदाज में कहता है
आशिक का दिल है महबूब को दर्द होगा तो तकलीफ तो होगी ना…
अभिनव की बात पर आदित्य सवालिया नजरों से अभिनव को देखने लगता है..
अभिनव अपने चेहरे पर हर की मुस्कान लिए कहता है…
तू आशिक नहीं है, तू नहीं समझेगा…
अभिनव की बात पर आदित्य इरिटेट होकर अपने दोनों हाथ जोड़कर कहता है
और मुझे तुझ जैसे आशिक को समझना भी नहीं है.. तुझे हद है..
मतलब कमाल है जिस अभिनव रघुवंशी को पूरी दुनिया में कोई नहीं हरा पाया उसे एक लड़की ने हरा दिया… जिसके लिए लड़कियां सिर्फ खिलौना थी कपड़ों की तरह लड़कियों को बदलता था..
आज एक लड़की के प्यार में आशिक बन गया..
और आज तक मैं तेरे जैसा आशिक भी नहीं देखा..
मतलब जिस लड़की से तू इतना प्यार करता है उसे जिंदगी में कभी देखना ही नहीं चाहता, जो दूसरी मुलाकात में हर लड़की को अपने बिस्तर तक ले आता था
आज जिससे प्यार करता है उसे छूना भी नहीं चाहता..
कैसा प्यार है तेरा……
आदित्य की बातें सुनकर अभिनव का चेहरा एकदम सीरियस हो जाता है.. और अभिनव एकदम सीरियस होकर कहता है
अगर जिंदगी में कभी हारना ना हो, तो दुआ करना कि कभी इश्क ना, कभी किसी का जुनून ना हो, वो मेरा इश्क है मेरा जुनून… उसे छूना यहां हासिल करना एक मर्द की ख्वाहिश हो सकती है लेकिन एक आशिक की नहीं…