दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार (24 दिसंबर, 2024) को CLAT-2025 परिणाम में सुधार के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। यह आदेश Consortium of National Law Universities को CLAT-2025 परिणाम में उत्तर कुंजी में त्रुटियों के कारण संशोधन करने के निर्देश से संबंधित था।
एक बेंच जिसमें कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपु बखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला शामिल थे, ने Consortium की ओर से एकल पीठ के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर विचार करते हुए कहा कि इस मामले में कोई अंतरिम आदेश देने का आधार नहीं है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वे इस समय Consortium of National Law Universities को उत्तर कुंजी की त्रुटियों के कारण CLAT-2025 परिणाम में सुधार करने से रोकने के लिए कोई आदेश जारी नहीं करेंगे। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि Consortium को इस मामले में आगे बढ़ने की अनुमति है और वे अपनी प्रक्रिया को जारी रख सकते हैं।
यह मामला उस समय सामने आया जब छात्रों ने CLAT-2025 की उत्तर कुंजी में कुछ त्रुटियों का आरोप लगाया था, जिसके कारण परिणाम में संशोधन की मांग की जा रही थी। हालांकि, अब दिल्ली हाई कोर्ट ने Consortium को इस सुधारात्मक प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति दी है, जिससे छात्रों में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
दिल्ली हाई कोर्ट का यह आदेश Consortium of National Law Universities को राहत देता है और यह तय करता है कि उत्तर कुंजी में सुधार की प्रक्रिया में कोई रुकावट नहीं आएगी। हालांकि, छात्रों के बीच इस मुद्दे को लेकर असंतोष भी जारी है और वे चाहते हैं कि परिणाम में सुधार के लिए उचित कदम उठाए जाएं।