भारतीय शेयर बाजार गिरावट का सामना कर रहा है: 5 प्रमुख कारण जो बाजार को प्रभावित कर रहे हैं

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भारत के शेयर बाजार में गिरावट:
आज भारतीय शेयर बाजार, जिसमें प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी 50 शामिल हैं, दूसरे लगातार दिन गिरावट का सामना कर रहे हैं। 9 जनवरी 2025 को, सेंसेक्स और निफ्टी 50 दोनों ने 0.80 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की, जो वैश्विक बाजारों की कमजोरी, अमेरिकी डॉलर और बॉन्ड यील्ड्स में वृद्धि के कारण हुई।

सेंसेक्स ने 78,206.21 पर खुलने के बाद, 600 प्वाइंट्स या 0.80 प्रतिशत गिरकर 77,542.92 पर पहुंच गया। अंत में, यह 528 प्वाइंट्स या 0.68 प्रतिशत गिरकर 77,620.21 पर बंद हुआ।

निफ्टी 50 ने 23,674.75 पर शुरुआत की, और यह 180 प्वाइंट्स या 0.80 प्रतिशत गिरकर 23,503.05 पर पहुंच गया। अंत में, यह 162 प्वाइंट्स या 0.69 प्रतिशत गिरकर 23,526.50 पर बंद हुआ।

बिकवाली का दबाव:
मिड और स्मॉल-कैप शेयरों में बिकवाली का दबाव ज्यादा था, जिसके कारण BSE Midcap और Smallcap इंडेक्स ने 1 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की। पिछले दो सत्रों में बेंचमार्क इंडेक्स में लगभग 1 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे बाजार की पूंजीकरण ₹436 लाख करोड़ से ₹442 लाख करोड़ तक गिर गई है।

भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के 5 प्रमुख कारण:

1. Q3 आय के परिणाम:
साल की तीसरी तिमाही के आय परिणामों की चिंता ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है। TCS के तिमाही परिणाम 9 जनवरी को घोषित किए जाएंगे, और अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि ये पिछले दो तिमाहियों से बेहतर हो सकते हैं, लेकिन शानदार प्रदर्शन की उम्मीद नहीं है।

2. अमेरिकी बॉंड यील्ड्स और डॉलर की वृद्धि:
अमेरिकी बॉंड यील्ड्स और डॉलर में वृद्धि हो रही है, क्योंकि अमेरिकी आर्थिक आंकड़े मजबूत आ रहे हैं और अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम हो रही है। इसने उभरते हुए बाजारों जैसे भारत पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।

3. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा भारी बिकवाली:
8 जनवरी तक FPI ने भारतीय शेयरों में लगभग ₹12,000 करोड़ की बिकवाली की है। यह बिकवाली जारी रहने की संभावना है, खासकर अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रंप की व्यापार नीतियों और फेड की ब्याज दरों के रास्ते पर अनिश्चितता के कारण।

4. भारतीय आर्थिक विकास की चिंता:
भारतीय जीडीपी का विकास धीमा हो सकता है, जिससे निवेशकों का जोखिम लेने का मनोबल कमजोर हो सकता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में भारतीय जीडीपी 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है, जो पिछले साल के 8.2 प्रतिशत से कम है। इस धीमी वृद्धि ने भारतीय मुद्रा और विदेशी पूंजी के बहिर्वाह पर चिंता बढ़ा दी है।

5. अमेरिकी फेड की नीति और ट्रंप की व्यापार नीतियों में अनिश्चितता:
अमेरिका में महंगाई और ब्याज दरों में वृद्धि की आशंका ने भी भारतीय बाजारों को प्रभावित किया है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रपति ट्रंप के आने वाली नीतियों ने अनिश्चितता बढ़ाई है, जिससे बाजार में दबाव और बढ़ा है।

निफ्टी 50 का तकनीकी दृष्टिकोण:

कोटक सिक्योरिटीज के श्रीकांत चौहान के अनुसार, निफ्टी 50 के चार्ट पर एक नकारात्मक पैटर्न दिखाई दे रहा है, जो और गिरावट की संभावना को संकेत करता है। चौहान का मानना है कि वर्तमान में बाजार ओवरसोल्ड है, और यहां एक पलटाव रैली की संभावना हो सकती है।

निवेशकों के लिए सुझाव:

शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स को सतर्क रहने और चुस्त निवेश निर्णय लेने की सलाह दी जा रही है, क्योंकि नीचे के स्तरों पर फंसने का खतरा है।

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