Wounded Love | Episode 01

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Episode 01

वह एक अनाथालय था जहां सारे बच्चे इकट्ठा होकर एक गोलाई में बैठे हुए थे। उन्हीं के बगल वाली कतार में दो बच्चे और बैठे हुए थे। वो दोनों खूब तेज से ताली बजा रहे थे और उनके ही बगल बैठा तेरह साल का लड़का बेहद गंभीर और शांत था। वह चुपचाप उन दोनों को देख रहा था कि तभी उसके कानों में एक आवाज पड़ी।

“बेटा प्रारथ.. चलो तुम्हें मैडम बुला रही हैं।”

उसने पीछे पलट कर देखा तो वह चौकीदार था जो उसे बुला रहा था। उसने अपने सामने बैठे अपने ही हम उम्र लड़के की तरफ देखा और बोला,” दिशांत… तुम टैडी का ध्यान रखना। मैं अभी आ रहा हूं।”

कहकर वह चौकीदार के साथ चला गया जबकि दिशांत ने एक बार अपने से दो साल छोटे टैडी को देखा.. पर वह भी तो ठहरा बच्चा ही! वह खुद आकर सीधे उस गोलाई के बीच में जाकर कारस्तानियां करने लगा।

10 मिनट… 20 मिनट बमुश्किल बीते थे और अचानक ही पूरे अनाथालय में आग लग गई। एक-एक ज़र्रा आग की चपेट में था। दिशांत को तुरंत टैडी का ध्यान आया। वह डरा सहमा सा हकबकाई नजरों से इधर-उधर झांकने लगा। चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। छोटे बच्चे किसी बिखरी हुई हुजूम की तरह इधर-उधर भाग रहे थे। आग हर पल भीषण होती जा रही थी।

अनाथालय का स्टाफ बच्चों को आनन-फानन में अनाथालय से बाहर गेट की तरफ भेज रहा था। दिशांत हड़बड़ाहट में भागता हुआ टैैडी को ढूंढने लगा। इधर-उधर वह चीख-चीख कर टैडी को पुकार रहा था पर टैडी का कहीं अता पता नहीं था। वह बेहद डर गया। और तभी किसी ने उसका हाथ पकड़कर खींचा और गेट के बाहर कर दिया। वह अनाथालय का स्टाफ था।

“अरे क्यों बेटा आग में कूद रहे हो? देख रहे हो आग लगी है जलना है क्या? ठहरो..” उसने दिशांत को फटकारा। दिशांत ने उसकी तरफ बड़ी ही कातर नजरों से देखा। वह रोनी सूरत बना कर बोला,”अंकल… मेरा भाई वही छूट गया है। टैडी! प्लीज़ उसे मेरे पास लेकर आओ ना.. खोज दो मेरे भाई को..!” उस आदमी ने तुरंत उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा और बच्चों को बचाने के लिए उस तरफ भागा। दिशांत डबडबाई आंखों से गेट की छड़ें पकड़कर अंदर की तरफ झांक रहा था पर अभी भी टैडी कहीं नजर नहीं आया। तभी भागते हुए प्रारथ वहां पहुंचा।

प्रारथ ने दिशांत को झकझोरते हुए पूछा- “कहां है टैडी दिशांत?” दिशांत को रोता देखकर वह बुरी तरह घबरा गया।

“भाई! वो..टैडी अंदर ही छूट गया है।” दिशांत ने रोते हुए कहा।

प्रारथ ने गुस्से में दिशांत को परे झटका और खींच कर दो थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिए। वह गेट के ऊपर चढ़कर गेट पार कर के अंदर कूद गया। अंदर की ओर वह भागा ही था कि चौकीदार ने उसका हाथ पकड़कर खींचा तो वह गुस्से में बोल पड़ा,”प्लीज़ मेरा हाथ छोड़ दो.. मेरा भाई अंदर है। मैं.. टैडी को बचा लूंगा।”

उसके जबड़े भिंचे हुए थे। चौकीदार ने उसे समझाया पर प्रारथ मानने को तैयार ही नहीं था। उसने जबरन प्रारथ को गेट के बाहर खींचा और गेट बंद कर दिया और अंदर बच्चों को बचाने के लिए भागा। प्रारथ बदहवास आंखों से अंदर का नजारा देख रहा था। जर्रा-जर्रा आग की चपेट में था। कहीं खंभे तो कहीं लकड़ी के तख्ते जलकर भहरा रहे थे। प्रारथ की आंखों से भरभरा कर आंसू गिर पड़े। वह 13 साल का मासूम अपने भाई को आग में ढूंढ रहा था पर उसका कहीं भी नामोनिशान नहीं था। तभी पीछे से दिशांत आकर उसके गले से लटक गया। प्रारथ ने बेचैनी से उसे गले से लगा लिया। दोनों भाई फफक कर रो पड़े।”

दिशांत अभी अभी यही धुंधली यादें टटोलकर कर आंखों मे आंसू लिए सोंच रहा था कि तभी उसका फोन घनघनाया। उसने अपना सिर झटका और अपनी जेब में फोन टटोलने लगा।

“हां भाई! अच्छा लोकेशन… ओके भेज मैं पहुंचता हूं। कहकर दिशांत ने फोन रख दिया और उठ खड़ा हुआ। उसकी नजर बगल सोते हुए सोम पर गई और उसने उसकी गर्दन पर जमकर एक घूंसा जमाया।

“अबे उठ जा गधे! देख प्रारथ से पहले वहां पहुंचना है समझ आई?” कहकर वह उसके कान में चिल्लाया और सोम हक बका कर उठ बैठा।

“क्या प्रा…प्रारथ.. भाई कहां है?” सोम आंख मींजते हुए बोला। इस पर दिशांत जोर से ठठाकर हंस पड़ा।

“प्रारथ का खौफ तो देखो! क्या डरा रखा है बंदे ने सबको!” वह हंसा और सोम ने बुरा सा मुंह बनाया। उसने अपनी जैकेट उठाई और दोनों कार में बैठकर लोकेशन की तरफ निकल गए।

……………………

“डोंट वरी! प्लीज घबराओ मत तुम लोग.. मैं.. मैं यहां पर तुम लोगों को बचाने ही आई हूं। देखो ज्यादा टाइम नहीं है.. मैं कुछ भी एक्सप्लेन नहीं कर सकती। जल्दी चलो मेरे साथ प्लीज..” वह कोई 24 साल की गोरी चिट्टी लड़की थी। उसने वाइट टीशर्ट और उसके ऊपर मिंट ग्रीन कलर का लेदर जैकेट पहन रखा था और नीचे रनिंग शूज थे। वह सामने 5 लड़कियों को डरी सहमी देखकर उन्हें पहले से ही समझाने लगी। वे पांचों की पांचों बुरी तरह घबराई हुई थीं। उनके चेहरे पर और हाथों पर बने जख्मों के निशान से अंदाजा लगाया जा सकता था कि कुछ लोगों ने उनके साथ जोर जबरदस्ती की थी। वह बेचारी पांचो कतराई नजरों से उस लड़की को देख रहीं थीं। उसने झट से अपने बैग से आईडी कार्ड निकाला और उन पांचों में से एक को थमा दिया।

“यह मेरा आईडी कार्ड.. मैं.. मैं एक एनजीओ से हूं। यहां मैं तुम लोगों को बचाने ही आई हूं। मैं उन लोगों में से नहीं जिन्होंने तुम्हें यहां पर कैद किया है।” उन पांचों ने घूर कर आईडी कार्ड को देखा और थोड़ी राहत की सांस ली।

“पर नहीं… मैं.. मैं नहीं जाऊंगी अगर उन लोगों ने हमें देख लिया और पकड़ लिया तो वे और भी टॉर्चर करेंगे।” उसमें से एक घबराई हुई बोली तो उस लड़की ने अपना सिर पीट लिया। उसने गहरी सांस खींची और दोबारा उन पांचों के चेहरे को देख कर बोली,”अभी जिस कंडीशन में हो क्या उससे भी बुरी कंडीशन आएगी? प्लीज मेरी बात सुनो और यहां से निकलो.. मैंने पुलिस को कॉल कर दिया है वह लोग बहुत ही होंगे। पास ही में मेरी जीप खड़ी है हम वहां से निकल जाएंगे..इन हैवानों की पहुंच से बहुत दूर!” कहकर उसने उन पांचों की तरफ बड़ी ही उम्मीद से देखा।

उनमें से एक उस लड़की के साथ आ गई,” पर कोशिश करने में क्या हर्ज है? इस नर्क से बेहतर तो मौत है।” उस साथ आई लड़की ने कहा और उसे देखते चारों की चारों उसके पीछे आ गईं। वह लड़की मुस्कुराई। उसने उन पांचों की तरफ देखा और अपने पीछे आने का इशारा किया। वह आगे बढ़ी और सीढ़ियों से नीचे उतर गई। बगल में ही एक कमरा था वह झट से उस में घुसी और पांचों की पांचों उसके पीछे।

उसने खिड़की से झांक कर बाहर की तरफ अच्छे से मुआयना किया। बाहर कोई नहीं था। बस कुछ ही दूर से लगा एक जंगल शुरू था। यह निपट सुनसान इलाका था। ये कोई उजाड़- खखाड़ सी एक बिल्डिंग थी, जहां पर इन पांचों लड़कियों को कैद करके रखा गया था। उसने उन पांचों को सामने दिखते एक टीनशैड की तरफ इशारा किया और वे पांचों की पांचों एक ही बार में झटके से भागकर उसके ओट में छिप गई। पीछे पीछे वह लड़की भागी और वह भी टिनशैड की ओट में आ गई।

उसने उन पांचों की तरफ देखा और आगे बढ़ने का इशारा करते हुए बोली – बस 2 मिनट की दूरी पर मेरी जीप खड़ी है। जल्दी आ जाओ.. यहां से निकलते हैं उन लोगों की खैर पुलिस ही पूछेगी। डोंट वरी..” उसके चेहरे पर एक कड़वाहट तैर गई। सामने झाड़ियों में एक जीप खड़ी हुई नजर आई। पांचों उस पर बैठी और उस लड़की ने ड्राइविंग सीट संभाली। अभी उसने जीप स्टार्ट ही की थी कि धड़धड़ाती आवाजों ने उन सबों को चौंका दिया। लड़कियों ने अपने कानों पर हाथ रखा और आंख मूंदते ही डर से कांप उठीं। वह गोलियों की आवाज़ थी जो एक के बाद एक ताबड़तोड़ चली आ रही थी।

और तभी! उसकी जीप के पिछले टायर पर तीन चार गोलियां आ धंसीं और एक भीषण फुसफुसाहट के साथ टायर जमीन पर चिपक गया। वह लड़की हैरानी और सदमे से यह सब महसूस तो कर रही थी पर उन मेें हिम्मत नहीं थी कि वह पीछे पलट कर देख सकें।

वह एक काली कार थी जो सामने से चली आ रही थी। तकरीबन 8 -10 कदम की दूरी पर कार रुकी और उसमें से नजर आया वह एक बेहद शांत बैठा हुआ एक लड़का! वो प्रारथ था। उसका एक हाथ स्टेयरिंग पर था और दूसरा खिड़की से बाहर! उसके हाथ में गन थमी हुई थी। वह आराम से कार से बाहर निकला। अपनी आंखों पर चढ़े गॉगल को उसने उतारा। पूरा काले रंग में लदा-फना! कुछ अपेक्षाकृत लंबे बाल जो गर्दन तक लटक रहेेे थे पर माथे भी लटक रहे थे। उसका चेहरा बिल्कुल शांत और गंभीर था। बिल्कुल भावहीन! एक अजीब-सी कठोरता! उसने उन सब की तरफ एक गहरी नजर डाली और चुपचाप अपनी कार की बोनट से टिककर खड़ा हो गया। उन पांचों ने अभी भी जहमत नहीं कि पीछे देखने की और तभी एक कार आकर रुकी।

“शिट्! मैंने पहले ही कहा था चलने को लेकिन उनकी वजह से इस बार भी लेट हो गए! देख प्रारथ पहले पहुंच गया।” वह दिशांत था जो सोम को देख कर उस पर भुनभुना रहा था।

प्रारथ ने एक नजर उन दोनों पर डाली और हाथ बांधते हुए बोला,”लड़कियों को लेकर जाओ!”

सोम और दिशांत चुपचाप उस ओर बढ़ गए। लड़कियां इतनी सहमी हुई थी कि सोम के वहां पहुंचते ही पांचों की पांचों जीप से तुरंत उतर कर उसकी तरफ आकर खड़ी हो गईं। सोम ने अपनी बंदूक निकाली ही थी कि तभी एक तेज़ चीखती आवाज से हर कोई चौंक गया।

“हेय! स्टॉप इट! क्या कर रही हो तुम सब? इनसे डरने की जरूरत नहीं है। पुलिस अभी आ ही रही होगी। यह कुछ नहीं कर सकते..” ड्राइविंग सीट पर बैठी लड़की उछल कर उनके सामने आई। वह गुस्से में सबको देख रही थी। सोम ने कुछ कहना ही चाहा था कि उस लड़की ने बड़ी फुर्ती से उसके हाथ से गन छीनी और उन सब की तरफ लहराते हुए बोली – “अपनी अपनी जगह पर खड़े हो जाओ.. किसी ने अगर हरकत करने की कोशिश की तो मैं उसे जान से मार दूंगी.. याद रखना! इन पांच लड़कियों को तुम लोग कहीं नहीं ले जा सकते!” वह गुस्से में बोली और सब के सब हैरानी से उसे देखने लगे।

“देखो! अपनी जान पर बेवजह आफत मोल ले रही हो.. हमें जाने दो! जैसा तुम समझ रही हो ऐसा कुछ नहीं है। बाद में पछताने के सिवा तुम्हारे पास कुछ नहीं होगा.. हमें जाने दो!” यह दिशांत था जो बड़े आराम से बोल रहा था।

“आई सेड…पुट डाउन योर गन!” उस लड़की ने गुस्से में कहा तो दिशांत ने अपनी गन नीचे रख दी।

“अपने बाॅस को भी बोलो…नी बेंड करें..” उसने प्रारथ की तरफ़ देखकर नफ़रत से कहा। प्रारथ उसे ही ग़ौर से देख रहा था। वो गन प्वाइंट की सीध में चलने लगा उस लड़की के! वो आगे बढ़ता गया। महज़ अंगुली भर फासले पर दोनों खड़े थे। उस लड़की के शरीर में कंपकंपी सी दौड़ गई। गन थामे उंगलियों में तेज़ सिहरन हो रही थी। प्रारथ रुका और फ़िर आगे बढ़ गया। गन का सिरा प्रारथ के सीने में चुभा! वो लड़की डर से कांप गई। ऐसा लगा कि अगले पल बंदूक नीचे गिर पड़ेगी।

“कमआॅन! डू इट!” वो भावहीन आंखों से झांकता हुआ बिल्कुल ठंडे लहज़े में बोला।

“आयल किल यू मोराॅन!” वो गुस्से में किचकिचाती हुई बोली।

प्रारथ ने अपनी बंदूक सोम की तरफ़ फेंकी और दूसरे हाथ से बंदूक की नोक सीने पर धंसाते हुए बोला,”गो! मैं पहुंच जाऊंगा।” दिशांत ने झट से अपनी बंदूक उठाई और लड़कियों को लेकर कार की तरफ़ बढ़ गया। सोम ने बंदूक लपकी और पीछे-पीछे निकल गया। प्रारथ अब भी वैसे ही खड़ा रहा।

“जिस शख्स ने कभी मच्छर भी नहीं मारा हो वो प्रारथ ठाकुर को जान से मारेगा? फनी जोक!” कहकर उसने एक झटके में बंदूक अपने हाथ में ली और दूसरे हाथ से उसे अपनी तरफ़ खींचकर आगे की तरफ़ धकेल दिया। वो गिरते-गिरते बची।

“चुपचाप चलो!” कहकर प्रारथ उसके पीछे चलने लगा। वो चुपचाप आहिस्ता से सिर झुकाए चलने लगी। और तभी वो एकाएक पलटी!

उसने एक ज़ोरदार मुक्का प्रारथ के होंठों पर मारा और सीधे जंगल की तरफ़ भागी। प्रारथ अचानक हुए हमले से अचकचा गया। उसने अपनी उंगलियां होंठों पर फिराईं! हल्का खून निकल आया था। उसने गुस्से में अपना हाथ झटका और उस ओर भागा।

वो बदहवासी में उससे भी तेज़ भाग रही थी जितना वो भाग सकती थी। उसने पीछे पलटकर देखा तो प्रारथ कहीं नज़र नहीं आया। उसने राहत की सांस ली और अपनी चाल हल्की धीमी की ही थी कि अचानक वो किसी चीज़ से टकरा गई। वो बुरी तरह चिहुंक उठी। सामने प्रारथ उसे गुस्से में घूरते हुए खड़ा।

“इस जंगल का हर कोना छान रखा है मैंने…मुझसे छुपने को हर कोना नाकाफी है!” उसने बिल्कुल सख़्त और नफ़रत से कहा और उसे पीछे की तरफ़ जोर से धक्का दिया। वो बुरी तरह लड़खड़ा कर पीठ के बल गिर पड़ी। वो चुपचाप उठी और आगे चलने लगी। उसकी आंखों से कुछ बूंदें लुढ़क कर ज़मीन पर जा गिरीं। और अगले ही पल! उसने झट से मुक्का घुमाया पर प्रारथ ने उसकी मुट्ठी को अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया! उसका दांव उल्टा पड़ चुका था। प्रारथ ने बेहद नफ़रत से उसके बाजू को पकड़ कर अपनी तरफ़ खींचा।

“हमेशा एक ही बार मौक़ा देता हूं धोखे का या भरोसे का! तुम्हारी बारी अब ख़त्म.. चुपचाप चलो वरना मेरे पास और भी तरीके हैं..” कहकर उसने गुस्से में उसे पीछे की तरफ़ धकाया।

“यू! हैवान हो तुम! आयल किल यू..” कहकर वो गुस्से में आगे बढ़ी पर प्रारथ ने झट से उसके कनपटी के हल्के नीचे गर्दन पर दो उंगलियां रखकर दबाया और वो भर-भराकर प्रारथ के ऊपर ही बेहोश हो गई। प्रारथ ने उसे गोद में उठाया और बगल वाली सीट पर बिठा दिया। वह उसकी सीट बेल्ट बांध रहा था जब उस लड़की की बैग से कुछ गिरा! प्रारथ ने झुककर उठाया! वो उसका आईडी कार्ड था।

“कृशा कपूर! तो समाजसेवी है! तभी सोचूं!” वो हल्के से फुसफुसाया और आईडी कार्ड पीछे की सीट

पर फेंककर कार स्टार्ट कर दी।

क्रमशः…

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