Episode–2
एक हवेली.!,
” पापा.! पापा लिटिल बेबी को पकड़ो न. ये पापा बेबी को नहीं पकड़ पा रहे, मम्मा देखो न पापा भी आपकी तरह बेबी को पकड़ नही पाए अब तक बेबी का बीस्ट ! होता |
तो वो बेबी को पकड़ लेता पर आप दोनो में से कोई भी लिटिल बेबी को पकड़ नही पाया और अब लिटिल बेबी जीत गई ये ये बेबी जीत गई आप दोनो हार गए बेबी जीत गई ये” |
एक नन्ही सी बिल्कुल किसी कांच की गुड़िया की तरह बेहद खूबसूरत सी बच्ची.! लाल रंग की फ्रॉक पहने उस बड़े से हॉल में इधर उधर अपने नन्हे कदमों से उछलती कूदती हुई, बोले जा रही थी |
उसके लंबे काले और भूरे रंग के चमकते हुए कमर तक आते बाल, उसके भागने के कारण बार बार हवा में लहरा रहे थे। उसकी वो नीली बड़ी बड़ी आंखे सितारे की तरह चमक रही थी. |
उसके वो लाल छोटे छोटे होंठ लगातार मुस्कुराए जा रहे थे । जबकि उसी नन्ही सी बच्ची के पीछे पीछे एक 36 साल का आदमी अपनी ही उम्र की औरत के साथ उसे पकड़ने की कोशिश करते हुए भाग रहा था. |
हालांकि ये कोशिश सिर्फ एक नाटक था! शायद वो खुद उस बच्ची से हारना चाहता था-” ओ ! देखो तो सच में मम्मा पापा अपनी लिटिल बेबी से हार गए, वो दोनो ही उसे नही पकड़ पाए. ” |
” अब क्या करे हम स्मिता.? आप ही बताइए हम दोनो फिर से हार गए.! “
” ये तो आपने एकदम सही कहा अर्णव जी हमे तो लगता है की अब हमे अपनी लिटिल बेबी को पकड़ने के लिए उसके मिस्टर खडूस ! को अपने तरफ करना होगा ” |
” ताकि अगली बार से जब भी वो लिटिल बेबी को पकड़े तो हमारे पास ले कर आए क्यों.? ” स्मिता जी ने उस नन्ही सी बच्ची को तिरछी नजरों से देखते हुए |
हल्का सा मुस्कुरा कर अपने पति अर्णव जी से कहा जो खुद भी अब उनके साथ सोफे पर बैठ कर अपनी आंखो के कोने से दूर खड़ी अपनी बड़ी बड़ी आंखे किए उस बच्ची को देख रहे थे –
” नही! नहीं आप दोनो मेरे मिस्टर खडूस को अपनी तरफ बिल्कुल नही करेंगे समझे आप.? क्योंकि वो सिर्फ लिटिल बेबी की तरफ उसके साथ रहेंगे वरना. ” |
” वरना क्या.? ” उस नन्ही सी बच्ची को गुस्सा होता देख अर्णव जी ने अपनी हसी रोकने की कोशिश करते हुए, गंभीर चेहरे के साथ पूछा जिसका जवाब देते हुए उस बच्ची ने उनके तरफ |
अपने नन्हे नन्हे कदमों से बढ़ते हुए गुस्से और नाराजगी से अपनी क्यूट सी आवाज में कहा – “वरना लिटिल बेबी आप से बात नही करेगी समझे आप और मम्मा.! ” |
” अब जब आप हार गए तो जल्दी से मेरे आलू के पराठे बना दो तब तक लिटिल बेबी फ्रेस हो कर आ जायेगी.! ” उस बच्ची ने लगभग अपने मां पापा को ऑर्डर देते हुए कहा
और फिर वहा से अपने नन्हे नन्हे कदमों के साथ सीढ़ियों की तरफ बढ़ गई. । जबकि उसके पीछे बैठे वो दोनो अपने आप को अब हसने से रोक नहीं पाए। – “टिंग.! टिंग.!” |
उनकी हसी पर रोक तब लगा जब आधी रात के उस पहर में उनके घर की डोर बेल बजी। डोर बेल सुनते ही उन दोनो के चेहरे पर हैरानी भरे भाव उबर आए –
” इतनी रात को यहां कोन आया है.? लगता है जरूर भाई साहब होंगे तभी सिक्योरिटी गार्ड्स ने उन्हे आने दिया, हम अभी देख कर आते है तब तक आप यही रुकिए. ” |
स्मिता जी ने अर्णव जी तरफ देख कर कहा और फिर बिना कुछ ज्यादा सोचे मैन डोर की तरफ चली गई. |
उनके जाते ही अर्णव जी ने अपने चेहरे पर मुस्कान लाते हुए सामने रखे डैडी बियर को देखा जो नीचे जमीन पर गिरा हुआ पड़ा था. |
जिसे देख उन्होंने जैसे ही नीचे झुक उस छोटे से डैडी बियर को अपने हाथों में पकड़ उठने को हुए एक तेज आवाज के साथ उनके बगल में खून से लथपथ हुई पड़ी स्मिता जी आ गिरी -” आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह! ” |
” स्मिता.! स्मिता उठिए स्मिता क. क्या. हुआ.? आपको स्मिता अपनी आंखे खोलिए. ” डर और घबराहट से भरे चेहरे के साथ अपने आंखो में बेहिसाब आंसू लिए अर्णव जी तड़प कर बिना एक पल का भी. |
वक्त गवाएं स्मिता जी को अपने गोद में उठा अपने सीने से लगाते हुए बोले. । जिनकी आंखे धीरे धीरे से बंद हो रही थी उनके पूरे कपड़े खून से सन चुके थे, माथे पर पसीने की बूंदे बिखरी हुई थी. |
उनकी सांसे तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी. । बेहिसाब दर्द को सहते हुए उन्होंने अपने एक हाथ को अपने खून से लथपथ सीने पर रखते हुए.! |
तेजी के साथ लंबी लंबी सांसे भरते हुए उनकी आंखों में देख अपने कांपते हुए दूसरे हाथ को उठा सामने मैन डोर की तरफ इशारा कर दिया.! |
जिसे देख जैसे ही अर्णव जी ने अपनी आंसुओ और तड़प से भरी आंखो को उस तरफ उठा! कर सामने देखा वैसे ही उनकी आंखे गुस्से और नफ़रत से भर उठी |
साथ ही उनका चेहरा एक दम कठोर हो गया। उनके ठीक सामने तीन लोग लाइन से लगी कतार में! अपने होंठो पर मक्कारी भरी मुस्कुराहट लिए खड़े थे, |
जैसे उनके अंदर कूट कूट कर सिर्फ मक्कारी और शैतानियत ही भरी हुई हो, -” क्या हुआ मिस्टर रावत.? हमे यहां देख आपको खुशी नही हुई क्या.? वैसे मुझे तो लगा था आप हमे यहां देख कर तो बहुत खुश हो जायेंगे.!” |
” पर अफसोस यहां तो आपके चेहरे पर मुस्कान की जगह तो दर्द और नफरत दिखाई दे रही है.! क्यों सही कहा न भाभी जी.?” |
सामने खड़े उस 38 साल के सफेद रंग के कुर्ता पैजामा पहने खड़े आदमी ने अर्णव जी के गोद में लेटी दर्द से तड़पती स्मिता जी को देख कर कहा |
जिसे सुन कर भी स्मिता जी ने नज़र अंदाज कर दिया.! क्योंकि इस वक्त उनकी वो दर्द और तड़प से भरी निगाहें सिर्फ और सिर्फ सामने उस आदमी के साथ खड़ी |
उस 34 साल की औरत पर जमी हुई थी.! जो खुद भी बड़ी ही बेदर्दी से उनकी उस हालत पर खड़ी मुस्कुरा रही थी -” आखिर क्या मिला तुम सब को ये सब कर के हा.? आज अगर भले ही हम दोनो मारे जाए.! |
लेकिन हमारे मरने के बाद भी शिव तुम्हे और तुम सब को छोड़ेगा नही समझे तुम लोग.!” अर्णव जी ने सामने खड़े उन तीनो लोगों, जिन में से दो आदमी तो एक औरत थी. । उन्हे अपनी जलती हुई निगाहों से घूरते हुए बोले. |
जिसे सुन अब तक चुप चाप खड़ा अपनी हवस भरी नजरों से स्मिता जी को घूर रहा थ। तो वो दूसरा आदमी अपने होंठो पर अपनी उंगली फिराते हुए बोला –
” अरे हा हम तो यहां तुम दोनो को खुशखबरी देने आने थे, जानते हो क्या.? चलो बता ही देता हूं की तुम्हारा वो जिगरी दोस्त शिव अब इस दुनिया से आजाद हो चुका है, मार दिया हम ने उसे पहले ही और अब तुम दोनो की बारी है हा हा हा.! ” |
इतना कहते ही न सिर्फ वो बल्कि उसके साथ मौजूद वो दोनो लोग भी हसने लगे थे.! जबकि उस आदमी के मुंह से निकले बातों को सुन अर्णव और स्मिता जी एकदम से सुन्न रह गए.! ये बात उनके लिए किसी झटके से कम नही थी –
” क्यों क्या हुआ सांप सूंघ गया क्या तुम दोनो को.? वैसे सच कहूं तो मेरा मन उसके उस बेटे को भी जान से तड़पा तड़पा कर मारने का था, पर अफसोस ऐसा हो नही पाया जानते हो क्यों.?” |
” क्योंकि साला उसका बेटा.! वो दस साल का चार फुटिया लड़का वो आपने बाप से भी चार गुना ज्यादा चालाक है, इतनी सी उम्र में हमारे नाक में दम कर रखा है। खैर उसे तो बाद में हम मार ही देंगे.! ” |
” आखिर अरबों की संपत्ति का अकेला जो वारिश है वो, उसके मरने के बाद ही तो सब कुछ हमारा होगा, लेकिन उसे मारने से पहले हमारा तुम्हे मारना बेहद जरूरी हैं । इसलिए अब जिस काम के लिए आए है वो खतम कर ही देते है.! ” |
उस आदमी ने कहा और फिर उसके साथ साथ ही वहा खड़े वो दोनो लोगों ने भी अपने अपने हाथों में पकड़ी गन को अर्णव और स्मिता जी की तरफ पॉइंट कर दिया। जिसे देख अब तक दर्द और तड़प छाए हुए |
उन दोनो पति पत्नी के चेहरे पर तिरछी और व्यंग से भरी खतरनाक मुस्कान उभर आई, अर्णव जी ने कस कर स्मिता जी को अपनी बाहों में कस कर भरा जिसके बदले में उन्होंने ने भी अपने कांपते हाथों को उनके कमर के इर्द गिर्द लपेट लिया –
” भले ही आज इस कहानी का अंत तुम्हारे हाथों में था.! भले ही इस बार हार हमारी और जीत तुम्हारी हुई हो, लेकिन एक बात कान खोल कर सुन लो बहुत जल्द तुम्हारा भी मंजर ऐसे ही आएगा |
” और वो हम सब से भी ज्यादा बेहद बेदर्द और भयानक.! ये मेरा दिल कहता है, जिस आग को तुम लोग चिंगारी समझ रहे हो ना वो ज्वालामुखी है, जो तब तक शांत रहेगा जब तक उसके इंतेहा की हद पर नही हो जाए और अब आज ये भी हो जाएगा.! ” |
अर्णव जी की बात को इग्नोर कर, उन तीनो ने बिना किसी रहम और दया के एक बाद एक कर के अपने गन में बची हुई पूरी की पूरी छह के छहो गोलियां उन दोनो के जिस्म में रौंद वहा से अपने जीत का जश्न मनाने के लिए चले गए ।
लेकिन छोड़ गए पिलर के पास खड़ी उस नन्ही सी बच्ची को जिसके आंखो के सामने ही उसके मां बाप को मार दिया गया था. । आखिर गलती क्या थी उसकी जो आज उसे इतनी ही उम्र में ही अनाथ कर दिया गया था.? |
“लिटिल बेबी! चलो हमे यहां से तुरंत निकलना चाहिए अब आपका यहां रहना सुरक्षित नहीं है। ये कातिल लोग अभी सिर्फ यहां से इसलिए गए हैं क्योंकि सिक्योरिटी अलार्म का हैक हुआ डाटा वापस आ गया है.! ” |
‘इनका अगला शिकार आप ही होंगी नही नही मैं ऐसा ” नही होने दूंगी बिल्कुल नही अर्णव भाई ! आपके अंश को मैं खुद की जान दे कर भी बचाऊंगी ये आपकी बहन का आपसे वादा है.” |
उस नन्ही सी बच्ची के पीछे खड़ी एक 29 साल की लड़की ने अपनी आंसू भरी आंखो से सामने खून से लथपथ पड़े अपने भाई और भाभी को एक नज़र देख पहले खुद से कहा और फिर |
उस नन्ही सी बच्ची को अपने गोद में उठा । वो उसे ले तुरंत बिना एक भी पल गवाएं वहा से पीछे के रास्ते से मेंशन के बाहर निकल गई । क्योंकि इस वक्त उसका अपनी बच्ची को बचाना ज्यादा जरूरी था. |
आधी रात का वक्त था, सुनशान रास्ता और उस पर छाया हुआ अंधेरा एक लड़की के लिए ये सच में किसी खौफ से भरे मंजर जैसा था. । लेकिन फिर उस लड़की ने हार नही मानी और अपने गोद में लिए |
उस नन्ही सी बच्ची को पकड़े वो वहा से भागती चली जा रही थी.। जबकि अभी तक उछल गुद करती वो भोली भाली सी बच्ची एकदम से शांत पड़ चुकी थी. |
उसके वो सितारे से चमकती हुई आंखे एकदम से मुरझा चुकी थी और वही आंखे गहरी लाल पड़ चुकी थी. । हालांकि उसे ये तो अभी भी समझ नही आया था की उसके मां बाप अब हमेशा के लिए उसे छोड़ कर जा चुके है.
उसे तो बस अपनी बुआ की कही गई। वो बाते याद आ रही थी जब उन्होंने कहा था की उसके मां पापा को आराम करना है. |
इसलिए वो लोग उन्हे सोते हुए छोड़ कर ही बाहर घूमने आए है. । लेकिन उस बच्ची ने बाहर जाने से मना कर दिया था क्योंकि उसके मां पापा को चोट लगी हुई है ये उसे साफ नज़र आ रहा था. |
लेकिन फिर भी उसकी बुआ ने उसे जबरदस्ती वहा से ले कर न जाने कहा जा रही थी। उस घने अंधेरे से भरे रास्ते पर वो बस चलती जा रही थी और अंत में उसी अंधेरे में ही वो दोनो न जाने कहा गुम हो गई. |
रीडर्स.!
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To Be Continued 💖..!