Episode – 01
“वात्सल्य सिंघानिया के सपने के बीच में जो आता है, उसे जिन्दा रहने का कोई हक नहीं।
इसे इतनी बदतर मौत दो, की कोई पत्रकार आज के बाद हमारे बारे में कुछ छापने के बारे में भी सोचे भी तो लिखते वक्त उसके कलम कांपे और उसके दिमाग में यह ख्याल रहे की यह उसकी आखिरी एडिटोरिल हो सकती है।
और इसके बाद उसके बच्चे फुटपाथ पर और बीवी किसी कोठे पर मिल सकती है।। गंगा में प्रवाहित कर दो उसे। ओम शान्ति शान्ति शान्ति। ”
एक शख्स जो करीब करीब 27 साल का था, एक 24 मंजिले इमारत के सीसे की दीवार के समाने खड़ा होकर फोन पर बात कर रहा था।
उसके हर शब्द में उसकी धमक और एटिट्यूड साफ झलक रही थी। उसने एक थ्री पीस सूट और हाथों में एक ब्रांडेड वॉच पहन रखा था। उसका औरा इतना जायदा डॉमिनेटिंग था की उसके समाने हर शक्श बोना लगे।
“वात्सल्य सर” अचानक से सामने से एक लड़का, जो शायद उसी ऑफिस में काम करता था वो आया। उसके हाथो में ढेर सारी फाइल थी। वात्सल्य ने उसे एक नजर देखा, और फोन के दूसरी तरफ रुके हुए शक्श को कुछ इंस्ट्रक्शन देकर अपने चेयर के पास आया ।। उस दूसरे व्यक्ति ने अपने हाथ में पकड़ी सारी फाइल को उसके सामने रख दी।।
“वात्सल्य सिंघानिया”, मुंबई शहर ही नहीं बल्कि पूरे भारत का सबसे बड़ा बिज़नेस टायकून, जिसका ख्वाब है दुनिया को जितना, अपनी पावर से पूरे वर्ल्ड पर राज करना। जिसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकता है। जिसको सिर्फ दो जुबान आती है, पैसे देकर कर आवाज खरीदना या मौत देकर आवाज बंद करना।
“सर, यह कुछ जरूरी फाइल थी। जिन पर आपके साइन चाहिए। “सामने से उस लड़के ने कहा वो मुश्किल से 16 साल का होगा।
वात्सल्य ने उसके हाथों से वो फाइल लिया और साइन करने लगा।
“तुम्हारी कॉलेज कैसी चल रही है विहान ? ” वात्सल्य उन पेपर पर साइन करते हुए उस लड़के से बात कर रहा था।
“अच्छी… अच्छी…. चल रही है सर।” विहान ने डरते हुए कहा।
वो वातस्ल्य से डर रहा था, उसने अभी तक एक बार भी नजरे नहीं उठाई थी।
वात्सल्य उठा, उसके उठने से विहान थोड़ा पीछे हो गया।
वात्सल्य ने उसके कन्धे पर हाथ रखा, ” क्या हुआ डर लगा रहा है मुझसे ? हुंह…”
वातस्ल्य ने एटीट्यूड से पूछा, विहान ने जल्दी से ना में सर हिला दिया।
“गुड बॉय” वात्सल्य ने उसके गालों पर थपकी दी, “हम बुरे नहीं है। वो तो तुम्हारे बाबा ने ऐसा कुछ कर दिया था की मुझे ना चाहते हुए भी उन्हें सजा देनी पड़ी।
क्योंकी वात्सल्य सब बरदास कर सकता है पर झूठ और फरेब कभी नहीं। और देखो हम कितने अच्छे है, तुम्हारे बाबा के साथ इतना कुछ करने के बाद भी तुम यहां मेरे ऑफिस में हो। “
वात्सल्य ने उसे सारी फाइल्स दे दी। विहान चुपचाप वहां से चला गया। वो वात्सल्य के पावर को जानता था, वो उससे नहीं जीत सकता था।
“बस एक दफा सिर्फ एक दफा यही डर, यही दर्द, यही आंसू मुझे तुम्हारे आखों में देखना है। तुम जो भी हो जहां भी हो, यकीन मानो वात्सल्य सिंघानिया तुम्हे वहां से खोज कर निकालेगा।
तुमने मेरे सपनो के बीच आने की गुस्ताखी की है। और इसके लिए मैं तुम्हे वो सजा दूंगा कि तुम्हे देख कर बाकी लोगो की रूह कांप जाएगी। ।
हर कोई दुआ करेगा की उन्हे मौत आ जाए पर उनकी जिंदगी में वातस्ल्य सिंघानिया नहीं आए। मैं जब तुम्हारी जिंदगी में आऊंगा, तुम्हे मौत खूबसूरत लगने लगेगी, तुम गिड़गिड़ा कर मुझसे अपनी मौत मांगोगी, और मैं तुम्हे और भी जायदा जिल्लत वाली जिंदगी दूंगा। तुम्हें अफसोस होगा, की तुम मेरे सपनो के बीच क्यूं आए ?” वात्सल्य ने गुस्से से कहा।
उसकी आखें लाल थी हाथ बंधे हुए थे, नशो में उभार आ चुका था। वो इस वक्त इतना खूंखार लग रहा था की जो भी इस वक्त उसके समाने आए वो उस को जान से मार दे।
उसकी नजर समाने एक बड़ी सी तस्वीर पर थी, जिसमे एक लड़की की काली परछाई बनी हुई थी। वो परछाईं जिसके पीछे वो पिछले दो साल से था, वो परछाई जो बार बार उसके और उसकी दुनिया जितने के बीच में आती थी। वो परछाई जिसकी वजह से वात्सलय अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी कामयाबी खो चुका था।।
“लुक्स बेबी इज अपसेट। डोंट वरी, मुझे पता है तुम्हे कैसे शांत करना है।” एक लड़की जिसने एक शॉर्ट ड्रेस पहना था और उसके चेहरे पर मेकअप और एटीट्यूड की एक मोटी परत थी, उसने एक सेडक्टिव टोन में कहा।
इससे पहले की वो वात्सल्य के चेहरे को छू पाती वात्सल्य ने उसके गले को जोर से पकड़ा,” तुम्हे कितनी दफा कहा है की तुम्हारी हैसियत इतनी नहीं की हमारे केबिन में तुम मेरे इजाजत के बिना आ जाओ।” वात्सल्य को तेज गुस्सा आ रहा था।
“बेबी, इतना तो तुम्हे भी पता है की तुम जब जब गुस्सा करते हो, तुम्हे मुझसे बेहतर तरीके से कोई शांत नहींं कर सकता।” उस लड़की ने एक दबी आवाज में कहा क्योंकि वात्सल्य ने कुछ जायदा ही कसकर उसके गले को पकड़ रखा था।
“मुझे शांत कर सके, ऐसी लड़की अब तक पैदा नहीं हुई। तुम्हारे जिस्म की यह खुसनासीबी है की वो मेरे एरोगेंस को फेस करती है। वरना इतनी तुम्हारी हैसियत नहींं की तुम वात्सल्य सिघानिया के नजदीक भी आ सको। ” वातस्लय ने कहा, और क्रिस्टियाना के होठों से अपने होठों को जोड़ लिया।
वात्सल्य और क्रिस्टियाना, एक दूसरे को पूरी शिद्दत से किस कर रहे थे, दोनो के हाथ एक दूसरे में कडल थे, वो बस पैशनेट किस किए जा रहे थे, वात्सल्य की बेरहमी अब क्रिस्टियाना के सहनशक्ति से बाहर थी पर वात्सल्य को इसकी कोई परवाह नही थी, उसके लिए क्रिस्टियाना उसका खिलौना थी, जिसे वो शिद्दत से खेल भी सकता था और तोड़ भी सकता था ।।
वात्सल्य के वाइल्डनेस ने क्रिस्टियाना को अपने आगोश मे जकड़ रखा था, भला ऐसा भी कभी हुआ है की एक भेड़िए अपना शिकार यूंही जाने दे,
वात्सल्य का एग्रेशन बढ़ता जा रहा था, क्रिस्टियाना के हाथ सोफे से गड़े थे और वो खुद वात्सल्य के नीचे दबी थी.. दोनो के कपड़े धीरे धीरे उस केबिन में बिखड़ते चले जा रहे थे, केबिन में क्रिस्टियाना के सिसकने की आवाज गूंज रही थी, पर अफसोस वो बस उसी केबिन तक थी क्योंकि वात्सल्य का केबिन पूरी तरह से साउंड प्रूफ थी…
वात्सल्य के होठों क्रिस्टियाना के होठों से जुड़े हुए थे, उसके गले पर कई लव बाइट थे, जिसे वात्सल्य ने दिया था…
दोनो अभी एक दूसरे से जुड़े थे तभी विहान ने केबिन नॉक करते हुए आवाज दी…
कम इन… वात्सल्य ने बिना सोचे कहा… बेबी, वी स्टिल मेकिंग आउट, हाउ कूड यू एलाऊ समवन तो इंटर द केबिन, क्रिस्टियाना ने एक दम हैरानी से पूछा, उसके पास खुद को ढकने के लिए इस वक्त कुछ नही था सिवाए इसके की वो वात्सल्य को खुद पर बने रहने दे… पर वात्सल्य का क्या, वो भी तो अभी बिन कपड़ों के था ।।
कॉमन बेबी गर्ल, इट्स माय ऑफिस, नो वन हैव एलाऊ टू सी विद आउट माय परमिशन, क्लोज योर आइस एंड देन कम विहान… वात्सल्य ने जैसे ही कहा, विहान जो गेट खोल रहा था, रुका उसने आंखे बंद की और केबिन में एंटर हुआ…
विहान आखें बंद किए ही वात्सल्य के केबिन में धीरे धीरे आ रहा था, ताकि वो किसी चीज से लड़ ना जाए, वो थोड़े अन्दर आते ही एक जगह खड़े होकर आज होने वाली मीटिंग्स को बता रहा था, वात्सल्य बड़े आराम से कपड़े पहनते हुए उसकी बाते सुन रहा था, उसने क्रिस्टियाना को देखा, क्या सोच रही हो,
कपड़े पहनो, एंड जस्ट गेट आउट, वरना जो मेरे कहने पर आखें बंद रख सकता है, वो खोल भी सकता है, वात्सल्य ने एरोगेंट वे में कहा, क्रिस्टियाना ने अपने कपड़े बटोरे और जल्दी से बाथरूम में चली गई,
मैं मीटिंग के लिए ऊंठी जा रहा हूं, जस्ट पैक योर बैग, एंड मीत मि ऑन इवनिंग, वात्सल्य ने कहा, विहान काफी कन्फ्यूज्ड था, पर उसने बस वात्सल्य की हां में हां मिला दिया, विहान बाहर चला गया।।
ऊंठी….
गुड मॉर्निंग अंकल… कैसे हो… राज्या कहा है… आई डैम श्योर पक्का गधी सो रही होगी…एक 24 साल का लड़का, जिसने कंधे पर बैग लटकाए हुआ था, उसके होठों पर एक प्यारी सी स्माइल थी,उसने सामने पड़े एक सेव को उठाया और खाने लगा…
आ गया भूखड़… जब आता है इसको कुछ न कुछ चाहिए, पता नही दी के लिए आता है या खाने के लिए, सामने बैठी दिव्या ने धीरे से कहा, पर यह तब तक आशीष को सुनाई पड़ चुकी थी…
अरे दिव्या जी, हम तो बस आपको देखने आते है, पर ऐसे कहा तो डांट पड़ सकती है ना इसलिए कुछ खा लेते है…आशीष ने दिव्या को वो बाइट किया हुआ सेव ऑफर किया,
नो थैंक्स, और आप ना, दीदी से ही दोस्ती निभाईये, हमे इतने जाहिल दोस्तो की आदत नही… दिव्या ने गुस्से से आशीष को झाड़ा और अपना प्लेट लेकर किचन में चली गई,
अरे यह तो नाराज हो गई, खैर… अंकल कहा है मेरी बेवकूफ दोस्त… आशीष ने दिव्या को देखते हुए सामने बैठे वीरभद्र सिंह जी से पूछा..
हमेशा की तरह बेटा, सोई हुई है, जाओ जगाओ…उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, आशीष उन्हे सैल्यूट करते हुए राज्या के कमरे में चला गया…
चला जाता हू किसी की धुन मे, धड़कते दिल… होऊओओ…सामने एक मास्क पहनी लड़की ने आशीष की डराने की कोशिश की जो इस वक्त गाना गाते हुए उसके कमरे में जा रहा था, पर आशीष ने कोई रिएक्शन नहीं दिया, राज्या ने उदास होते हुए… मास्क हटा दिया…शीट यार….
आआआआआआ…..आशीष ने डरने का नाटक करते हुए दरवाजे से लग गया, उसने जोरो से दरवाज़े को पकड़ लिया…
कुत्ते… कमीने…. गोबर कही के…मार डालूंगी तुझे… तुम चुड़ैल की शक्ल देख कर नही डरा और मेरी शक्ल देख कर डरने की एक्टिंग कर रहा है… राज्या गुस्से से आशीष पर बरस पड़ी…
अरे वो तो उस वक्त मै जानता था की चुड़ैल नही हो सकती है, एक कमरे में दो चुड़ैल नही रह सकती ना… आशीष ने बिना किसी फिक्र के कहा… पर यह राज्या को गुस्सा दिलाने के लिए इतना काफी था…
सड़े हुए बैगन…तूने मुझे चुडैल कहा, रुक बताती हूं… राज्या ने कहते हुए,एक छड़ी उठाई और आशीष के पीछे भागने लगी…दोनो पूरे घर में दौड़ रहे थे, उनकी यह भागदौड़ वीरभद्र जी को बहुत अच्छी लग रही थी, बचपन के दोस्त, और इतने अच्छे साथी…अगर दोनो साथ आने को तैयार हो जाएं तो इससे जायदा उन्हे क्या ही चाहिए था जिंदगी से…
अब तक दोनो थक कर सोफे पर बैठ चुके थे, और एक दूसरे को देख हंस रहे थे,
ओ विश्व सुंदरी, तेरा हो गया हो खेलना तो चल, कॉलेज का टाइम हो रहा है, एक तो तुझे उठाओ ना तो तू उठती नही, अंकल मैं बता रहा हूं, इसने अगर कॉलेज में सब्जेक्ट में नींद लिया होता ना टॉप करती…आशीष ने तंज कसते हुए कहा।।
कुत्ता, राज्या ने गुस्से से कहा और तैयार होने चली गई ।।
थोड़ी देर बाद…
चल बैठ… आशीष ने कार के ड्राइविंग सीट की तरफ बढ़ते हुए कहा…
उम्महुह… आज गाड़ी तेरा भाई चलाएगा… राज्या ने फुल एटीट्यूड में कहा, आशीष ने इधर उधर देखा, उसने कुछ सोचा,
अबे मैं अपने मां बाप का सिंगल चाइल्ड हूं…मेरा भाई कब पैदा हुआ बे….
डफर… केले का छिलका ही रहेगा जिंदगी भर, मैं अपनी बात कर रही हूं, आज गाड़ी तेरा भाई चलाएगा, राज्या ने अपने तरफ़ इशारा करते हुए कहा…
आशीष ने पहले तो कुछ रिएक्ट नही किया, पर फिर वो अपना पेट पकड़ कर खूब तेज हंसा… तू… यह गाड़ी… चलाएगी… आशीष ने कहा, राज्या ने हां में सर हिलाया, आशीष एक बार वापस से हंस पड़ा…
आशीष एक दम से रुका, उसने उसके फोरेहेड पर टैप किया, चल गाड़ी में बैठ, कॉलेज के लिए देर हो रहा है…आशीष ने बोल कर अभी कार का दरवाजा खोला ही था… की राज्या गाड़ी के आगे बैठ गई,
गाड़ी मैं चलाऊंगी, मैं चलाऊंगी… मैं चलाऊंगी…. गांव वालो ध्यान से देखो इस बेरहम लड़का को यह मुझ जैसी प्यारी लड़की को कार चलाने नही दे रहा… इसको भी लगता है की हम लड़किया अच्छी ड्राइवर नहीं होती पर इस को कोई समझाओ कि लड़किया भी अच्छी ड्राइवर हो सकती है ।।
आशीष ने अपना सर पकड़ लिया, हे भगवान किस जन्म का बदला लेने के लिए मुझे आपने इसका बेस्टफ्रेंड बना दिया… पूरे शहर में कचरा करवाती है मेरा ।। वो उसके पास गया…
ठीक है यार ले चला ले…आशीष ने चाभी आगे करते हुए कहा, राज्या ने मुस्कुराते हुए वो कार की चाभी ले ली ।।
तो क्या होगा आगे कहानी में ? किसे ढूंढ रहा है वात्सल्य जिसे देना चाहता है वो मौत से भी बदतर सजा ? आखिर क्या है वात्सल्य का सपना और क्यों उसके सपने के पीछे है कई लोग ? जानने के लिए पढ़ते रहिए You Drive Me Wild.
Love you rajyashish ….haaye 🫠