Episode 01
सुबह के करीब 9: 30 बज रहे थे।
एक रूम के बाहर से आवाज आ रही थी, “तृषा, कितनी देर और तुझे पता है ना हमें 2 मिनट में निकलना है, जल्दी आ…”
अंदर से आवाज आती है, “हां हां, आ रही हूं मेरी मां… 2 मिनट रुक जा…”
अंदर से जिसकी आवाज आई थी, वह न कोई अन्य थी, बल्कि हमारी तृषा शर्मा थी।
तृषा शर्मा
उमर – 21 साल
हाइट – 5’4″
आंखें – घने जंगल सी गहरी मंजरी
तृषा की माँ उसके बचपन में ही गुजर गई थी और तृषा के पापा को लगभग 4 साल हो गए थे। लगभग 2 साल पहले अपनी 12वीं पूरी करके तृषा ने देहरादून छोड़कर अपनी सहेली के साथ मुंबई पढ़ाई करने के लिए आई थी।
तृषा और उसकी दोस्त दोनों एक ही रूम में रहती थीं, एक ही पीजी में।
तृषा दिखने में बेहद हसीन और खूबसूरत थी। उसके लंबे काले बाल हल्के से घुंघराले बिल्कुल किसी नागिन की तरह दिखते थे, गोरा चाँद सा चेहरा, बड़ी-बड़ी आंखें और होंठ जैसे गुलाब की पंखुड़ी।
तृषा को देखकर कोई भी दीवाना हो जाए, और यही कहानी है एक दीवाने की, एक आशिक की, जिसका प्यार तृषा के लिए सजा बन गया था।
तृषा को कॉलेज जाने के लिए लेट हो रहा था।
तृषा अक्सर ही लेट हो जाती थी, पर आज वह किसी ख्याल में गुम थी, इसलिए आज ज्यादा देर हो गई थी।
तृषा अभी अभी बाथरूम से बाहर निकली थी।
उसने जल्दी से टावल से अपने बाल पुछे और ब्लो ड्रायर से उन्हें सुखाना शुरू किया। उसने ड्रायर खोला और उसमें से अपने छोटे-छोटे हार्ट शेप इयरिंग्स निकाले और उन्हें पहना।
तृषा की उम्र आलू बोल उसको परेशान कर रही थी। उसने बालों को झटका और सुखाना शुरू किया। आज तृषा की आँखों में एक अलग ही चमक थी।
तृषा और दिया के कॉलेज में आज एनुअल फंक्शन था और तृषा को सुबह से ही जाना था। सुबह एग्जाम था और शाम को एनुअल फंक्शन।
तृषा ने एक बैग में अपने लिए ड्रेस रखी थी, शाम के फंक्शन में पहनने के लिए, और सुबह उसने जींस पहने हुए थे, उसके ऊपर एक व्हाइट टॉप था और उसके ऊपर एक कोट।
तृषा देखने में बहुत खूबसूरत थी, इसलिए कॉलेज में भी सारे लड़के उसके दीवाने थे।
तृषा ने अपने इयररिंग्स पहने और अपना कोट डाला। बालों को झटका।
उसके पास बालों को संवारने का भी वक्त नहीं था, क्योंकि वे अभी भी गले थे। इसलिए उसने उन्हें खुला ही छोड़ दिया और जल्दी से अपनी हील्स पहन के पर्स लेकर कॉलेज के लिए निकलने लगी। तभी उसे याद आया,
तृषा – “अरे मेरा लॉकेट..!”
उसने ड्रेसिंग टेबल के सारे ड्रॉर्स खोले, पर उससे उसका लॉकेट कहीं नहीं दिखा। एक बटरफ्लाई शेप का छोटा सा लॉकेट था, जिसमें ब्लू कलर की बटरफ्लाई बनी हुई थी।
यह लॉकेट उसे उसके पापा ने दिया था, जब वो अपनी मां संग मनाली गए थे। तृषा के लिए यह बहुत खास था।
वैसे तो यह ज्यादा महंगा नहीं था, मतलब किसी भी मेले में या किसी दुकान में आसानी से मिल जाता, पर तृषा के लिए इसकी कीमत लाखों करोड़ों से भी ज्यादा थी। पर पता नहीं क्यों आज वह मिल नहीं रहा था।
तृषा परेशान सी हो गई।
तृषा – “कहां गया..? यही तो रखा था, कहां गया लॉकेट..? एक तो पहले ही लेट हो रहा और ऊपर से लॉकेट भी नहीं मिल रहा..?”
तृषा परेशान हो गई थी। तभी उसने सोचा, “शायद पर्स में ही होगा.. मैं चलती हूं, लेट हो रही हूं।”
उसने जल्दी से अपने हाथ पर अपनी डिजिटल वॉच पहनी और पर्स लेकर बाहर निकली।
बाहर आते ही तृषा ने घूम के दिया को दिखाया, “कैसी लग रही हूँ…?”
दिया – “तू तो हमेशा ही कमाल लगती है, अब तेरा ऐसा रूप देखकर ही तो वो…”
तृषा – “चुप दिया..!! वो सुन लेगा..”
दिया – “अरे कोई नहीं है यहाँ…”
तृषा दिया का मुंह अपने हाथों से बंद करते हुए, “तूझे पता है ना वो कहीं भी कभी भी आ जाता है…”
दिया – “ठीक है, ठीक है, चलो…”
तृषा और दिया सीडीओ से नीचे उतर रही थीं।
दिया ने मेन गेट खोला। तभी तृषा को याद आया,
“तृषा – मेरा फोन…”
“फोन तो शायद ऊपर ही रह गया … 1 मिनट में आती हूं।”
दिया – “अरे यार तृषा, तुझे पता है लेट हो रहा है। जल्दी जा, वैसे मुझे पता था तू कुछ ना कुछ तो भूल ही जाएगी।”
तृषा भाग के ऊपर गई।
उसने गेट खोला और डेस्क पर अपना मोबाइल देखने लगी, पर वहां पर कहीं भी उसका मोबाइल नहीं था।
“शायद बेड पर होगा…”
वह पलट के बेड की तरफ गई। उसने अपने पिल्लो के पास देखा, वहां पर मोबाइल था और मोबाइल के नीचे एक व्हाइट कलर का नोट था।
उसने मोबाइल को साइड में रखा और नोट को खोल कर देखा। उस नोट में जो लिखा था…
उसे देखकर तृषा के चेहरे का रंग उड़ गया।
“ये कहानी आपको एक नई दुनिया में ले जाएगी, एक ऐसी दुनिया जिसमें गुनाह ही प्यार और प्यार ही सजा है। एक ऐसी मासूम लड़की की कहानी जिसके पीछे लगा था एक हैवान, एक दीवाना जो ना जाने कितने सालों से उसका पीछा कर रहा था।
उसके लिए एक चिट्ठी, फूल और अपनी निशानी छोड़ कर जाता, पर आज तक वो कभी तृषा के सामने नहीं आया था। कौन था ये शक्स, और क्या रिश्ता था इसका तृषा से… और कबसे जानता था ये उसको…”
तृषा ने जैसे ही वह नोट खुला, उसमें जो लिखा था उसे देखकर तृषा के होश उड़ गए।
उसमें लिखा था,
“तुम आज बाहर जा तो रही हो पर ध्यान रखना, किसी भी मर्द के लिए अगर तुम मुझे करीब दिखाई तो अच्छा नहीं होगा। उस मर्द के लिए और यह रात आज उसके लिए आखिरी रात होगी।”
उसे पढ़कर तृषा के हाथ कापने लगे। उसके हाथ से वह नोट छूट गया और वह दो कदम पीछे हट गई। उसका पूरा शरीर कांप रहा था। वह बस एक ही शब्द बोल रही थी,
“नहीं… नहीं…”
वह सोच भी नहीं सकती थी कि अब उस हैवान के दिमाग में क्या चल रहा था। तृषा बहुत डरी हुई थी, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
वह जाए या ना जाए, पर जाना जरूरी था। क्लास की सबसे इंटेलिजेंट और खूबसूरत लड़की होने के साथ-साथ तृषा प्रिंसिपल और टीचर्स की फेवरेट थी और उन्होंने आज उसे इवेंट प्लैनिंग का भी वॉलंटियर बनाया था। तो उसका जाना जरूरी था। और सुबह पेपर भी था। अगर वह पेपर नहीं देती तो वह फेल हो जाती और इस वजह से उसका फ्यूचर भी स्पॉइल हो सकता था।
इसलिए तृषा का जाना बहुत जरूरी था। तृषा के पैर मुड़ गए थे।
वह घुटनों के बल बैठ गई। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसकी आंखें पूरी तरह से लाल हो गई थीं। उसने अपने घुटनों को अपने पेट से जोड़ लिया और कस के अपने पैरों को पकड़कर बैठी थी।
उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह क्या करें…
तभी उसे नोट के पीछे कुछ दिखा। जैसे ही देखा, वहाँ पर उसे उसका बटरफ्लाई शेप्ड लॉकेट दिखा। तृषा को वह सब कुछ याद आ रहा था जो पिछले दो साल में उसके साथ हुआ, जब से वह शख्स उसके पीछे पड़ा था। उसने तृषा के जीवन को नर्क बना दिया था। हर जगह वह उसका पीछा करता था। जैसे ही तृषा मुड़ती, उसे कोई नहीं दिखता था। हर जगह अपनी निशानी छोड़कर जाता था। फूल, गिफ्ट्स, नोट्स, चिट्टियां— ये सब देखकर तृषा यह पहचान गई थी कि कोई उसका पीछा कर रहा है, और वह भी करीब 2 साल से।
पर यह कौन है, कहां है, कैसा है— यह तृषा को अभी तक समझ नहीं आया था। तृषा के लिए अब वह शख्स किसी पहेली सा बन गया था। तृषा ने गहरी सांस ली, उस लॉकेट को लिया और अपने आप को आईने में देखने लगी। तभी नीचे से आवाज़ आई।
दिया – “तृषा..! तू आ रही है ना?”
तृषा ने अपने आंसू पूछे और जवाब दिया, “हां…. आ रही हूं।”
तृषा ने उस लॉकेट को पहना और गेट खोलकर नीचे चली गई।
वे लोग कार में बैठ गए थे।
दीया कार ड्राइव कर रही थी और तृषा उसके पास की सीट पर बैठी हुई थी। ओपन विंडो से तृषा के चेहरे पर बाहर की हवा लग रही थी। दिसंबर की ठंडी हवा तृषा के चेहरे को छू रही थी। उससे उसके आगे के हल्के से बाल भी उड़ रहे थे। उसकी आंखें आंसुओं की वजह से लाल थीं, पर वह दिया को यह सब नहीं दिखाना चाहती थी।
उसके अंदर एक खौफ था। तभी दिया ने कार में एक म्यूजिक प्ले किया। वह म्यूजिक कहीं न कहीं तृषा को और डरा रहा था। जैसे-जैसे म्यूजिक आगे बढ़ता, तृषा की शरीर में सनसनाहट सी हो जाती। तृषा के रोंगटे खड़े हो रहे थे।
उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह अभी भी उसके आसपास ही है।
तृषा साइड मिरर से पीछे देख रही थी, अपने आसपास देख रही थी। वह कहीं भी नहीं था।
पर वह म्यूजिक उसे बार-बार उसकी याद दिला रहा था, उसके होने का एहसास दिला रहा था।
तृषा की बस अब एक ही इच्छा थी – या तो उस से कभी मुलाकात ना हो या मुलाकात हो जाए और वह जान जाए कि वह शख्स कौन है।
तृषा उसे एक बार देखना चाहती थी, वह शख्स तृषा के लिए एक भयानक सपना बन गया था, जिसे ना तृषा स्वीकार कर पा रही थी और ना हीं झूठ ला सकती थी।
वही दिया म्यूजिक को गुनगुनाती जा रही थी, यह जाने बिना कि तृषा के दिल पर क्या बीत रही है।
तृषा ने भी उसे बताना जरूरी नहीं समझा।
उसे पता था दिया क्या बोलेगी।
उसने अपनी आंखें बंद की और थोड़ी देर रेस्ट किया।
थोड़ी देर में उनका कॉलेज आ गया, तृषा ने अपना बैग लिया और कॉलेज की तरफ चल दी।
तभी उसे एहसास हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है। तृषा ने पलट के देखा।
एक हल्की सी हवा चली, पर पीछे कोई भी नहीं था।
तृषा के बाल उड़ रहे थे।
दिया, जो थोड़ी आगे निकल चुकी थी, पीछे मुड़कर कहती है, “क्या हुआ, तृषा?”
रुकी हुई तृषा आगे बढ़कर, “नहीं, नहीं, कुछ नहीं, चल…”
तृषा और दिया दोनों ही कॉलेज के अंदर गए। उनका एक घंटे में एग्जाम था।
तृषा क्लास रूम के अंदर जाकर बैठ गई। दोनों ने अपना एग्जाम दिया।
तृषा के दिमाग में अभी भी उस शख्स का वह नोट चल रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आज शाम को वो क्या करने वाला है।
तभी तृषा ने सोचा, “अब जो होगा देखा जाएगा…
अब मैं उससे बिल्कुल नहीं डरूंगी। उसे आना होगा तो आ जाएगा।
और वह कौन होता है, मुझे किसी से मिलने ना मिलने देने वाला…
तृषा ने शाम की पार्टी के लिए एक छोटी काली ड्रेस पहनी थी, जो काफी रिवीलिंग थी।
अपने कॉलेज की पार्टी अटेंड करके अपने घर जा रही थी।
घड़ी लगभग रात की 10 बजे का समय बता रही थी।
तृषा थोड़ा घबरा रही थी, क्योंकि रात बहुत हो चुकी थी और उसके अकेले ही घर जाना था। दिया आज यहीं हॉस्टल में रुकने वाली थी।
तृषा सोच ही रही थी कि किसी से कह दे मदद के लिए, ताकि कोई उसके साथ चल दे। तभी पीछे से आवाज़ आती है…
एकांश (तृषा के कॉलेज फ्रेंड, जो तृषा को बहुत टाइम से पसंद करता था): “रात बहुत हो गई है… चलो, मैं तुम्हारे साथ चलता हूँ, तुम्हे तुम्हारे घर तक ड्रॉप कर दूंगा… अगर तुम्हे कोई परेशानी न हो तो…”
तृषा: (मुस्कुराते हुए) “अरे नहीं नहीं, मुझे कोई परेशानी नहीं है। मुझे तो अच्छा लगेगा अगर तुम साथ चलो तो…”
एकांश: “ठीक है, तो तुम आगे चलो, अपनी गाड़ी पे मैं तुम्हारे पीछे अपनी बाइक लेकर आता हूं।”
तृषा: “ठीक है।”
तृषा आगे-आगे चलती है और एकांश पीछे-पीछे। दोनों कुछ ही देर में तृषा के घर पहुंच जाते हैं।
तृषा: “थैंक यू, एकांश… अंदर आओ ना… एक कप कॉफी तो चल जाएगी।”
एकांश: “अच्छा, ठीक है, अगर तुम कहती हो तो…”
तृषा एकांश को अपने घर के अंदर बुलाती है, जहां वो दीया के साथ रेंट पे रहती है।
तृषा का घर ज्यादा बड़ा तो नहीं है, बस एक किचन, बेडरूम जिसमें दो बिस्तर थे (दीया और तृषा का), और एक ड्रॉइंग रूम है। पर बहुत सुंदर सजा हुआ है, कि किसी को भी देख के पसंद आ जाए।
एकांश और तृषा कॉफी पी ही रहे होते हैं कि इतने में बाहर बारिश आ जाती है।
तृषा: “अरे, बाहर तो बारिश शुरू हो गई है। अब तुम घर कैसे जाओगे…”
एकांश: “कोई बात नहीं, मैं चला जाऊंगा।”
तृषा: “तुम्हारा घर यहां से कितनी दूर है?”
एकांश: “मेरा घर तो जुहू में है, वो यहां से थोड़ा दूर है…”
तृषा: “वहां जाने में तो तुम्हे आधा घंटा लग जाएगा। एक काम करो, मेरा रेनकोट या छाता ले जाओ…”
एकांश: “नहीं रहने दो, मैं चला जाऊंगा। तुम्हारा रेनकोट-या छाता मेरे सेट नहीं होगा। मैं ऐसे ही चला जाऊंगा…”
इतने में ही बारिश और जोरों से बिजली भी कड़कने लगी…
तृषा एकांश को आज रात घर में ही रुकने का ऑफर करती है। रात भी बहुत हो गई है और बारिश भी बहुत तेज़ है। “आज रात तुम मेरे घर पे ही रुक जाओ…
कल सुबह हम दोनों कॉलेज के लिए यहीं से साथ में चले जाएंगे…”
एकांश: “ठीक है, अगर तुम्हे कोई प्रॉब्लम नहीं हो तो मैं रुक जाता हूँ।”
दोनों तृषा के रूम में चले जाते हैं और रूम की खिड़की के पास बैठके बाहर बारिश का नज़ारा देखते हैं।
तृषा: पर तृषा को यह महसूस होता है कि एकांश उसी की तरफ देख रहा है। जब वह एकांश से पूछती है कि आखिर क्या बात है, तो एकांश अपने प्यार का इज़हार उसके सामने कर देता है।
एकांश: “तृषा, हम पिछले 2 साल से एक साथ इस कॉलेज में हैं। और मैंने जिस दिन से तुम्हें पहली बार देखा है, मैं उस दिन से तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ। तुम्हें बहुत चाहता हूँ। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी तुम्हारे साथ ऐसे वक्त बिताने का मौका मिलेगा।”
तृषा: “सच कहूं तो कुछ समय से मुझे पता था कि तुम मुझे पसंद करते हो…”
एकांश: “कैसे?”
तृषा: “हम लड़कियों को यह महसूस हो जाता है। पर तुम्हें मेरी लाइफ के बारे में और मेरे बारे में कुछ भी नहीं पता है। मैं कौन हूं, कैसी हूं। तुम कुछ भी नहीं जानते हो।”
एकांश: “तुम चाहे कैसी भी हो, पर मुझे तो तुमसे प्यार हो गया है।”
इतना कहकर एकांश तृषा को अपनी बाहों में ले लेता है और उसके होंठों पे एक kiss कर देता है, जिससे कि तृषा के पूरे बदन में जनजनी आ जाती है। तृषा की सांसें तेज़ होने लगती हैं। वह एकांश की इस हरकत से चिढ़ सी जाती है, मगर फिर भी उसे ज़मीन पर पड़ा वो नोट दिखाई देता है, जो आज सुबह उसे अपने बिस्तर पर मिला था। उसका ग़ुस्सा अब सातवे आसमान पर था… उसे उस हैवान से बदला लेना था और उसे एक अच्छा तरीका लगा, वह एकांश के करीब गई जिससे देखकर एकांश फिर से तृषा के और अपनी बाहों में लेकर फिर से एक kiss कर देता है।
और धीरे-धीरे अपने हाथ तृषा के बदन पर चलाने लगता है।
तृषा भी एकांश को पसंद करती थी, इसलिए उसने भी साथ दिया और उसे रोका नहीं।
धीरे-धीरे एकांश तृषा के कपड़े उतारने लगता है और उसके पूरे बदन पर kiss करता है। अब तृषा को भी फीलिंग आने लगी थी, पर यह फीलिंग बदलने की थी, जो उसे आज रात उस शख़्स से लेनी थी और उसकी भी सांसें जोर-जोर से चलने लगी थी।
एकांश ने अपना हाथ तृषा के बूब्ज पर रखा तो तृषा की सिसकियां निकल गईं, जिसे सुनकर एकांश को और ज्यादा फीलिंग आने लगी। और वह तृषा के बूब्ज को अपने मुंह में लेने लगा। अब वह तृषा के अंदर घुसकर उसमें पूरी तरह समा गया।
करीब एक घंटे तक सेक्स करने के बाद दोनों एक दूसरे से अलग हो गए।
एकांश: “तृषा, I love you… आज की रात मैं कभी नहीं भूलूंगा… क्या तुम मेरी girlfriend बनोगी? मैं तुम्हारे साथ रिलेशनशिप में आना चाहता हूँ।”
तृषा: मैं चाहती हूँ कि कोई भी जवाब देने से पहले तुम एक बार मेरे बारे में जान लो… की मैं कौन हूँ और क्या हूँ।
एकांश: मुझे इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता… मेरे लिए तुम important हो।
तृषा: पर मुझे पड़ता है और यह जरूरी भी है।
एकांश: अच्छा, ठीक है। बताओ…
तृषा ने उसे अपने देहरादून वाले घर और माँ-पापा के बारे में बताया, अब वो अनाथ है ये भी बताया।
एकांश: ओह! मुझे पता ही नहीं था कि तुम्हारे साथ इतना कुछ हो चुका है…
तुमने अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करके अच्छा किया। तुम्हारा अतीत जरूर तुम्हारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा होगा, पर जीवन में आगे बढ़ना भी तो जरूरी है क्योंकि जो कुछ भी हुआ उसमें तुम्हारी तो कोई गलती नहीं थी।
किस्मत की बात है।
तृषा: हां, परिस्थिति ही कुछ ऐसी थी…
एकांश: तृषा, मैं जानता हूँ कि मैं तुमसे उम्र में छोटा हूँ, पर तुम मेरा पहला प्यार हो… और मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ। मैं तुम्हें लेकर सीरियस हूँ… मैं तुम्हें खुश रखने की पूरी कोशिश करूँगा… क्या तुम मेरे साथ दोगी? क्या तुम मेरी girlfriend बनोगी?
तृषा: मैं सच कहूं तो अभी मेरा किसी भी रिलेशन में बांधने का मन नहीं है… पर हम दोस्त बनकर रह सकते हैं।
एकांश: ठीक है, तुम्हें जितना वक्त चाहिए तुम ले सकती हो हमारे रिश्ते को दोस्ती से आगे बढ़ाने के लिए… पर तब तक के लिए मैं तुम्हारा दोस्त बनने के लिए तैयार हूँ। मैं बस हर हाल में तुम्हारे पास रहना चाहता हूँ।
इतना कह के एकांश ने तृषा का चेहरा अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और।
तृषा को भी फीलिंग आ रही थी, वो भी इस moment को enjoy कर रही थी। कहा बाहर जोरों की दिसंबर की पहली बारिश हो रही है और अंदर दो बदन एक दूसरे से मिल रहे हैं।
तृषा को किसी मर्द ने छूआ नहीं था।
इसलिए तृषा को भी अपने बदन पर एकांश का यह एहसास अच्छा लग रहा था।
तृषा इस वक्त नशे में थी, आज पहली बार उसने इतनी पी थी और कहीं ना कहीं उस शख्स में घुसा भी था जो तृषा को एकांश की तरफ जाने में मजबूर कर रहा था।
वो ये कर के दिखाना चाहती थी कि वो खुद की मर्ज़ी की मालिक है और कोई दीवाना स्टॉकर उसे कंट्रोल नहीं कर सकता।
क्या होगा जब उस हैवान को पता चलेगा तृषा की इस जुर्रत के बारे में?