एक लड़की शादी के जोड़े में एक बहुत ही हैंडसम लड़के के साथ एक औरत के सामने खड़ी थी..
औरत उस लड़की पर चिल्लाते हुए कहती है
प्रतिमा तुमने मेरा भरोसा तोड़ दिया मैंने तुम पर कितना भरोसा किया था लेकिन तुमने आज मेरा सर शर्म से झुका दिया तुम मेरी बेटी हो और तुम ऐसा घटिया काम करोगी मैं कभी नहीं सोचा था..
लड़की बोलती है
नहीं माँ आप गलत समझ रही हैं मैं और मानव एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं मानव मुझ से बहुत प्यार करता है मां,
और आप जिस लड़के से मेरी शादी करना चाहती थी वो लड़का मुझसे प्यार नहीं करता, बल्कि उससे तो हर दूसरी लड़की से प्यार है..
आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है मां, आप मेरी शादी एक ऐसे लड़के से करना चाहती हैं जिसका दिल हर दूसरी लड़की पर आ जाता है..
जिसने आज तक कभी मुझ से सीधे मुंह बात नहीं करी जो मुझे एक नजर बर्दाश्त नहीं देख सकता, मैं उसके साथ पूरी जिंदगी कैसे बीता सकती हूं मां,
मानव बहुत अच्छा लड़का है आप एक बार मानव को एक मौका तो दे कर देखिए मां..
लड़की की मां गुस्से में कहती है
मौका अब मौका देने का क्या फायदा तुम तो पहले ही इस लड़के से शादी कर चुकी हो एक ऐसे लड़के से जिसके ना बाप का पता है ना मां का, किस खानदान का है, किसका गंदा खून इसकी रगों में बह रहा है कुछ नहीं पता..
तुम ऐसे लड़के को मौका देने की बात कर रही हो..
जो तुम्हें करना था तुम कर चुकी अब से तुम्हारा और मेरा कोई रिश्ता नहीं, मैं समझ लूंगी की अब से मेरी बेटी मर गई
पहले मेरे पति मुझे छोड़ कर चले गए थे और अब मेरी बेटी भी मुझे इस दुनिया में अकेला छोड़ कर चली गई
मेरे पास तुम्हारे लिए कोई आशीर्वाद नहीं है मैं सिर्फ तुम्हें बद्दुआ दे सकती हूं तुम कभी खुश नहीं रहोगी यें लड़का तुम्हारे साथ नहीं रहेगा एक दिन यें लड़का तुम्हें छोड़कर चला जाएगा..
हमेशा हमेशा के लिए.. और फिर तुम पूरी जिंदगी बस इसी की याद में रोती रहना
अब निकल जाओ यहां से और दोबारा अपनी यह शक्ल मुझे कभी मत दिखाना, अगर मैं मर भी जाऊं तो भी अंतिम दर्शन के लिए भी मेरे पास मत आना.. चली जाओ यहां से दफा हो जाओ मेरी आंखों के सामने से..
अपनी मां की ऐसी कड़वी बातें सुनकर लड़की टूट जाती है और लड़की एकदम खामोशी से अपनी मां को अपनी आंसुओं से भरी आंखों से देखने लगती है..
लड़की की मां यानी कि कौशल्या जी की बातों को सुनकर मानव को भी बिल्कुल अच्छा नहीं लगता और मानव अपने साथ खड़ी प्रतिमा का हाथ पकड़ता है और उसे अपने साथ ले जाने लगता है..
लड़की के कदम तो बढ़ रहे थे लेकिन लड़की अपनी भरी हुई आंखों से जाते हुए भी बस अपनी मां को ही देखे जा रही थी..
मानव गाड़ी चला रहा था और प्रतिमा मानव के कंधे पर सर रखकर आंखें बंद किया बस अपनी मां की कहे शब्दों को ही याद कर रही थी बंद आंखों से भी उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे..
और तभी एक लोहे के सरिये से भरा हुआ ट्रक बड़ी ही तेजी से उनकी गाड़ी की तरफ आता है और जोरदार टक्कर मार देता है..
गाड़ी सड़क पर दो-तीन बार पलट कर उल्टी हो जाती है पूरी गाड़ी बहुत ही बुरी तरीके से टूट चुकी थी गाड़ी के सारे शीशे टूट चुके थे गाड़ी की कंडीशन बहुत ही ज्यादा खराब थी और इसी के साथ मानव जिसमें प्रतिमा को अपने नीचे पूरी तरह से ढक लिया था
उसके पेट में दो सरिया घुस चुके थे और एक सरिया उसके सीने में घुसा हुआ था लड़की को भी बहुत चोट आई थी और लड़की बेहोश हो चुकी थी..
और इसी के साथ एक लड़की जोरदार चीज के साथ बिस्तर से उठती है..
मानव……
लड़की पसीने में पूरी तरह से भीग चुकी थी कमरे का टेंपरेचर नॉरमल था AC भी ऑन था लेकिन फिर भी लड़की पसीने से भीगी हुई थी लड़की चारों तरफ देखती है तो पाती है कि वो एक बहुत ही खूबसूरत कमरे में एक बहुत ही आरामदायक बिस्तर पर लेटी हुई थी
लड़की गहरी सांस लेकर खुद को नॉर्मल करती है और अपने बिस्तर से खड़ी होकर अपने लिए क्लास में पानी निकालती है और पानी का गिलास लेकर बालकनी में आ जाती है ..
सुबह के 3:00 रहे थे.. अभी भी सूरज की किरणें सुबह की रोशनी बनकर नहीं आई थी आसमान में रात का अंधेरा छाया हुआ था..
लेकिन चंद की रोशनी उसे अंधेरे को धुंधला कर रही थी..
लड़की चांद को देखते हुए पानी पीती है लड़की की आंखों की में बी हिसाब दर्द और कुछ आंसू थे जो उसकी आंखों में ठहरे हुए थे और आंखों से बाहर निकालने की इजाजत मांग रहे थे..
चांद को देखते हुए ही लड़की अपनी आंखें बंद कर लेती है और आंसू आंखों से निकालकर उसके गाल पर आ जाते हैं.
लड़की एक गहरी आह.. भरते हुए एक नाम पुकारती है
मानव….
क्यों चले गए तुम मुझे छोड़ कर काश.. मैं भी तुम्हारे साथ ही चली जाती..
और तभी कमरे का दरवाजा खुलता है और एक मिडल एज की औरत कमरे के अंदर आती है औरत चारों तरफ प्रतिमा को देखते हैं लेकिन प्रतिमा से कहीं नहीं मिलती और फिर उस औरत की नजर बालकनी पर जाती है
बालकनी में प्रतिमा को देखकर औरत भी प्रतिमा के पास आ जाती है और प्रतिमा के कंधे पर हाथ रख देती है
प्रतिमा बिना पीछे मुड़े ही कहती है
कौशल्या देवी जी इतनी सुबह-सुबह आप मेरे कमरे में..
और इतना बोलकर लड़की अपने चेहरे पर सख्त भाव लिए पीछे पलती है
कौशल्या देवी प्रतिमा से कहती है..
कौशल्या देवी जी नहीं मां हूं तुम्हारी.. कितनी बार कहा है कि मुझे मेरे नाम से नहीं बल्कि माँ पुकार करो
प्रतिमा :- मेरी मां ने तो मुझे बहुत साल पहले ही मार दिया था जिस दिन मेरी मां के लिए उनकी बेटी मर गई थी उस दिन मेरे लिए भी मेरी मां मर गई थी..
खैर आप यह बताइए कि आप मेरे कमरे में क्या कर रही हैं
प्रतिमा की बातें सुनकर कौशल्या जी को बहुत गुस्सा आता है लेकिन फिर भी कौशल्या जी एक गहरी सांस लेकर खुद को शांत करते हुए कहती हैं
आज करवा चौथ है नहा धोकर तैयार हो जाओ सरगी के लिए
प्रतिमा अपने चेहरे पर एक कड़वी मुस्कान लिए कौशल्या जी से कहती है
करवा चौथ, व्रत, सरगी, पिछले 3 सालों से जैस इंसान को मैंने देखा तक नहीं, जो इंसान मैरिज पेपर पर साइन करने के तुरंत बाद, मुझे छोड़कर, अमेरिका चला गया
और जिसने पिछले तीन सालों में एक बार भी मुझसे बात करने तक जरूरी नहीं समझी ऐसे इंसान के लिए आप उम्मीद करते हैं कि मैं व्रत रखूं उसके लिए..
खैर छोड़िए व्रत में फिर भी रखेगी लेकिन आपके.,
अभिनव के लिए नहीं, बल्कि अपने मानव के लिए..
और इतना बोलकर प्रतिमा वॉशरूम में चली जाती है और पीछे से कौशल्या देवी गुस्से में बस प्रतिमा को जाते हुए देखता रह जाती है
Hello