Incomplete without you

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Episode – 1

पॅरिस

सच मे अमीर लोग उनकी बाते उनका रेहन सेहन सबकुछ क्या भारी है बोस , हम तो अकेले कभी आ ही नही पाते यहा एक जन्म छोड़कर दस बार जन्म ले फिर भी हमारी इतनी ओकात नही होती हम यहा तक आ सके।

ये सोचते हुए ही अंशिका हिचकीया लेकर हाथो मे पानी बोतल पकडे बडबडाये जा रही थी। छोटे बच्चे की तरह कुछ बुदे तो उसके dress पर भी गिर गई थी जिस वजह से उसकी पेहनी ड्रेस सामने से भीग गई थी!

वही साइड से खडे बोडीगार्ड्स तो बडी ही अजीब नजरो से उसे ही घुर रहे थे “पर उसे कहा किसीकी परवाह थी। वही वो लोग एक दुसरे के कान मे सीईओ सर को क्या जरूरत थी ऐसी ग्वार लडकी से शादी करने की ना रेहने का ढंग ना खानेपीने का क्या है इसमे!”

लव सीटी अंशिका बडी खुश नजर आ रही थी। दो दिन पेहले ही बडी धूमधाम से शादी हुई ओर कल ही रात मे ही पॅरिस आ गये थे नयी नवेली जोडी हनिमून के लिए। Anshika… अपनी पास मे रखा वो नाइट ड्रेस पेहेनकर मिरर के सामने खडी होकर खुद को निहारे जा रही थी ओर बस एक ही धुन गुनगुना रही थी।

सजना है मुझे सजना के लिए सजना है मुझे सजना के लिए ज़रा उलझी लटें संवार दूं हर अंग का रंग निखार लून के सजना है मुझे सजना के लिए सजना है मुझे सजना के लिए “मे तो सज गई रे सजना के लिए!” 

फिर खुद को स्टॉप कर सच मे कितना भारी होगा उसका हज्बंड वो ये सोचकर ही उसके दिल मे गुदगुदी सी होने लगी थ अंशिका अपनी फेेड्स की बातो को याद कर सोचने लगी वेडिंग नाइट बहोत ही ज्यादा स्पेशल होती है लडकी की जिदगी मे वो भी बाकी लडकीयो की तरह सपने सजाये जा रही थी। 

फेस पर हमेशा एक प्यारी सी मुस्कुराहट जो दिल खुश कर जाये पर सामने वाला उसे देखना भी चाहिए ना? पुरी दुनिया ऐसी अंशिका को देखती तो पागल होती पर बस एक इन्सान को छोड़कर?

पर इस बात से अनजान आने वाला ये नया साल उसके लिए बहोत बुरा साबित होने वाला था I नये साल के दिन ही शादी हुई थी उसकी ओर उसी के दो दिन बद ही बडे शोकड से वो रुबरू होगी।

 अंशिका बडी नटखट और चुलबुली लडकी MUMBAI के बस्ती वालो की जान लीडर सबकुछ 

बस्ती मे रेहने वाली लोकल न्यू हाईस्कूल से graduated तो हो गई पर पूरे साल कोलॅज जाकर नही बस जब भी exam होते तभी वो अपने कोलॅज को देखने जाती थी अभी इसी साल तो उसका graduated complete हुआ था। 

बस्ती मे वो अकेली थी जिसका graduated कम्प्लीट हुआ इसलिए वो खुद को बडी ही पढी लिखी मानती थी उसमे बडा ही एटीट्यूड आ चूका था पर ये तो बस बस्ती वालो के सामने ही था। 

वो भुरी आखे जो आज काजल से भरी हुई थी I बडी ही खुबसुरत लग रही थी काजल भी इतना खुबसूरती से भरा गया था की साइड मे आखो के कोनो पर वो कोर बडी ही खुबसुरत बना रही थी अंशिका के उस फेस को?

होठोपर लगी चेरीबलोसम की वो डार्क रेड लिपस्टिक जो सामने वाले को ललचा रहे हो यही लगता था। रेड डार्क वो नाईट ड्रेस करीब दो घंनटो से पेहेनकर बैठी अंशिका बार बार यहा से वहा नही तो खुद को आईने मे देखती ही रेहती थी पर जिसके लिए वो बेसब्र होकर इतजार कर रही थी उसका तो अता पता था ही नही ना कोई आ रहा था। 

दो से चार दिन यही हालत थी रोने से शक्ल रेड हो गई थी अंशिका की बस शादी को कुछ तीन – चार दिन हो चुके थे I पर अंशिका के पास ना उसका नंबर था ना वो ठिक से उसका नाम जानती थी।

पर इतना लगझिरीयस होटल उसने जिदगी मे पेहली बार देखा था I यहा आने से लेकर अब तक वो भुक्कड की तरह खाये ही जा रही थी, बस बस्ती वालो ने कहा “ओर रेडी हो गई पर वो सजी सेज का सपना बस सपना ही रेह गया था!”

दो से तीन यही बीत गये पर ना उस रूम का डोर खुला ना कोई अंदर आया ना खुद अंशिका बाहर आई खाने के सिवाय बस वही लोग आते जाते जो रूम सर्विस देकर जाते थे। 

4 day ago 

अंशिका लाल आखो से सिलिंग को घुरते हुए ही उपर नजरे गडाये आखो से आ रहे आसू साफ करती तो कभी अपने आपसे बाते करती

“ये रिश्ता कैसे आया हमारे यहा पर नही ये लोग तो मुझे सरासर बेच दिये है। ओर देखो हमारी हालत क्या हो गई अगर ये हमारे हाथ नही लगती तो हमे पता ही नही चलता ये क्या माजरा है इनको क्या लगता है मे कोई अनपढ ग्वार हू? जो किसी की बाते भी समझ नही सकती बस्ती से हू तो ये नही की मुझमे अकल की कमी है! ” 

हाथो मे वो एक चीट पकडकर बार बार रोये जा रही थी। जो उसका डिवोरस पेपर था उसपर वो साइन जिसका नाम भी ठिक से दिखाई नही दे रहा था पर नाम से ही उसे प्यार हो गया था पर आज ये पेपर देखकर ही सुबह से रो रोकर खुद की हालत ये बनाली थी अंशु ने पुरी आखो से काजल फैल गया था! छोटे बच्चे की तरह उसकी हालत बन गई थी।

शिकायत भी करती ओर रोना भी शुरू था पर उसका रोना ओर शिकायते सुनने वाला कोई था ही नही बस वो चार दिवार मे ओर उनके अंदर कैद हुई अंशिका मेहता जो भी पास था उसमे ही अपना सुख दर्द सबकुछ ढूडने की कोशिश करती।

बाकी लोगो का भला हो गया इसलिए वो भी खुशी खुशी इस सेज पर चढ गई थी पर इस बात से अनजान आगे की जिदगी कैसे जियेगी वो?

वो भी पती ने छोडी हुई लडकी के नाम से वो भी शादी के दिन से ही ना अंशिका ने अपने पती का मुह देखा था ना उसका नाम उसने सुना ऊसके इर्द-गिर्द जो भी लोग थे वो बस सीइओ सर ही केहते!

मुंबई 

दुसरी तरफ 

बडा सा होटल सनशाईन 

बार टेबल के पास बैठा शख्स बार बार अपने सामने घुटनो के फल बैठे लोगो को बडे ही गुस्से से घुर रहा था। वंश बिजनेस वर्ल्ड का बादशाहा वंश सिंघानिया सिंघानिया ग्रूप का सीईओ 

बाहर से आ रही एक साथ आवाज को सुनकर जम सा जाता सबकी नजरे वंश सिंघानिया को देखना चाहती थी I पर वो कोई आम इन्सान थोडी ना था सबकी पोहच से दूर घमंड से भरा तो क्या तोड़ेगी अंशिका वंश का ये घमंड देखते है आगे 

बडा ही सनकी इन्सान ना दिल है उसके पास ना किसकी रिस्पेक्ट करने का टाइम एटीट्यूड तो कूट-कूटकर भरा हुआ था उसमे

वंश एक गरजती हुई आवाज आई उस रूम मे ऊसक के साथ एक झटके से डोर खुला था। आने वाला शख्स अमर सिंघानिया उम्र 45 साल बिजनेस सुट पेहने हुए बोडीगार्ड्स की कतार जो उनके पीछे त थ पर जब वो अंदर आ गये तब वो लोग वही बाहर खडी रेह गये थे।

पर टेबल के पास लगी चियर पर बैठा शख्स इतनी तेज आवाज से टस से मस भी नही हुआ था! वो तो बस नशे मे चूर होकर नशीली आवाज मे क्यो अमर साहब हो गई दिल को ठंडक या ओर कुछ बाकी है अभी वो भी कर ही लो फिर एक बोडीगार्ड्स के सहारे खडे होकर आप फोर्स करते तो हमने ही शादी करली matter close! 

वो कोन है कहा से है ये सब मत पेछना ना अपना जासूसी वाला दिमाग दोडाना वो मेरा मॅटर था जिसे मेनै सोलव किया ” that set mister Amar sighaniya”

फिर अपनी जगह से लडखडाते कदमो से ऊठकर खडा होकर अमर जी की ओर जाते हुए ही “आज ये पीने का कारण बस आप है समझ आ रहा है आपको आजतक कभी शराब को हाथ तक नही लगाया था।”

“पर आपने मुझे शादी करने के लिए मजबूर किया ओर एक लडकी की जिदगी मुझसे जोड़कर बर्बाद करदी।”

“आपको सब पता है आप बाप केहते हुए खुद को तो ये सब करने की क्या जरूरत थी। अब मे आपकी एक नही सुनने वाला मेरी जिदगी मे जो भी करू मेरी बीवी मेरा डिसीजन इसलिए उसे पॅरिस अकेला भेज दिया इन्जॉय करने के लिए बहोत सारे पैसे ओर उसके साथ उसकी आजादी का पेपर भी।” ये केहते हुए वंश के फेस पर मिस्टीरियस स्माइल थी।

वही अमर जी जो वंश की बातो सुन रहे थे “गुससे से शर्म आनी चाहिए तुमको वंश ऐसे करते हुए तुमने बस एकबार कहा होता तो तो फिर क्यो ये सब किया है आपने आप ना केहते तो हम सुन लेते पर तुम बस उनकी बात खत्म होने से पेहले ही।”

वंश ने कहा, ‘शर्म मुझे क्यो आयेगी आपको सचाई पता होने के बावजूद भी आपलोग समझने के लिए रेडी नही तो बस शादी करनी थी करली आज के बाद मुझे नही आपको शर्म आ?”

अमर जी के पीछे से एक ओर शख्स आगे निकल कर आते हुए सीधे वंश के गालो पर थप्पड मारा था। वही वंश जो कबसे नशे मे होने की acting कर रहा था वो एकदम से सिधा खडा हो गया ओर अपना हाथ उसी तरह गुस्से मे ऊठाकर पर सामने खडे शख्स को देखकर उसका हाथ हवा मे ही रूक गया था।

वही सबकी सासे जैसे हलक मे अटक गई थी। कोई भी सोच नही सकता था वंश सिंघानिया पर कोई भी हाथ उठाये आजतक उसपर किसीने नजरे उठाकर भी देखने की हिम्मत नही थी पर आज सिधे थप्पड …

To be continued…

कोन होगा वो शख्स जिसने थप्पड मारा वंश को? क्यो किया होगा वंश ने अंशिका के साथ ऐसा? मिलते है नेक्सट एपिसोड में…

Incomplete without you 

 

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